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कैसे साफ हो यमुना,क्योंकि नालों का प्रदूषित पानी सीधे पहुंच रहा यमुना में, - श्रीनारद मीडिया

कैसे साफ हो यमुना,क्योंकि नालों का प्रदूषित पानी सीधे पहुंच रहा यमुना में,

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

गंदगी व प्रदूषण के कारण राजधानी की लाइफलाइन यमुना नदी बदहाल है। यह हाल तब है जबकि इसकी सफाई के नाम पर सैकड़ों करोड़ रुपये पानी की तरह बहाए गए। हालत यह है कि जगह-जगह जलकुंभी व कूड़े के कारण नदी की धारा थम रही है और किनारों पर गंदगी जमा होने से पानी सड़ रहा है। प्रदूषित पानी की दुर्गंध के कारण नदी के किनारे कुछ पल रुकना भी मुश्किल हो जाता है।

एक आरटीआइ के जवाब से पता चला है कि दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई के लिए वर्ष 2018 से 2021 के बीच करीब 200 करोड़ रुपये आवंटित किए। इसमें 2018-19 में 590.56 लाख, 2019-20 में 4,269.98 लाख व 2020-21 में 15,148.62 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके बावजूद यमुना की हालत बद से बदतर होती जा रही है। राजधानी के सैकड़ों छोटे नाले 38 बड़े नालों में मिलते हैं। इन 38 बड़े नालों का पानी यमुना में गिरता है। इस पानी को साफ करने के लिए इन सभी नालों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाना था। लेकिन, दिल्ली सरकार ऐसा नहीं कर पाई। इस कारण सभी नालों का प्रदूषित पानी नदी में गिरकर उसे जहरीला बना रहा है।

नालों का पानी बिना शोधित किए सीधे नदी में गिरने के कारण नदी प्रदूषित हो रही है। नदी के किनारे खेती करने वाले लोग इसी पानी से सब्जियों की ¨सचाई करते हैं। ऐसी सब्जियों को खाने वाले राजधानी के लाखों लोगों को बीमारी का खतरा भी बढ़ रहा है। नदी से पकड़ी गई मछलियों को भी खाने से लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। वहीं, नदी के आसपास का भू-जल भी प्रदूषित हो रहा है। दिल्ली से प्रदूषित पानी आगे यूपी समेत अन्य राज्यों में भी पहुंचता है, जिस कारण वहां के लोगों को भी परेशानी होती है।

हर ओर जलकुंभी व गंदगी का अंबारशांति वन फ्लाईओवर से लेकर आइटीओ पुल के बीच, कुदेसिया घाट, महारानी बाग से लेकर जोगाबाई व का¨लदी कुंज तक, खड्डा कालोनी से लेकर फरीदाबाद बार्डर तक यमुना नदी का लगभग पूरा हिस्सा जलकुंभी व गंदगी से भरा पड़ा है। इसके कारण किनारों पर नदी का बहाव थम सा गया है, जिससे यहां गंदगी व्याप्त है और पानी भी सड़ रहा है। स्थिति ये है कि ओखला बैराज तक पहुंचते-पहुंचते यमुना के पानी में अमोनिया की मात्रा करीब 90 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इससे नदी के जलीय जंतुओं के साथ ही आसपास का वातावरण भी प्रभावित हो रहा है।

वर्ष- 2015 से ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि दिल्ली को लंदन बना देंगे। यमुना को इतना साफ कर देंगे कि लोग नदी के किनारे पिकनिक मना सकेंगे, लोग इसमें स्नान कर सकेंगे। दिल्ली सरकार ने सैकड़ों करोड़ रुपये यमुना की सफाई के नाम पर खर्च दिए, लेकिन आज हाल यह है कि प्रदूषण के कारण यमुना का पानी जहरीला हो चुका है। सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान भी 151 करोड़ रुपये खर्च कर दिए, लेकिन यमुना आज भी बदहाल है। सरकार को बताना चाहिए कि सफाई के नाम पर आवंटित धन आखिर कहां खर्च किया गया।

केंद्र सरकार की ओर से भी पैसे मिलने के बावजूद दिल्ली सरकार ने एक भी नाले पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाया। जो प्लांट पहले से चल रहे थे उनकी क्षमता भी घटा दी। सैकड़ों नालों का पानी बिना शोधित किए सीधे नदी में गिर रहा है। नदी साफ करने के नाम पर आवंटित बजट को दिल्ली सरकार कहां खर्च कर रही है इसका भी कोई हिसाब नहीं है। यमुना नदी दिल्ली की लाइफलाइन है, लेकिन वह इसकी सफाई के लिए भी गंभीर नहीं है।

यमुना नदी की सफाई व इसके पुनर्जीवन के लिए कोर्ट की ओर से 20 सूत्रीय रोडमैप तैयार करके दिया गया था। देश में यमुना के अलावा शायद ही ऐसी कोई नदी होगी जिसके लिए विशेषज्ञों व कोर्ट द्वारा इतना विस्तृत रोडमैप तैयार किया गया होगा। इसके बावजूद सरकार व विभिन्न विभाग इसका क्रियान्वयन नहीं कर पा रहे हैं। क्रियान्वयन के लिए सरकार को अब इससे ज्यादा क्या चाहिए।

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