भाजपा 7वीं बार कैसे जीतेगी गुजरात का रण ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

गुजरात चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। भारत निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी कार्यक्रम के अनुसार 8 दिसंबर को तय हो जाएगा कि गुजरात में कौन राज करेगा। अब राज्य में दोबारा सियासी राह तलाश रही कांग्रेस, एंट्री की कोशिश में जुटी आम आदमी पार्टी (AAP) मुकाबले को रोचक बना रही है। लेकिन इस दौरान सबसे खास भारतीय जनता पार्टी की दावेदारी होगी।

दरअसल, पार्टी बीते 27 सालों से राज्य में सत्ता में है। इस चुनाव में वह इस सफर को 32 सालों के आंकड़े तक ले जाना चाहेगी। हालांकि, राज्य में लगातार 7वीं जीत एकदम आसान नहीं होगी। एक नजर SWOT (स्ट्रेंथ, वीकनेस, ऑपोर्च्युनिटीस, थ्रेट्स) एनालिसिस पर डालते हैं।

ताकत
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गृहराज्य में मौजूदगी। भाजपा के लिए यह तुरुप का इक्का साबित हो सकती है।
– साल 2017 में कोटा आंदोलन के दौरान पाटीदार समुदाय की तल्खी का सामना कर चुकी भाजपा इस बार समुदाय के साथ संपर्क पर भी भरोसा कर रही है। इसमें भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया जाना और आंदोलन के बड़े चेहरे रहे हार्दिक पटेल को पार्टी में लाना फायदेमंद साबित हो सकता है।
– गुजरात में चुनाव की तैयारियां भाजपा के पक्ष में काम कर सकती हैं। खबर है कि पार्टी बूथ स्तर से संगठन तक मजबूत है।
– सत्तारूढ़ दल हिंदुत्व, विकास और ‘डबल इंजन’ के विकास के मुद्दे पर गुजरात में मजबूत दावेदारी पेश कर रहा है।

कमजोरियां
– कहा जा रहा है कि राज्य में भाजपा के पास ऐसा कोई दिग्गज नेता मौजूद नहीं है, जो पीएम मोदी की जगह ले सके। वह 13 सालों तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे। उनके बाद गुजरात ने 3 मुख्यमंत्री देखे।
– आप और कांग्रेस की तरफ से लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच पार्टी को महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक तनाव के चलते परेशानियों के सामना करना पड़ सकता है।

मौके
– गुजरात में कमजोर विपक्ष के चलते भाजपा को लगातार 7वीं जीत हासिल हो सकती है। फिलहाल, कांग्रेस और आप भी मैदान में हैं।
– खबरें हैं कि राज्य में विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस के नेता अभियान से गायब हैं। कहा जा रहा है कि कई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में जुटे हुए हैं।.
– अगर भाजपा 182 सीटों वाले राज्य में आप को 5 से कम सीटों के आंकड़े पर रोकने में सफल होती है, तो पार्टी के पास दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दल को राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य प्रतिद्वंदी बनने से रोकने का मौका होगा।

खतरे
– हाल ही में मोरबी में हुए पुल हादसे के चलते भाजपा पर असर पड़ सकता है। घटना में 135 लोगों की मौत हो गई थी।
– खबरें हैं कि मजबूत केंद्रीय नेतृत्व के चलते भाजपा में आंतरिक कलह अब तक छुपी हुई है, लेकिन हार की स्थिति में दरारें खुलकर सामने आ सकती हैं।
– अगर हालात हंग असेंबली के बनते हैं तो पार्टी को राज्य में बहुमत हासिल करने के लिए गठबंधन के साथी को खोजने में मुश्किलें हो सकती हैं।
– अगर आप कुछ स्थानों पर सीटें जीतने में सफल हो जाती है, तो भाजपा के सामने नई चुनौतियां आ सकती हैं। साल 2002 से भाजपा का सीटों का आंकड़ा लगातार गिर रहा है।

गुजरात चुनाव कार्यक्रम
गुरुवार को आयोग ने चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इसके तहत राज्य की 182 सीटों वाली विधानसभा के लिए दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 89 सीटों पर वोटिंग 1 दिसंबर को होगी। जबकि, मतदाता दूसरे चरण में 93 सीटों पर 5 दिसंबर को वोट डालेंगे। मतगणना हिमाचल प्रदेश के साथ ही 8 दिसंबर को होगी। पहाड़ी राज्य में 12 नवंबर को मतदान होगा।

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