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BBC की कैसे होती है फंडिंग और कमाई क्यों पहुंची आयकर टीम? - श्रीनारद मीडिया

BBC की कैसे होती है फंडिंग और कमाई क्यों पहुंची आयकर टीम?

BBC की कैसे होती है फंडिंग और कमाई क्यों पहुंची आयकर टीम?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बीबीसी के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों पर आयकर विभाग की टीम ने छापा मारा। सूत्रों के मुताबिक एक्शन के दौरान स्टाफ के फोन बंद करा दिए गए हैं और एम्प्लॉइज को कहीं आने-जाने से रोका जा रहा है। कांग्रेस ने इसे अघोषित आपातकाल कहते हुए ट्वीट किया, ‘पहले BBC की डॉक्यूमेंट्री आई, उसे बैन किया गया, अब BBC पर IT का छापा पड़ गया है।’

BBC क्या है और इसके मालिक कौन हैं?

ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन यूनाइटेड किंगडम का नेशनल ब्रॉडकास्टर है। ये दुनिया के सबसे पुराने और बड़े मीडिया हाउस में से एक है। इसके पूरी दुनिया में करीब 35 हजार कर्मचारी हैं। यह 40 भाषाओं में खबरें प्रसारित करता है।

18 अक्टूबर 1922 को बीबीसी की शुरुआत एक प्राइवेट कंपनी के तौर पर हुई। 1926 में इसे यूनाइटेड किंगडम ने सरकारी संस्था बना दिया। तब से आज तक बीबीसी रॉयल चार्टर के तहत संचालित होती है। हालांकि अपनी कवरेज के लिए ये पूरी तरह स्वतंत्र है।

रॉयल चार्टर में बीबीसी का उद्देश्य भी लिखा है। इसके मुताबिक, ‘बीबीसी को यूनाइटेड किंगडम के सभी हिस्सों और पूरी दुनिया के लोगों की समझ बनाने के लिए विधिवत सटीक और निष्पक्ष समाचार, करेंट अफेयर्स और तथ्यात्मक प्रोग्रामिंग प्रदान करनी चाहिए।’

बीबीसी की हिंदुस्तानी सेवा ने अपना पहला प्रसारण 11 मई 1940 को किया। इसी दिन विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे। बीबीसी हिन्दुस्तानी सर्विस का उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप के सैनिकों तक समाचार पहुंचाना था।

बांग्लादेश की लड़ाई हो या इंदिरा गांधी की हत्या या फिर कोई और बड़ी अंतरराष्ट्रीय घटना। कई मौकों पर बीबीसी ने सबसे पहले खबरें दीं, जिससे लोगों का भरोसा बना। 2001 में बीबीसी हिंदी डॉट कॉम की शुरुआत हुई और फिर अन्य भारतीय भाषाएं जुड़ती गईं।

बीबीसी की फंडिंग और कमाई कैसे होती है?

बीबीसी की ज्यादातर फंडिंग एक सालाना टेलीविजन फीस से आती है। इसके अलावा इसे अपनी अन्य कंपनियों, जैसे- बीबीसी स्टूडियोज और बीबीसी स्टूडियोवर्क्स से भी आमदनी होती है। ब्रिटेन की संसद भी इसको ग्रांट देती है।

साल 2022 में कंपनी को तब एक बड़ा झटका लगा, जब ब्रिटिश सरकार ने अगले दो सालों के लिए वार्षिक टेलीविजन शुल्क पर रोक लगाने की घोषणा की। इतना ही नहीं, सरकार ने यह भी कहा कि 2027 तक वह शुल्क को पूरी तरह खत्म कर देगी।

बीबीसी के लिए लंदन रॉयल चार्टर के पहले पन्ने की तस्वीर।
बीबीसी के लिए लंदन रॉयल चार्टर के पहले पन्ने की तस्वीर।

बीबीसी के दफ्तरों पर आयकर विभाग क्यों पहुंचा?

आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार, BBC पर इंटरनेशनल टैक्स में गड़बड़ी का आरोप है। इसी को लेकर सर्वे किया जा रहा है। BBC ने इस सर्वे की पुष्टि करते हुए कहा कि हम अथॉरिटीज का सहयोग कर रहे हैं और जल्द ही ये सिचुएशन सुधर जाएगी।

बीबीसी के दफ्तरों में सर्वे IT अधिनियम, 1961 के अलग-अलग प्रावधानों जैसे धारा 133A के तहत किए जा सकते हैं। यह कानून IT विभाग को छिपी हुई जानकारी जुटाने के लिए सर्वे की शक्ति देता है। इसके तहत ऑफिशियल खाते की जानकारी, दस्तावेज, नकदी, स्टॉक या अन्य कीमती सामान की जांच करने के लिए किसी भी कैंपस में प्रवेश की अनुमति देता है।

BBC के ऑफिसों पर रेड के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यहां हम अडाणी के मामले में JPC की मांग कर रहे हैं और वहां सरकार BBC के पीछे पड़ी हुई है। ‘विनाशकाले विपरीत बुद्धि’। कांग्रेस का कहना है कि पीएम मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की वजह से ये छापेमारी की जा रही है।

बीबीसी पर पीएम मोदी से जुड़ी डॉक्यूमेंट्री का विवाद क्या है?

गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाने वाली बीबीसी डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ को दो हिस्सों में जारी किया गया था। इसका पहला एपिसोड 17 जनवरी को और दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज हुआ।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 20 फरवरी को कहा था कि हमारी राय में ये एक प्रोपेगैंडा पीस है। इसका मकसद एक तरह के नैरेटिव को पेश करना है, जिसे लोग पहले ही खारिज कर चुके हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी ब्रिटिश संसद में इस डॉक्यूमेंट्री से असहमति जताई थी।

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का दूसरा एपिसोड रिलीज होने से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने 21 जनवरी को इस पर प्रतिबंध लगा दिया। केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेश के बाद यूट्यूब और ट्विटर से बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के लिंक हटा दिए गए थे।

इससे पहले भी विवादों में रही बीबीसी की कवरेज

1970 में बीबीसी की इंदिरा गांधी से भी ठन गई थी। इस समय फ्रांसीसी निर्देशक लुइस मैले ने 2 डॉक्यूमेंट्री कलकत्ता और फैंटम इंडिया को पब्लिश किया था। इन दोनों डॉक्यूमेंट्रीज में भारत में रोजाना की जिंदगी दिखाई गई थी। भारत सरकार ने इसे भारत को गलत रूप से पेश करने वाला करार दिया था।

इस डॉक्यूमेंट्री के पब्लिश होते ही ब्रिटेन में बसे भारतीयों ने इसका विरोध किया। विरोध का ये स्वर दिल्ली पहुंचा और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को इसकी जानकारी मिली। इंदिरा ने बीबीसी का दिल्ली दफ्तर बंद करवा दिया। दो साल बाद 1972 में एक बार फिर से बीबीसी ऑन एयर हुआ।

2008 में बीबीसी ने अपने एक शो में भारत के एक वर्कशॉप में काम करने वाले बाल श्रमिकों की तस्वीर दिखाई। बीबीसी के इस शो पर भी काफी हंगामा हुआ था। सरकार ने जांच की तो बीबीसी के ये फुटेज फर्जी थे।

मार्च 2015 में दिल्ली हाईकोर्ट ने बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के फैसले को सही ठहराया था। दरअसल, इसमें निर्भया के दोषी मुकेश सिंह को दिखाया गया था। इसीलिए इसे इंटरनेट पर पब्लिश करने से रोक दिया गया।

2017 में बीबीसी ने जंगली जानवरों के शिकार से जुड़ी एक डॉक्यूमेंट्री जारी की थी। इससे भारत की इमेज पर गहरा असर पड़ा, जिसके बाद सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने का फैसला लिया।

 

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