मैं भाजपा या कांग्रेस का प्रवक्ता नहीं,इसे अन्यथा ना ले!
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
ठीक से तो याद नहीं पर 25 या 26 फरवरी 2019 रहा होगा। छपरा राजेन्द्र स्टेडियम में एक भव्य सामारोह के बाद माननीय सांसद राजीव प्रताप रूडी अपने संसदीय क्षेत्र के विभिन्न पंचायतो (45 से अधिक पंचायत) को एम्बुलेंस सेवाओं से सुशोभित किया। मढ़ौरा में जिन पंचायतों को यह सुविधा प्राप्त हुआ,उनमे मेरा पंचायत भी था। एम्बुलेंस मिलने के डेढ़ वर्ष पूर्व से मेरी बातचीत सांसदजी से इस सुविधा के लिए हो रही थी। तो अंततः मुझे यह मिला। कल एम्बुलेंस की कतारें जो दिख रही थी उनमें कहीं मे मेरे पंचायत का भी एक एम्बुलेंस होगा। मै उस वाहन को ढंग से नहीं चलवा पाया यह मेरी विफलता है।
बीते कुछ वर्षों में पप्पू यादव जी अपनी आपराधिक छवि को तोड़ते हुए एक सच्चे जनसेवक की तरह बिहार की राजनीतिक पटल पर उभरे है, इसमें कोई दो राय नहीं। हर विपदा में वह बिहार के साथ खड़े हुए है जब पक्ष और विपक्ष नदारद हुआ होता है। पर अभी जो हंगामा उन्होंने बरपा रखा है उसमें कुछ तथ्यों की उन्हें जानकारी ही नहीं और कुछ बातें वो बस यूं ही बोल रहे।
1. पूर्व में भी सांसद नीधि कोष से राजीव प्रताप रूढ़ी जी कई बार सारण की जनता को एम्बुलेंस सेवा दी है जो आज भी जिला और रेफरल अस्पताल में सुचारू सेवाएं दे रही है। आज के परिदृश्य में रूडीजी की दूरदर्शिता को दिखाता है।
2. पंचायतों को दी गई एम्बुलेंस उस पंचायत के मुखिया का नहीं, बल्कि पंचायत स्तर बनी समिति के अधीन था। समिति में उस पंचायत का वर्तमान मुखिया,पंचायत सचिव,विकास मित्र और ANM थे। पंचायत के मुखिया को पंचायत के प्रति समर्पित मान एम्बुलेंस को उसके हवाले किया गया। पंचायत उन्हें ढंग से नहीं चला पाई और उस एम्बुलेंस को वापस कर दिया जो कतारों में जयप्रभा हॉस्पिटल के पास लगी है।
3. पंचायत में यह सेवा सुचारू ना रह पाने का कारण भी यह गाड़ी मुखिया जी लोगों के पास होना था। यह मेरा निजी अनुभव है। जो जनता आज सांसद महोदय को भला बुरा कह रही वो सही होती तो यह सेवा निरंतर होता। मैंने यह सेवा लगभग 10 महीने रखा है। अपने पंचायत तो क्या अगल बगल की सभी पंचायत के जरूरतमंदों को मैंने यह सेवा दी है। दुख होता था, गरीब मरीज तो क्या जब सक्षम लोग भी सरकारी गाड़ी का उलाहना दे वाजिब किराया नहीं देते।
उस वक़्त जो किराया निर्धारित था वो था 12/प्रति किलोमीटर। किराया तो छोड़ दे सुबह से शाम तक रुकने वाला एम्बुलेंस ड्राइवर को भोजन तक पूछने की किसी को फुर्सत न होती।आधी रात को जग मरीजो को हॉस्पिटल तक छोड़ने वाले ड्राइवर को भाड़ा किराया तो छोड़िए चाय के पैसे भी नही मिलते थे। एम्बुलेंस को पंचायत में रख लोगो के जरूरत के समय सेवा ना देना भी कहीं से उचित न था। उस परिस्थितियों में वाहन को पंचायत से लौटना ही एक मात्र विकल्प था।
4. रूडी जी ने ड्राइवर को लेके जो जो बात कहीं वो 16 आने सच है। यह और बात है कि राष्ट्रीय पटल उनके द्वारा यह बात जल्दीबाजी में लिया गया बयान कहा जा सकता है और निन्दा की जा सकती है, पर बाते सच तो है। पप्पू यादव जी 40 ड्राइवर की फौज खड़ी कह कहते है कि इन्हें सरकारी नौकरी दे और एम्बुलेंस चलवाये। अरे महाराज सरकारी नौकरी देने की गारंटी पर तो एक पंचायत से सैकड़ों की संख्या में ड्राइवर आएंगे। आपदा को अवसर समझने वाले लुटेरों के लिए सरकार की निर्धारित राशि पर इस कोविड काल एम्बुलेंस चल जाए तो बहुत ही अच्छा।
5. भला बुरा तो किसी को कह सकते है पर,रूडी जी के कन्ट्रोल रूम 1800 345 6222 पर फ़ोन कर एम्बुलेंस या अन्य स्वास्थ्य सेवा सहित कई तरह की उचित सेवाएं ले सकते है 24×7। उदाहरण के लिए बता दूं कि मेरे बग़ल के पंचायत के एक कोविड पेसेंट जो बंगलूरू में थे, जिनकी कही से कोई मदद नहीं हो पा रही थी हॉस्पिटल में दाखिल होने के लिए। तब सांसद कंट्रोल रूम से संपर्क करने पर सांसद महोदय ने खुद संज्ञान लिया और उस परिवार से संपर्क किया। तब वहाँ के CMO ऑफिस ने उस रोगी को वेंटिलेटर और ICU दिलवाया।
6. पंचायतों को दिया एम्बुलेंस बालू ले जा रहा या दारू। यह वो पंचायत जाने । इसमें सांसद महोदय क्या कर सकते है।
7. पप्पू जी ने कहा कि जिस पंचायत का मुखिया उन्हें चुनाव में मदद नहीं किया उसका एम्बुलेंस वो ले लिए यह गलत है। सुचारू सेवा नहीं दे पा रहे पंचायतों ने अपनी स्वेक्षा से वह गाड़ी लौटाया है। रूढ़ी जी ने पंचायत को यह सेवा देते वक्त यह वादा भी किया था कि शेष बचे पंचायतो को भी यह आने वाले समय मे यह सुविधा दी जाएगी।
8. जिस जगह पप्पू जी को एम्बुलेंस खड़ी मिली वो रूढ़ी जी का घर नहीं सरकारी बिल्डिंग है और एम्बुलेंस भी सरकार का है उपयोग करें। रूढ़ी जी गलती है कि समय पर उन्होंने उपयोग की अनुशंसा नही की।
तो जरूरी नही की सेवादार पप्पू जी का हर वाक्य सही हो। सभी तथ्यों को जानकर बोलना सही होता है।
जाप प्रमुख की फिलवक्त की छवि हर जाति,हर वर्ग के लोगो को पसंद है। ऐसे नेताओं को विपदा मे जनता जनार्दन अपने भविष्य के जनप्रतिनिधि के रूप में देखते है पर चुनाव आते आते जाति धर्म में बंटकर भूल जानते है।
मैं भाजपा या कांग्रेस का प्रवक्ता नहीं। यह मेरे अधिकतम ज्ञान, निजी अनुभव पर लिखा गया है अन्यथा ना ले।
आभार-फेसबुक
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- पत्रकार और राजनीतिक नामधारी गिद्ध गर्व के साथ ब्रेकिंग न्यूज बनाने में व्यस्त हैं।
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