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दस वर्षों में कैसे बदल गया देश का विधान? - श्रीनारद मीडिया

दस वर्षों में कैसे बदल गया देश का विधान?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कुछ वर्ष पहले तक असंभव जैसा जो लगता था वो अयोध्या में संभव हो गया है। श्री राम की भूमि पर केवल भव्य, दिव्य और नव्य मंदिर बनकर ही तैयार नहीं हुआ है, पूरे अयोध्या का कायाकल्प हो गया है। देश के कई प्राचीन मंदिरों के कायाकल्प के पीछे प्रधानमंत्री की संकल्प शक्ति रही है। नरेंद्र मोदी 10 सालों से देश के प्रधानमंत्री हैं। इन 10 सालों में अयोध्या से उज्जैन तक, काशी से केदारनाथ तक कम से कम 10 प्राचीन मंदिरों कायाकल्प हुआ है।

अयोध्या, महाकाल, काशी, केदारनाथ, सोमनाथ से लेकर कश्मीर के मंदिरों तक प्रधानमंत्री मोदी देश के कई प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों का कायाकल्प करा चुके हैं। मोदी ने सिर्फ मंदिरों का जीणोद्धार ही नहीं करवाया बल्कि जहां भी मंदिर बना उस पूरे इलाके की सूरत बदल दी। करीब 10 साल तक प्रधानमंत्री रहने के दौरान मोदी ने देश के कौन-कौन से मंदिरों को उनका गौरव लौटा दिया।

 काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण 

1780 में अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरुत्थान करवाया था। उसके बाद 300 सालों तक काशी विश्ननाथ मंदिर में रिनोवेशन का कोई बड़ा काम नहीं हुआ। काशी भगवान शिव की नगरी जहां पर साक्षात शिव वास करते हैं। काशी का इतिहास हजारों साल पुराना है। अमेरिकी लेखर मार्क ट्वेन ने कहा था- बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपराओँ से भी प्राचीन है। किवदंतियों से भी पुरातन है और अगर हम इन सबको जोड़ दें तो उनसे भी दोगुना प्राचीन है।

सदियों से भक्त बाबा की इस प्राचीन नगरी में दर्शन करते आ रहे हैं। लेकिन अब काशी विश्वनाथ नगरी की रूप रेखा बदल गई है। साल 2019 में 700 करोड़ की लागत से बने इस कॉरिडोर का शिलान्यास किया। इसके ठीक 2 साल 8 महीने बाद ही 13 दिसंबर 2021 को 5 लाख वर्ग मीटर में फैले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का पीएम मोदी ने लोकार्पण किया।

सोमनाथ मंदिर में 3 बड़े प्रोजेक्ट्स का किया उद्घाटन

जब से इतिहास लिखा गया है तब से अबतक इसको 17 बार तोड़ा गया। लेकिन भगवान शिव के धाम का भला कोई कुछ कहां बिगार सकता है। हर बार इसे फिर से बनाया गया। लेकिन कुछ लोगो को लगता था कि शायद वो शिव के इस धाम का विनाश कर सकते हैं। आज वो लोग जमीन के नीचे या इतिहास की किताबों में दफन हैं।

लेकिन सोमनाथ के शिखर पर आज भी धर्म पताका लहरा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमनाथ से जुड़े कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिये हुए इस कार्यक्रम में पीएम मोदी सोमनाथ समुंद्र दर्शन पैदल पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और नवीनीकृत अहिल्याबाई होल्कर स्टेडियम का उद्घाटन किया। 47 करोड़ के खर्चे से इस पथ का निर्माण किया गया है।

उज्जैन का महाकाल लोक

11 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ की तरह देश के 12 ज्योर्लिलिंगों में से एक मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में करीब 946 मीटर लंबे महाकाल लोक कॉरिडोर का लोकार्पण किया था। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि महाकाल के आशीर्वाद से भारत की भव्यता पूरे विश्व के विकास के लिए नई संभावनाओं को जन्म देगी। भारत की दिव्यता विश्व के लिए शांति के मार्ग प्रस्शत करेगी।

केदारनाथ मंदिर

उत्तराखंड में 2013 की बाढ़ ने विनाश के निशान छोड़े और राज्य के प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर को भी भारी नुकसान पहुँचाया। अचानक आई बाढ़ में उत्तराखंड मंदिर के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए। बड़े पैमाने पर विनाश के बाद, पीएम मोदी ने 2017 में हिमालय मंदिर के लिए एक पुनर्निर्माण परियोजना शुरू की, जिसे भगवान शिव का निवास माना जाता है। उन्होंने रामबन से केदारनाथ तक फैले क्षेत्र में अन्य विरासतों और धार्मिक स्थलों के और विकास का भी आदेश दिया।

