नाबालिग से रेप मामले में पुलिस के रवैये पर मानवाधिकार आयोग सख्त.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
वर्ष 2019 में धनबाद के पुराना बाजार की एक किशोरी के अपरहण व दुष्कर्म की घटना में पुलिस कार्रवाई को असंवेदनशील करार देते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इसे गंभीरता से लिया है। आयोग ने डीजीपी को आदेश दिया है कि वे धनबाद के पूर्व एसएसपी किशोर कौशल और डीएसपी लॉ एंड ऑर्डर मुकेश कुमार के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई करें।
आयोग ने महिला थाना की पूर्व प्रभारी मारिस्टेला गुड़िया के खिलाफ आईपीसी की धारा 166ए के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का भी निर्देश दिया है। साथ ही बैंक मोड़ के तत्कालीन थाना प्रभारी और किशोरी की गुमशुदगी के सनहा के अनुसंधानकर्ता एएसआई अमोद कुमार के खिलाफ उचित विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया है। आयोग ने इस संबंध में झारखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी को पत्र लिखा है। आरोपित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर आयोग को सूचित करने को कहा गया है।
40 दिनों तक बंधक बना कर किया गया था रेप
पुराना बाजार में रहनेवाली किशोरी 19 अक्तूबर 2019 को महिला थाना पहुंची थी। उसने आरोप लगाया था कि उसकी एक सहेली ने उसे झांसा देकर बर्थडे पार्टी में बुलाया था। सरायढेला थाना क्षेत्र के कार्मिक नगर में स्थित परमेश्वरी अपार्टमेंट के एक फ्लैट में उसे बंधक बना कर रखा गया। वहां नटराज ट्रांसपोर्ट के अमित दत्ता ने किशोरी के साथ तीन बार दुष्कर्म किया। उसकी सहेली उसे बेहोशी की दवा देती थी। उसे दूसरे लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए बाध्य किया जाता था। नहीं मानने पर कपड़े के गर्म आयरन से उसके शरीर के कई अंगों को दागा गया था। काफी यातनाओं के बाद उसे बगल के एक पड़ोसी के पास झूठ बोल कर रखवाया गया। पड़ोसी की मदद से किशोरी 18 अक्तूबर 2019 को वहां से मुक्त होकर अपने घर पहुंची थी।
पुलिस अधिकारियों ने नहीं सुनी फरियाद
किशोरी के साथ दरिंदगी की सारी हदें पार हो गईं लेकिन थाने में शिकायत के बावजूद मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। छह नवंबर 2019 को इस मामले की शिकायत झारखंड अस्मिता जागृति मंच के अध्यक्ष रंजीत सिंह परमार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की। उन्होंने आरोप लगाया कि किशोरी की गुमशुदगी की रिपोर्ट बैंक मोड़ थाने में दर्ज की गई थी। किशोरी किसी तरह आरोपियों के चंगुल से छूटी और 19 अक्तूबर 2019 को अपने पिता के साथ बैंक मोड़ थाना पहुंची। बैंक मोड़ में एएसआई अमोद कुमार को पूरी बात बताई लेकिन उसकी फरियाद नहीं सुनी गई। इसके बाद पीड़ित ने मामले की शिकायत महिला थाना में की। महिला थाना प्रभारी मारिस्टेला गुड़िया और थाना की लीगल एडवाइजर लोपा मुद्रा ने आरोपी अमित दत्ता से मिल कर मामले को दबा दिया। साथ ही पीड़िता को पैसों का लालच देकर केस नहीं करने का दबाव बनाया।
पांच दिनों की जांच के बाद आयोग की टीम ने सौंपी रिपोर्ट
रंजीत सिंह परमार के शिकायत पर कार्रवाई के लिए मानवाधिकार आयोग ने राजेंद्र सिंह और मनोज दहिया के नेतृत्व में एक टीम गठित की थी। दिल्ली से धनबाद पहुंची टीम ने 14 सितंबर 2020 से 18 सितंबर 2020 तक केस के विभिन्न पहलुओं की जांच की। जांच के बाद मामले की रिपोर्ट आयोग के चेयरमैन को सौंपी गई। आयोग के निर्देश पर डीजीपी ने एसएसपी को महिला थाना प्रभारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने तथा आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई तय करने को कहा है। बताया जा रहा है कि तत्काल प्रभाव से महिला थाना की एडवाइजर लोपा मुद्रा की सेवा थाना से समाप्त कर दी गई है।