उच्च रक्तचाप दिवस: जन-जागरूकता को लेकर जिले में 17 से 23 मई तक मनाया जाएगा पखवाड़ा 

उच्च रक्तचाप दिवस: जन-जागरूकता को लेकर जिले में 17 से 23 मई तक मनाया जाएगा पखवाड़ा

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उच्च रक्तचाप का दूसरा नाम साइलेंट किलर: डॉ वीपी अग्रवाल
जिले के लगभग 30 हजार व्यक्तियों की चल रही है दवा: डब्ल्यूएचओ
अनिवार्य रूप से रक्तचाप की नियमित तौर पर जांच करानी चाहिए: सलाहकार

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):


हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) जैसी बीमारी से बचाव एवं सुरक्षित रहने को लेकर प्रत्येक वर्ष 17 मई को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस के रूप में मनाया जाता है। वही 17 से 23 मई तक पखवाड़ा के रूप में इसे मनाया जा रहा है। इसके लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा प्रचार प्रसार के लिए माइकिंग की व्यवस्था की गई है। इस दौरान लोगों को उच्च रक्तचाप होने के लक्षणों की जानकारी देने के साथ ही इससे बचाव के उपायों की जानकारी दी जाएगी। इसको लेकर राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर में प्रचार वाहन को संचारी रोग पदाधिकारी डॉ विष्णु प्रसाद अग्रवाल, डॉ हर्षिता चौहान एवं डॉ रोहित कुमार के द्वारा संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इस अवसर पर डब्ल्यूएचओ के एनसीडी सलाहकार शेखर कपूर, सिफ़ार के धर्मेंद्र रस्तोगी, लेखापाल केशव कुमार, मनोवैज्ञानिक धीरेंद्र कुमार, स्टाफ़ नर्स स्मिता कुजूर, कुलदीप सिंह एवं परामर्शी अनु कुमारी सहित कई अन्य कर्मी उपस्थित थे।

 

उच्च रक्तचाप का दूसरा नाम साइलेंट किलर: डॉ वीपी अग्रवाल
संचारी रोग पदाधिकारी डॉ विष्णु प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप धीरे-धीरे नजर आने वाला रोग है। जिसकी जानकारी आम लोगों को कुछ समय के बाद मिलती है। सबसे अहम बात यह है कि वर्तमान समय में खराब जीवन शैली के कारण होने वाले उच्च रक्तचाप से युवा वर्ग ख़ासकर 30 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र में व्यक्ति सबसे अधिक शिकार हो रहे हैं। कभी-कभी परिवार के अन्य सदस्यों के उच्च रक्तचाप के शिकार होने पर आनुवांशिक रूप से उनके बच्चे भी इसके शिकार हो जाते हैं। इससे सुरक्षित रहने के लिए हम सभी या आने वाली पीढ़ियों को 30 वर्ष की उम्र के बाद साल में एक बार अपनी स्वास्थ्य जांच आवश्यक रूप से करवानी चाहिए। जांच के बाद अगर किसी का रक्तचाप ज्यादा है तो इसका इलाज कराना चाहिए। क्योंकि 80 से 85 प्रतिशत लोगों में उच्च रक्तचाप का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। लेकिन कभी-कभी कुछ लोगों को यह बीमारी जीवन के अंतिम समय में हृदयघात, लकवा, किडनी फेल के रूप में प्रकट हो जाता है। जिस कारण अधिकांश लोग काल के गाल में समा जाते हैं। इसीलिए इस बीमारी को ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है।

जिले के लगभग 30 हजार व्यक्तियों की चल रही है दवा: डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ के सलाहकार शेखर कपूर ने बताया कि जिले में अभी तक लगभग 3 लाख से अधिक व्यक्तियों का पंजीकरण कराया गया है। जबकि 2,42,092 लोगों की स्क्रीनिंग में से 30,847 लोगों में बीमारी का पता चला है। जिसमें 30,551 जिलेवासियों की दवा चल रही है। जीएमसीएच के ओपीडी के अलावा जिले के एडीएच, रेफ़रल अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी, एपीएचसी, यूपीएचसी एवं एचडब्ल्यूसी पर चिकित्सकों द्वारा निःशुल्क रूप से बीपी, मधुमेह एवं कैंसर को लेकर उचित परामर्श दिया जाता है।

 

अनिवार्य रूप से रक्तचाप की नियमित तौर पर जांच करानी चाहिए: सलाहकार
डब्ल्यूएचओ के सलाहकार ने आमलोगों से अपील करते हुए कहा कि उच्च रक्तचाप के शिकार लोगों को बचाव के लिए खुद का ध्यान रखना जरूरी होता है। इसके लिए हम सभी को अपना वजन नियंत्रित रखना, शारीरिक गतिविधियों में वृद्धि, संतुलित आहार, ताज़ा फल एवं हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन, रक्तचाप की नियमित जांच, चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार आवश्यक दवाओं का सेवन, शराब या तंबाकू का सेवन वर्जित करना, तनाव से दूर रहना, तेल, घी, अत्यधिक नमक का सेवन कम करना आदि का विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ेगा।

 

उच्च रक्तचाप के मुख्य कारण:
-अधिक वजन व मोटापा।
-शराब/तम्बाकू का अत्यधिक सेवन।
-गुर्दा की बीमारी।
-तनाव का होना।
-अत्यधिक नमक का सेवन।
-परिवार के किसी सदस्य के उच्च रक्तचाप से ग्रसित होने का इतिहास।

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