भारत में कैसे हुई आधार की शुरुआत,क्यों बन गया जरूरी दस्तावेज?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आज देश में तकरीबन 99 प्रतिशत से अधिक वयस्कों के पास आधार कार्ड मौजूद हैं। 12 अंकों वाले आधार कार्ड की शुरुआत सितंबर 2009 में महाराष्ट्र से हुई थी। पैन कार्ड बनवाने, आयकर रिटर्न भरने से लेकर सरकार की तमाम कल्याणकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए इसकी जरूरत पड़ती है। आधार कार्ड की शुरुआत यूपीए सरकार के दौरान हुई थी। इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) का चेयरमैन बनाया गया।
आधार कार्ड के आने से भारत में कई बदलाव हुए हैं। आज आधार कार्ड किसी व्यक्ति की आइडेंटिटी प्रूफ की तरह है। यूआइडीएआइ का गठन जनवरी 2009 में भारत सरकार द्वारा किया गया था। इस प्राधिकरण के गठन के बाद सितंबर 2010 से आधार कार्ड बनाने का कार्य शुरू हुआ था। आपको बता दें कि देश में पहला आधार कार्ड 29 सितंबर, 2010 को महाराष्ट्र के नंदुबार जिले की रंजना सोनावाने का बना था।
आधार का सफर : तीन मार्च, 2006 को सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय, भारत सरकार द्वारा ‘बीपीएल परिवारों के लिए विशिष्ट पहचान’ नामक परियोजना के लिए स्वीकृति दी गई थी। इसके बाद 28 जनवरी, 2009 को तत्कालीन योजना आयोग (अब नीति आयोग) ने विशिष्ट संख्या वाले पहचान-पत्र बनाने के लिए यूआइडीएआइ के गठन का नोटिफिकेशन जारी किया। फिर सितंबर 2010 में सरकार ने प्रायोगिक तौर पर महाराष्ट्र के कुछ ग्रामीण इलाकों में आधार कार्ड की योजना को लांच किया।
सरकार की तरफ से नेशनल आइडेंटिफिकेशन अथारिटी आफ इंडिया बिल 2010 संसद में पेश किया गया। फिर आधार से लिंक खातों के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम की शुरुआत की गई। एक जनवरी, 2013 को आधार प्रोजेक्ट देश के 51 जिलों में लागू कर दिया गया। इसके बाद मार्च 2015 में सरकार ने आधार से लिंक्ड डिजिलाकर सर्विस शुरू की। इस सर्विस के तहत लोग अपने दस्तावेजों की स्कैन कापी डिजिलाकर में सेव कर सकते हैं। मार्च 2017 में सरकार ने आयकर अधिनियम में एक नया सेक्शन 139-एए शामिल किया और पैन कार्ड के साथ-साथ आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया। आज यह एक महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज है।
आधार के अब तक के सफर पर
28 जनवरी, 2009 को योजना आयोग ने विशिष्ट संख्या वाले पहचान पत्र को बनाने के लिए यूआईडीएआई के गठन का नोटिफिकेशन जारी किया। इंफोसिस के संस्थापक नंदन नीलेकणी को इसका चेयरमैन बनाया गया।
सितंबर, 2010 में सरकार ने प्रायोगिक तौर पर महाराष्ट्र के कुछ ग्रामीण इलाकों में आधार योजना को लॉन्च किया। दिसंबर में सरकार ने नेशनल आइडेंटिफिकेशन आथॉरिटी ऑफ इंडिया बिल 2010 संसद में पेश किया। इसके बाद विधेयक पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए इसे वित्तीय मामलों की स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा गया।
सितंबर 2011 तक 10 करोड़ लोगों ने आधार कार्ड बनवाया। दिसंबर 2011 में स्टैंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की। इस रिपोर्ट में कमेटी यूआईडीएआई बिल पर सवाल उठाए। कमेटी ने सवाल किया था कि इस परियोजना के तहत लोगों की निजता और संवेदनशील जानकारी का कैसे ख्याल रखा जाएगा?
