कैसे बंगाल से लेकर बिहार तक फैला है नाबालिग लड़कियों के देह व्यापार का जाल?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बंगाल से बिहार तक नाबालिग लड़कियों को देह व्यापार धंधे में झोंकने वालों का जाल फैला हुआ है। इसका खुलासा मुक्त करवाई गई नाबालिग लड़कियों ने सोमवार को किशनगंज पुलिस के सामने काउंसिलिंग के दौरान किया। लड़कियों को कभी बंगाल के इस्लामपुर, पांजीपाड़ा तो कभी किशनगंज के खगड़ा रेड लाइट एरिया में रखा जाता था। यही नहीं देह व्यापार के तार बंगाल के अलावे किशनगंज से समस्तीपुर तक जुड़े हुए हैं।
बरामद की गयी लड़की को तीन वर्ष पूर्व जबरन समस्तीपुर जिले से लाया गया था। वह जब अपने घर जा रही थी तब रास्ते में नशीला पदार्थ खिलाकर उसे किशनगंज लाया गया था। इसके बाद उसे कभी इस्लामपुर में तो कभी पांजीपाड़ा में रखा जाता था। इतना ही नहीं जब वो इस दल-दल से निकलना भी चाहती थी तो चाह कर भी निकल नहीं पाती थी। उससे जबरन देह व्यापार करवाया जाता था। जब युवती से रहा नहीं गया तब उसने वहां से निकलने की ठान ली। इसके बाद पुलिस क ी सहायता से उसे देह व्यापार के चंगुल से मुक्त करवाया गया। फिलहाल नाबालिग लड़की की काउंसिलिंग की जा रही है।
इस रैकेट में कई लोग शामिल हैं। जिसका खुलासा पुलिस की पूछताछ में हुआ है। पुलिस मामले में बारिकी से पड़ताल कर रही है। थाने में प्राथमिकी दर्ज किए जाने की प्रक्रिया भी जारी थी। मामले में पुलिस ने पूर्व में भी कई लड़कियों को देह व्यपार के चंगुल से मुक्त करवाया था। यहां बता दें कि रविवार को एसपी डॉ. इनामुल हक मेंगनू के निर्देश पर पुलिस की स्पेशल टीम ने खगड़ा रेड लाइट एरिया में छापेमारी की थी।
भारतवर्ष में वैवाहिक संबंध के बाहर यौनसंबंध अच्छा नहीं समझा जाता है। वेश्यावृत्ति भी इसके अंतर्गत है। लेकिन दो वयस्कों के यौनसंबंध को, यदि वह जनशिष्टाचार के विपरीत न हो, कानून व्यक्तिगत मानता है, जो दंडनीय नहीं है। “भारतीय दंडविधान” 1860 से “वेश्यावृत्ति उन्मूलन विधेयक” 1956 तक सभी कानून सामान्यतया वेश्यालयों के कार्यव्यापार को संयत एवं नियंत्रित रखने तक ही प्रभावी रहे हैं।
वेश्यावृत्ति का उन्मूलन सरल नहीं है, पर ऐसे सभी संभव प्रयास किए जाने चाहिए जिससे इस व्यवसाय को प्रोत्साहन न मिले, समाज की नैतिकता का ह्रास न हो और जनस्वास्थ्य पर रतिज रोगों का दुष्प्रभाव न पड़े। कानून स्त्रीव्यापार में संलग्न अपराधियों को कठोरतम दंड देने में सक्षम हो। यह समस्या समाज की है। समाज समय की गति को पहचाने और अपनी उन मान्यताओं और रूढ़ियों का परित्याग करे, जो वेश्यावृत्ति को प्रोत्साहन प्रदान करती हैं। समाज के अपेक्षित योगदान के अभाव में इस समस्या का समाधान संभव नहीं है।
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