किस प्रकार से अग्रसर होगी शिक्षा?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अधिकांश क्षेत्रों में डिजिटलाइजेशन का तेजी से उपयोग हो रहा है। साथ ही इसका दायरा निरंतर बढ़ता जा रहा है। इस बीच तकनीक आधारित शिक्षा का तेजी से प्रचार-प्रसार हो रहा है। ऐसी स्थिति में पुरानी शिक्षा पद्धति में परिवर्तन आवश्यक हो गया है। वर्ष 2022-23 के आम बजट में शिक्षा के नवीनीकरण और डिजिटलाइजेशन की ओर विशेष ध्यान दिया गया है। शिक्षा पर होने वाला खर्च जो 2021-22 में 2020-21 की अपेक्षा लगभग छह प्रतिशत कम कर दिया गया था, यानी 99311 करोड़ रुपये से घटकर 93224 करोड़ रुपये रह गया था, उसे 2022-23 के बजट में 6.4 प्रतिशत बढ़ाकर 40828 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
कोरोना के कारण पिछले दो वर्षों से बच्चे स्कूल जाने से वंचित हैं। ऊंची कक्षाओं की पढ़ाई आनलाइन होती रही, किंतु स्कूली शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई। गांवों में विशेषकर पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा का दरवाजा लगभग बंद ही हो गया था। इस कमी को पूरा करने के लिए बजट में विशेष प्रविधान किए गए हैं। कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नई तकनीक का सहारा लिया जाएगा।
शिक्षकों को डिजिटल एजुकेशन में प्रशिक्षित करने के लिए भी बजट में विशेष प्रविधान किए गए हैं। देश की सभी भाषाओं में डिजिटल एजुकेशन हो सके इसके लिए सरकार ने बजट में सजकता दिखाई है। पहली से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए -एक क्लास एक टीवी चैनल- योजना का विस्तार किया जाएगा। ऐसे टीवी चैनलों की संख्या 12 से बढ़कर अब 200 हो जाएगी। विभिन्न भाषाओं के अलग-अलग चैनल होंगे, ताकि छात्र अपनी भाषा में शिक्षा प्राप्त कर सकें।
आनलाइन शिक्षा में छात्रों का प्रवेश राष्ट्रीय स्तर पर होगा, देश के किसी कोने में रहने वाले कहीं से भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। टीवी, मोबाइल, स्मार्टफोन, इंटरनेट से आनलाइन शिक्षा की सुविधा का व्यापक विस्तार होगा। दूरसंचार के जरिये शिक्षा का प्रसार तेजी से हो पाएगा, विशेषकर गांवों एवं छोटे शहरों के छात्र शिक्षा के नए पोर्टलों से बहुत लाभान्वित होंगे।
युवाओं में कौशल बढ़ाने एवं आजीविका के साधनों के विकास में डिजिटल शिक्षा विशेष लाभदायक साबित होगी। डिजिटल इको सिस्टम कौशल विकास और आजीविका के लिए एक विशेष पोर्टल लांच किया जाएगा जो कौशल प्रशिक्षण और उसे अपडेट करने में भी सहायक होगा। इस पोर्टल का उपयोग नौकरी तलाशने एवं नए उद्योग-धंधे लगाने के अवसरों के बारे में भी जानकारी के लिए किया जा सकेगा।
बजट में विश्व स्तर की एक डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना का भी प्रविधान है, जहां से छात्र घर बैठे अपनी भाषा में उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।
देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्थान इसके संचालन में सहयोग करेंगे। कृषि शिक्षा के नवीनीकरण और गुणवत्ता में वृद्धि के लिए आधुनिक विषय और तकनीक शामिल किए जाएंगे। कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में आवश्यक परिवर्तन किया जाएगा। प्रकृति आधारित और आर्गेनिक खेती को कृषि शिक्षा का अंग बनाया जाएगा।
गंगा के किनारे रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती की शुरुआत की जाएगी। सरकार और निजी क्षेत्र के सहयोग से किसानों को डिजिटल सेवाएं प्रदान की जाएंगी। कृषि पदार्थों की ब्रांडिंग का भी विकास किया जाएगा। कृषि उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता दी जाएगी। ड्रोन भी अब किसानों की सेवा में लगाए जाएंगे।
डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिक विद्यालय स्तर से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक के अध्यापकों के बड़े स्तर पर प्रशिक्षण की आवश्यकता है। साथ ही विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में कंप्यूटर एवं इलेक्ट्रानिक उपकरणों के लिए विशेष धन आवंटित करने की भी आवश्यकता है। बजट में जो प्रविधान किए गए हैं उनमें और वृद्धि करनी पड़ सकती है। शिक्षा को जो नई दिशा देने का प्रयास हो रहा है वह प्रशंसनीय है, इसके क्रियान्वयन में राज्य सरकारों की भूमिका भी अहम होगी।
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