7 फरवरी 2012 को यूआईडीएआई ने आधार का ऑनलाइन वेरिफिकेशन शुरू किया। इसके बाद 26 नवम्बर को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आधार से लिंक खातों के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम की शुरूआत की। 30 नवंबर 2012 को कर्नाटक हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज केएस पुट्टास्वामी ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। कुछ अन्य लोग भी आधार के खिलाफ कोर्ट पहुंचे। जज केएस पुट्टास्वामी ने कोर्ट में दलील दी कि आधार के लिए बायोमैट्रिक डेटा लेना लोगों की निजता का हनन है।
1 जनवरी 2013 को आधार प्रोजेक्ट देश के 51 जिलों में लागू कर दिया गया। 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ विभागों ने आधार को अनिवार्य करने वाले सर्कुलर जारी किए हैं। इसके बावजूद आधार कार्ड नहीं बनवाने वाले लोगों को इसकी वजह से कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। 9 अक्टूबर को नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम की शुरुआत की।
मार्च 2014 में यूआईडीएआई के चेयरमैन नीलेकणी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। नई सरकार बनने के बाद जून 2014 में आईटी डिपार्टमेंट ने आधार प्रोजेक्ट पर फीडबैक लेने के लिए राज्य के सचिवों की बैठक बुलाई। इसके बाद 5 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी ने आधार प्रोजेक्ट जारी रखने की घोषणा कर दी। इस दौरान आधार प्रोजेक्ट पर सुनवाई करते हुए 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आधार नंबर न होने की सूरत में किसी व्यक्ति को ऐसी किसी सुविधा से वंचित नहीं रखा जाएगा, जिसका वह अन्य स्थिति में हकदार होता है। आधार अनिवार्य नहीं है, ये बताने के लिए सरकारी विभाग अपने फार्म्स और सर्कुलर्स में संशोधन करें।
मार्च 2015 में सरकार ने आधार से लिंक्ड डिजीलॉकर सर्विस शुरू की। इस सर्विस के तहत लोग अपने डॉक्यूमेंट की स्कैन कॉपी क्लाइड पर सेव कर सकते हैं। 16 मार्च, 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें 23 सितंबर, 2013 को दिए गए कोर्ट के आदेश का पालन करेंगी। 11 अगस्त, 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने आधार की अनिवार्यता को सिर्फ एलपीजी और राशन की सब्सिडी तक सीमित कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार रेडियो, टीवी और प्रिंट मीडिया में बड़े पैमाने पर प्रचार करे कि किसी नागरिक के लिए आधार कार्ड बनवाना अनिवार्य नहीं है।
3 मार्च को सरकार ने आधार बिल को धन विधेयक के रूप में लोकसभा में पेश किया। 11 मार्च को इस बिल को लोकसभा ने पास कर दिया। राष्ट्रपति की स्वीकृत के बाद आधार बिल कानून बन गया। 10 मई को कांग्रेस नेता जयराम रमेश बिल को वित्त विधेयक के रूप में पास करने को चुनौती देते हुए कोर्ट पहुंचे। 14 सितंबर को कोर्ट ने छात्रवृत्ति के लिए आधार अनिवार्य करने को गलत बताया।
5 जनवरी को कोर्ट ने कहा कि डेटा जमा करने की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी को देना ठीक नहीं है। 15 दिसंबर को आधार की डेडलाइन को 31 मार्च 2018 कर दिया। मार्च 2017 में सरकार ने आयकर अधिनियम में एक नया सेक्शन 139-AA शामिल किया और पैन कार्ड के साथ-साथ आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए आधार को अनिवार्ट कर दिया।
17 जनवरी को 5 जजों की बेंच ने आधार मामले की सुनवाई शुरू की। 7 मार्च को बेंच ने कहा कि नीट और अन्य परीक्षाओं के लिए आधार अनिवार्य नहीं हो सकता। 10 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर फैसले को सुरक्षित रख लिया था। जिसे 26 सितम्बर को सुनाया गया।
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