कितना बदल गया काशी विश्वनाथ बाबा का धाम.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक श्री काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर की संकल्पना के बाद आज सोमवार को बनारस के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकार्पित कर देश की जनता को समर्पित कर दिया। पीएम नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा कारिडोर परियोजना लोकार्पण के बाद देश के शीर्ष धार्मिक स्थलों में शुमार हो गया है, जो काफी दिव्य और भव्य भी है।
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के मंदिर शिखर से लेकर धरातल तक स्मार्ट लाइटिंग की सतरंगी रोशनी से नहा रहे हैं। बरबस ही हर किसी को वे अपनी तरफ खींच रही है। धाम में बाबा विश्वनाथ की आरती के समय घंटियों और डमरूओं की निनाद के साथ रोशनी का संयोजन किया गया है। देर शाम मंदिर पहुंच रहे श्रद्धालु भी धाम की अद्भुत सजावट देखकर मंत्रमुग्ध नजर आ रहे हैं।
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम से अब सीधे मां गंगा का दर्शन किया जा सकता है। साथ ही मंदिर गर्भगृह में बाबा विश्वनाथ का पाद प्रक्षालन खुद मां गंगा करेंगी। इसके लिए एक पाइप लाइन बिछाई गई है।
इस परियोजना का उद्देश्य घाटों और मंदिर के बीच तीर्थयात्रियों व भक्तों की आवाजाही को सुविधापूर्ण बनाना है। अभी तक वे तंग और भीड़भाड़ वाली गलियों से होकर मंदिर तक पहुंचते थे। अब चारों दिशाओं में निर्मित चार प्रवेश द्वार से वे सीधे धाम में प्रवेश कर सकेंगे और उन्हें गलियों और तंग संकरे रास्तों से नहीं गुजरना होगा।
परियोजना का पहला चरण 339 करोड़ की लागत से बनाया गया है। पहला चरण लगभग 5.27 लाख वर्ग फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें 23 भवन शामिल हैं।
मंदिर चौक क्षेत्र अब इतना विशाल है कि यहां दो लाख श्रद्धालु एक साथ खड़े होकर दर्शन-पूजन कर सकेंगे। इसके चलते अब सावन के सोमवारों, महाशिवरात्रि के दौरान शिव भक्तों को दिक्कत नहीं होगी।
परियोजना की आधारशिला आठ मार्च 2019 को रखी गई थी। इस पर करीब 850 करोड़ की लागत आई। पीएम कार्यालय के अनुसार, लगभग 1,400 दुकानदारों, किरायेदारों और मकान मालिकों के मकान, दुकान खरीदकर उन्हें स्थानांतरित किया गया था। परियोजना के अंतर्गत काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास 400 से अधिक संपत्तियों की खरीद और अधिग्रहण किया गया।
मंदिर के आसपास के घरों में लगभग 60 प्राचीन मंदिर मिले। पुरातात्विक आकलन के अनुसार ये मंदिर 18-19वीं शताब्दी के बने हैैं। इनमें से शिखर वाले 27 मंदिरों को उनके मूलस्वरूप में बरकरार रखते हुए जीर्णोद्धार किया गया। साथ ही मिले विग्रहों, मूर्तियों की स्थापना के लिए परिसर में 27 मंदिर भी बनवाए गए हैैं।
औरंगजेब के फरमान के बाद 1669 में मुगल सेना ने विश्वेश्वर का मंदिर ध्वस्त कर दिया था। स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को कोई क्षति न हो इसके लिए मंदिर के महंत शिवलिंग को लेकर ज्ञानवापी कुंड में कूद गए थे। मुगल सेना ने मंदिर के बाहर स्थापित विशाल नंदी की प्रतिमा को तोड़ने का बहुत प्रयास किया, लेकिन तोड़ न सके। ज्ञानवापी कूप और विशाल नंदी 352 साल बाद अब जाकर विश्वनाथ धाम परिसर में शामिल हुए हैं।
श्री काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर में स्थापित हुई भारत माता की मूर्ति।
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