कारखानों में कैसे बनता है Oxygen? कैसे होता है अस्पतालों तक सप्लाई.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
Covid-19: कोरोना की दूसरी लहर ने हमें ऑक्सीजन का महत्व बता दिया. कई मरीजों ने पिछले कुछ दिनों में ऑक्सीजन की कमी से अपनी जान गंवाई तो कई अब भी अस्पताल में मौत से लड़ रहे है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जीवनदायिनी ऑक्सीजन आता कहां से है, कैसे तैयार किया जाता है और कैसे अस्पतालों तक पहुंचता है. आइये विस्तार से जानते है इसके बनने के प्रोसेस से वितरण तक के बारे में….
दरअसल, ऑक्सीजन तैयार करने के कई तकनीक होते हैं. इनमें सबसे प्रसिद्ध तकनीक है सप्रेशन. इस तकनीक के जरिये हवा में मौजूद ऑक्सीजन लेकर उसे कंप्रेस और फिल्टर किया जाता है.
ऑक्सीजन बनाने का पूरा प्रोसेस
- जैसा की ज्ञात हो वातावरण में 21 फीसदी ऑक्सीजन पाया जाता है.
- ऐसे में वायु से एक विशेष प्रकार की मशीन से ऑक्सीजन को कंप्रेस और फिल्टर कर लिया जाता है.
- वहीं, बाकी गैसों को अलग कर दिया जाता है.
- इसके बाद पुनः इसे फिल्टर किया जाता है. जिसे मास्टर फिल्टर कहा जाता है. इस फिल्टरेशन के जरिये इसमें बची अशुद्धियों को और अच्छी तरह से छाना जाता है. जिसके बाद इसकी शुद्धता 99.5 प्रतिशत हो जाती है.
- अब इस ऑक्सीजन को द्रव के रूप में बदलने के लिए इसे माइनस 83 डिग्री पर रखा जाता है.
- इस मामले के जानकारों की माने तो अब इसी ठंडी ऑक्सीजन को एक विशेष प्रकार के कैप्सूल में भरकर प्लांट तक वितरण कर दिया जाता है ताकि वहां बड़े-बड़े सिलेंडरों में भरकर दोबारा इसे गैस के रूप में बदला जा सके.
- वापस में गैस में बदलने के बाद इसे प्लांट से सीधे अस्पतालों व अन्य जरूरत वाले स्थानों में सप्लाई के लिए भेज दिया जाता है.
भारत में कोरोना वायरस तांडव मचा रहा है. देश के कई शहरों के अस्पतालों में मरीजों को बेड तक नहीं मिल पा रहे हैं. पिछले तीन दिनों से कोरोना के तीन लाख से अधिक केस आ रहे हैं और 2000 से अधिक मौतें हो रही हैं. देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की बात करें तो ये चरमरा सी गई है. इसी बीच एक अमेरिकी स्टडी सामने आई है जिसने चिंता और बढ़ा दी है.
दरअसल, अमेरिकी स्टडी में इस बात का अनुमान लगाया गया है कि भारत में मई के मध्य में कोरोना का कहर टूटेगा और इस समय महामारी अपने पीक पर होगा. इस दौरान हर दिन 5 हजार से अधिक लोग दम तोड़ते नजर आयेंगे. इंडिया टुडे ने इस खबर को प्राथमिकता से स्थान दिया है. रिपोर्ट की मानें तो, अमेरिकी स्टडी ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा भारत में रोजाना मई के मध्य तक 5,600 पर पहुंच सकती है. इसका मतलब होगा कि अप्रैल से अगस्त के बीच देश में कोरोना वायरस की वजह से करीब तीन लाख लोगों की मौत हो सकती है.
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) द्वारा ‘कोविड-19 अनुमान’ नाम से अध्ययन करने का काम किया गया है. इसी साल 15 अप्रैल को प्रकाशित इस अध्ययन पर नजर डालें तो इसमें कहा गया है कि भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की रफ्तार को वैक्सीनेशन से ही कम किया जा सकता है. आईएचएमई के विशषज्ञों ने स्टडी के माध्यम से चेतावनी दी है कि आने वाले सप्ताह में भारत में कोरोना वायरस से बहुत बुरी हालत होने के आसार हैं.
इस अध्ययन के लिए विशेषज्ञों ने भारत में संक्रमण और मौतों की वर्तमान दर का आकलन करने का काम किया है. इस स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि भारत में इस साल 10 मई तक एक दिन में कोरोना से मरने वालों की संख्या 5600 तक पहुंच सकती है. वहीं, 12 अप्रैल से 1 अगस्त के बीच में 3 लाख 29 हजार मौतों का अनुमान स्टडी में लगाया गया है. इस तरह से जुलाई के अंत तक देश में कोरोना वायरस के जान गंवाने वालों की संख्या 6 लाख 65 हजार पार कर सकती है.
वहीं, इस स्टडी में यह भी अनुमान लगाया गया है कि मई के दूसरे सप्ताह तक देश में एक दिन में मिलने वाले कोरोना मरीजों की संख्या 8 लाख पार कर सकती है.
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