31 सालों बाद खुला शीतलनाथ मंदिर

कश्मीर में प्रसिद्ध शीतलनाथ मंदिर भक्तों के लिए खोल दिया गया। साल 2021 में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मंदिर को फिर से खोला गया। 31 साल पहले आतंकवाद और घाटी से हिंदुओं के पलायन के कारण मंदिर को भक्तों के लिए बंद कर दिया गया था। शीतल नाथ मंदिर श्रीनगर के हब्बा कदल क्षेत्र में स्थित है। मंदिर में भक्तों द्वारा विशेष पूजा भी की गई।

कश्मीर में इन मंदिरों का पुनर्निर्माण हुआ

कश्मीर में श्रीनगर के रघुनाथ मंदिर, अनंतनाग के मार्तंड मंदिर, पाटन के गौरीशंकर मंदिर और श्रीनगर के पंद्रेथन मंदिर का रिनोवेशन हो चुका है। वहीं, अवंतीपोरा के अवंतिस्वरा मंदिर का अभी रिनोवेशन हो रहा है।

रामलला टेंट से भव्य महल में विराजे

अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान बने। दोपहर 12 बजे हल्की पीली धोती-कुर्ता पहने मंदिर आए। हाथ में थाल थी, जिसमें श्रीराम के लिए चांदी का छत्र था। 12.05 बजे गर्भगृह में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा शुरू हुई, जो करीब घंटेभर चला। इसमें प्रधानमंत्री शामिल रहे। उन्होंने भगवान की आरती कर चंवर डुलाया, फिर राम के चरणों में कमल रखकर परिक्रमा की और साष्टांग प्रणाम किया।

भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ी

मोदी ने उज्जैन के महाकाल मंदिर में पुनर्निर्मित काशी विश्वनाथ मंदिर और महाकाल लोक का उद्घाटन किया था। गौरतलब है कि इन पुनर्विकास कार्यों के उद्घाटन के बाद से इन मंदिरों में भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। इतना ही नहीं, इसके परिणामस्वरूप होटल, गाइड, टैक्सी सेवा प्रदाताओं और अन्य सहित पर्यटन उद्योग के लिए साल भर का व्यवसाय भी बढ़ गया है। इससे, बदले में, निवासियों की अर्थव्यवस्था और जीवन स्तर को बढ़ावा मिलता है क्योंकि उनकी आय की संभावनाएं बढ़ती हैं। इससे विभिन्न स्तरों पर रोजगार के नये अवसर भी पैदा होते हैं।

भारत की जीडीपी को ऊंचाई पर ले जाने में योगदान

भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जिनकी कमाई अगर मिला दी जाए तो मालवी, लाइबेरिया या चाड जैसे कई देशों की जीडीपी से भी ज्यादा हो सकती है। भारत को मंदिरों की भूमि कहा जाता है। यहां 10 मिलियन से भी ज्यादा मंदिर हैं। कई मंदिरों का कुल योगदान इतना है कि यदि संयुक्त किया जाए, तो कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को पार किया जा सकता है। हर साल इन मंदिरों को अरबों का दान मिलता है। भारत का सबसे अमीर मंदिर केरल का पद्मनाभस्वामी मंदिर है।

इस मंदिर की तिजोरियाँ हीरे, सोने और कीमती रत्नों से भरी हुई हैं। इतना ही नहीं, भारत में समृद्ध मंदिरों के कारण रोजाना कई लाख लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलते हैं। अकेले पद्मनाभस्वामी मंदिर की कुल संपत्ति लगभग 1,20,000 करोड़ रुपये है, जिसमें सोने की मूर्तियां, सोने के सिक्के, पन्ना, प्राचीन चांदी, हीरे और पीतल शामिल हैं। साथ ही, लोकप्रिय मंदिर स्थान पर्यटन स्थल के रूप में भी काम करते हैं और दुनिया भर से लोग इन स्थानों को देखने और देखने आते हैं।

यह देश की जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान देता है। मंदिर संबंधित राज्यों की जीडीपी को काफी बढ़ावा देते हैं और यही कारण है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐसे कई मंदिरों और पर्यटक स्थलों के नवीनीकरण के लिए काम किया है। अंततः, यह भारत की जीडीपी को एक और ऊंचाई पर ले जाने में योगदान देगा।

 

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