बीपीएससी में निगेटिव मार्किंग का सामना कैसे करें?

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बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा में अभ्यर्थियों के लिए सावधानी की है दरकार, गंभीरतापूर्वक तैयारी करनी होगी

✍️ डॉक्टर गणेश दत्त पाठक, सिविल सेवा परीक्षा विशेषज्ञ, श्रीनारद मीडिया,  सेंट्रल डेस्‍क:

बिहार लोक सेवा आयोग ने तकरीबन 1900 पदों के लिए वैकेंसी की घोषणा कर दी है। नवंबर या दिसंबर में पीटी यानी प्रारंभिक परीक्षा हो सकती है।बीपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग के प्रावधान से अभ्यर्थी तनाव में दिख रहे हैं। जहां चयन के लिए एक एक महत्वपूर्ण होता है वहां निगेटिव मार्किंग के प्रावधान के चलते प्रश्न गलत हो जाने पर नंबर कटने लग जाते हैं। ऐसे में कई अभ्यर्थी परेशान होने लगते हैं। लेकिन अभ्यर्थियों को परेशान होने या तनाव में आने की आवश्यकता नहीं है। अपितु आवश्यक है कि अभ्यर्थी अपने तैयारी को लेकर गम्भीरता बरतें। जो दो तीन महीने का समय बचा है, उसमें बेहद गंभीरता से तैयारी की आवश्यकता है।

रिविजन पर फोकस बढ़ाना होगा

नेगेटिव मार्किंग को लेकर बीपीएससी के कुछ् अभ्यर्थी तनाव में दिख रहे हैं जबकि आवश्यकता थोड़ी सावधानी और संजीदगी बरतने की है। सबसे प्रमुख सावधानी परीक्षा हॉल में बरतनी होगी। अभी तक अभ्यर्थी तुक्के लगाते रहे हैं। अब अभ्यार्थियों को जो प्रश्न बिलकुल ठीक से आते हो, उन्हें पहले कर लेना होगा। तथा जो प्रश्न बिलकुल नहीं आते हो उन्हें बिलकुल भी टच नहीं करना होगा। जिस प्रश्न पर भ्रम हो उस पर कुछ रिस्क लिया जा सकता है। लेकिन तैयारी के दौरान टॉपिक्स पर सरसरी नजर डालने से अब आपको बचना चाहिए। टॉपिक पर तथ्यात्मक और संकल्पनात्मक पकड़ बनानी होगी। निश्चित तौर पर रिविजन पर ज्यादा फोकस बढ़ाना होगा।

ज्यादा से ज्यादा प्रश्नों को हल करें

सामान्यतया देखा जाता है कि अभ्यर्थी बस पढ़ते चले जाते हैं। इससे न तो वे प्रश्नों के आयाम को समझ पाते हैं और न ही परीक्षा हॉल में प्रश्नों के उत्तर दे पाते हैं। पूर्व के परीक्षा के प्रश्नों को और मॉडल प्रश्न पत्रों को जितना ही देखा जाता है उतना ही प्रश्नों के आयाम और प्रश्न की प्रकृति स्पष्ट होती है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें।

समसामयिकी का निरंतर अध्ययन बेहद जरूरी

बीपीएससी की परीक्षा में समसामयिकी (करेंट अफेयर्स) के प्रश्न विशेष महत्वपूर्ण होते हैं । इसके लिए नियमित समय देना और बार बार पढ़ना जरूरी होता है। समसामयिकी के टॉपिक्स को पढ़ते समय स्थानों को मानचित्र की सहायता से चिन्हित करना आवश्यक होता है। अभी अधिकांश अभ्यर्थी समसामयिकी के लिए ऑनलाइन साधनों का इस्तेमाल भी करते हैं। इस सन्दर्भ में सावधानी भी बेहद जरूरी है । समसामयिकी के लिए निरंतर तौर पर अध्ययन बेहतर रहता है। अभी तीन महीने का समय बचा हुआ है तो नियमित एक या डेढ़ घंटे का समय समसामयिकी के लिए अवश्य दें।

गंभीर अध्य्यन अब जरूरी

समय मात्र तकरीबन तीन महीने का बचा है। इसलिए भारतीय इतिहास, भूगोल, सामान्य विज्ञान के तथ्यों के रिविजन पर ज्यादा फोकस देने का प्रयास करें। ध्यान रहे नेगेटिव मार्किंग की व्यवस्था है इसलिए रिविजन के दौरान ज्यादा गंभीर रहने का प्रयास करें। सरसरी निगाह डालने की आदत को छोड़ दे। भारतीय राजव्यवस्था, भारतीय अर्थव्यवस्था, सामान्य विज्ञान, गणित के महत्वपूर्ण टॉपिक्स को भी ठीक से देख लें।

नेगेटिव मार्किंग की व्यवस्था है इसलिए गंभीर तैयारी पर फोकस करें। बचे समय के दौरान ज्यादा से ज्यादा प्रश्नों को देखें और रिविजन पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने का प्रयास करें। एक शानदार सफलता आपका इंतजार कर रही है।

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