मैं कोई चमत्कारी व्यक्ति नहीं हूं, आपका-हमारा शास्वत संबंध है उसे निभाने आया हूं- जगतगुरु रामभद्राचार्य जी
मैं यहां कथा कहने नहीं बल्कि कुछ करने आया हूं, मुझे बक्सर को अपने प्रेम से जीतना है प्रभाव से नहीं- जगतगुरु रामभद्राचार्य जी।
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
बिहार में बक्सर स्थित अहरौली के सनातन संस्कृति समागम में शुक्रवार को जगदगुरू रामभद्राचार्य जी ने अपने संक्षिप्त कथा वाचन में कहा कि मैं बक्सर को इतना आगे लाकर खड़ा कर दूंगा, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। मुझे बक्सर को देना है इसलिए मैं यहां श्रीराम की सबसे ऊंची प्रतिमा, जो 1000 फीट से भी ऊंची होगी, वह यहां लगाई जाएगी।
इस प्रतिमा के लिए पहला चंदा मैं दूंगा। अपनी तुलसी पीठ की ओर से मैं नौ लाख रुपये का चंदा देता हूं। मुझे अपने ब्राह्मण होने का गर्व है, मैं विरक्त हूं,साधु हूॅ, सन्यासी हूँ, जगतगुरु रामभद्राचार्य हूॅ।
इस सबसे ऊंची प्रतिमा का निर्माण 2024 तक हो जाना चाहिए क्योंकि इस मूर्ति के अनावरण में मैं स्वयं उपस्थित रहूंगा और इस समारोह का मुख्य अतिथि नरेंद्र मोदी को बनाऊंगा, जो इस प्रतिमा का अनावरण करेंगे। हमारी दो संस्थाएं हैं तुलसी पीठ और रामानंद मिशन। मैं तुलसी पीठ की ओर से ₹9 लाख का एक राशि भेंट करता हूं ताकि विश्व की सबसे ऊंची राम की प्रतिमा यहां स्थापित हो जाए और हजारों वर्षों तक लोग इसे याद रखें।
याद रखिए इस प्रतिमा का नाम होगा स्टैचू आफ ऑलमाइटी। मैं चमत्कार में विश्वास नहीं करता हूं, नमस्कार में विश्वास करता हूँ। रामजी ने ऐतिहासिक कार्य किए हैं तो उनकी ऐतिहासिक प्रतिमा भी बननी चाहिए इसलिए इस प्रतिमा का नाम स्टेचू ऑफ़ अल्माटी होगा। मैं 75 लाख साधुओं का नेतृत्व करता हूं इसलिए मैं यह बात आपसे कह रहा हूं।
मैं एक व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हूं उनका नाम तुलसीदास है, जिन्होंने उत्तर से दक्षिण तक भारत को राममय कर दिया, अगर वह ना होते तो हिंदुओं की बेटी, चोटी और रोटी का क्या होता,आप खुद समझ सकते हैं। मैं यहां कथा कहने नहीं बल्कि कुछ करने आया हूं, मुझे बक्सर को अपने प्रेम से जीतना है,प्रभाव से नहीं।
हिंदू धर्म भारतीयता के शास्वता का पर्याय है। धर्म का अर्थ ‘कर्तव्य’ होता है, धर्म सापेक्ष होता है, यही कारण है कि संसद भवन में ‘धर्म चक्र परिवर्तनाय:’ लिखा हुआ है। अर्थात यह संसद धर्म चक्र के परिवर्तन के लिए उपस्थित हो रहा है। हम सबको अपना-अपना कर्तव्य करना चाहिए। हम मेंबर ऑफ पार्लियामेंट होने से पहले ‘मेंबर ऑफ परमात्मा’ है।
जगतगुरू ने भोजपुरी साहित्य पर अपने ज्ञान को साझा करते हुए कि भोजपुरी में श्रीराम का कितना विपुल साहित्य है,अगर आज के भोजपुरी गायक देवर-भाभी वाले गीतों को छोड़कर श्रीराम को गा लेते तो कल्याण हो जाता। भोजपुरी की अश्लीलता को लेकर लोगों के मन-मस्तिक में एक भावना बैठ गई है, उसे दूर करना आवश्यक है। इसलिए भोजपुरी के विकास के लिए हमें श्रीराम जी के साहित्य को आगे लाना होगा, उनके गीतों को गाना होगा,ताकि समाज से गंदगी दूर हो जाए।
वहीं कथा को आगे बढाते हुए उन्होंने कि “हाथ जोरी पाॅव परी करिला विनितियाॅ।
देत ना बनेला बबुआ राम,ये बक्सर के बाबा”।
दो अक्षर की सारी वस्तुएं ले लिजिए,लेकिन दो अक्षर के राम को मत लिजिये बाबा।
इस संगीतमय रामकथा वाचन में हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालु भक्तगणों में विशेषकर महिलाएं उपस्थित रही।
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