मैं हिंदी का कभी विरोध नहीं किया- पवन कल्याण
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जनसेना पार्टी के प्रमुख ने आगे लिखा, “बहुभाषी नीति छात्रों को अधिकाधिक विकल्प प्रदान करने, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और भारत की समृद्ध भाषायी विविधता को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है। राजनीतिक एजेंडे के तहत इस नीति की गलत व्याख्या करना और यह दावा करना कि मैंने इसपर अपना रुख बदल दिया है, केवल पारस्परिक समझ की कमी को दर्शाता है।”
हिंदी का विरोध कर रहे नेताओं और अभिनेताओं पर निशाना साधते हुए पवन कल्याण ने कहा था कि वे बालीवुड से पैसा चाहते हैं, लेकिन हिंदी को स्वीकार करने से इनकार करते हैं। यह किस तरह का तर्क है। देश की भाषाई विविधता पर जोर देते हुए कल्याण ने कहा कि देश को तमिल समेत कई भाषाओं की जरूरत है, न कि सिर्फ दो प्रमुख भाषाओं की। हमें भाषाई विविधता को अपनाना चाहिए।
हमें भाषाई विविधता को अपनाना चाहिए- पवन
काकीनाडा जिले में एक कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पवन कल्याण ने कहा कि भारत को दो नहीं, तमिल समेत अनेक भाषाओं की जरूरत है। हमें भाषाई विविधता को अपनाना चाहिए, न सिर्फ अपने देश की अखंडता को बनाए रखने के लिए बल्कि अपने लोगों के बीच प्रेम और एकता को बढ़ावा देने के लिए भी।
जनसेना पार्टी के 12वें स्थापना दिवस समारोह में बोले पवन कल्याण
कल्याण जिले के पीथापुरम शहर में जनसेना पार्टी के 12वें स्थापना दिवस समारोह में बोल रहे थे। पवन कल्याण की यह टिप्पणी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा केंद्र सरकार पर ‘हिंदी थोपने’ और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के त्रि-भाषा फॉर्मूले को लागू करने से इनकार करने के आरोपों के बीच आई है।
वित्तीय लाभ के लिए तमिल फिल्मों को हिंदी में डब करने की अनुमति क्यों
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) पर सीधे नाम लिए बिना कटाक्ष करते हुए कल्याण ने तमिलनाडु के राजनेताओं पर पाखंड का आरोप लगाया और कहा कि वे हिंदी का विरोध करते हैं, लेकिन वित्तीय लाभ के लिए तमिल फिल्मों को हिंदी में डब करने की अनुमति देते हैं।
तमिलनाडु के राजनेता हिंदी का विरोध क्यों करते हैं- पवन कल्याण
पवन कल्याण ने सवाल पूछा कि मुझे समझ में नहीं आता कि कुछ लोग संस्कृत की आलोचना क्यों करते हैं। तमिलनाडु के राजनेता हिंदी का विरोध क्यों करते हैं, जबकि वित्तीय लाभ के लिए अपनी फिल्मों को हिंदी में डब करने की अनुमति देते हैं? वे बॉलीवुड से पैसा चाहते हैं, लेकिन हिंदी को स्वीकार करने से इनकार करते हैं – यह किस तरह का तर्क है?