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'जेल में था, मरा नही हूं'- आनंद मोहन - श्रीनारद मीडिया

‘जेल में था, मरा नही हूं’- आनंद मोहन

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन समेत 27 कैदियों को कारा नियमों में संशोधन के बाद रिहा करने का आदेश जारी कर दिया गया है।

कहा जा रहा है कि आनंद मोहन को जेल से निकालने के लिए ही बिहार सरकार ने जेल नियमों में संशोधन किया है। इसको लेकर पूर्व सांसद आनंद मोहन ने बिलकिस बानो (Bilkis Bano) के मामले का जिक्र करते हुए विरोधियों पर निशाना साधा।

बता दें कि आनंद मोहन अपने बेटे और विधायक चेतन आनंद की शादी को लेकर पैरोल पर बाहर निकले हैं। मंगलवार को उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान कहा कि गुजरात में भी माला पहना कर लोगों को रिहा किया गया। नीतीश कुमार और राजद के दबाव में कुछ फैसले लिए गए।

भाजपा में शामिल होने पर क्या बोले आनंद मोहन

वहीं, जब पूर्व सांसद से पूछा गया कि भाजपा भी आपकी रिहाई की मांग करती रही है, तो ऐसे में किस पार्टी से राजनीतिक करियर का पार्ट-2 शुरू करेंगे। इसपर आनंद मोहन ने कहा कि बेटे की शादी के बाद फिर से जेल जाना है। फिर जब रिहाई पर ठप्पा लगेगा, तो लोगों को बुलाकर तय करेंगे कि क्या करना है। आनंद मोहन ने कहा कि मैं मरा नहीं हूं। जेल में ही था। इसलिए राजनीतिक सफर का अंत नहीं हुआ है।

मायावती को मैं नहीं जानता- आनंद मोहन

वहीं, उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती द्वारा रिहाई का विरोध करने पर आनंद मोहन ने कहा कि कौन मायावती। मैं नहीं जानता हूं। कलावती को जानता हूं। सत्यनारायण भगवान की कथा में नाम सुना है। मायावती कौन है, क्या बोली, यह जानने का मुझे वक्त भी नहीं है।

पीएम मोदी के खिलाफ नीतीश के अभियान पर बोले पूर्व सांसद

आनंद मोहन ने नीतीश कुमार द्वारा जारी विपक्षी एकजुटता की पहल पर कहा कि वे अपने मुहिम पर हैं। देश में एक सशक्त प्रतिपक्ष की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं होगा तो देश में तानाशाही का दौर आने की संभावना है। लोकतंत्र में व्यक्ति की नहीं, विचारधारा की पूजा हो। लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष का तकाजा है।

बता दें कि पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। बिहार सरकार द्वारा जेल नियमों में संशोधन के बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाएगा, जिसमें उनके सहित 27 दोषियों को रिहा करने की अनुमति दी गई है।

बिहार में बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई सुर्खियों में है। उनकी रिहाई के फैसले को लेकर नीतीश सरकार सवालों के घेरे में हैं। एक तरफ भाजपा आनंद मोहन की रिहाई का खुलकर विरोध नहीं कर पा रही है। वहीं, कांग्रेस ने बिहार सरकार के इस फैसले का खुलकर विरोध किया है।

कांग्रेस नेता पी.एल.पुनिया ने कहा कि गोपालगंज के डीएम की हत्या करने वाले आनंद मोहन को सजा से पहले छोड़ने के लिए कानून के नियमों में संशोधन किया गया, जिससे वे जल्दी रिहा हो जाए। इससे देश में गलत संदेश जा रहा है।

साथ ही उन्होंने सेंट्रल IAS एसोसिएशन की मांग को भी सही ठहराया। उन्होंने कहा कि इस फैसले को वापस लेना चाहिए। ये सही मांग है और बिहार सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।

बलि के बकरे बन गए थे आनंद मोहन-गिरिराज सिंह

वहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने आनंद मोहन की रिहाई का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है। वे तो बलि के बकरे बन गए थे।

मांझी बोले-आनंद मोहन अच्छे आदमी

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के संरक्षक जीतनराम मांझी ने कहा कि आनंद मोहन अच्छे आदमी हैं। हम नहीं कह सकते हैं कि वे बुरे आदमी हैं। बिहार सरकार ने कानून में संशोधन कर आनंद मोहन को छुड़ाने का फैसला सोच-समझकर किया होगा, हम इसपर टिप्पणी नहीं करेंगे।

मांझी ने आगे कहा कि आनंद मोहन के छूटने से गरीबों का सर्वनाश होगा या गरीबों पर अत्याचार होगा, ऐसा हम नहीं मानते हैं। वे क्रिमिनल नहीं हैं।

ललन सिंह का पलटवार- सुशासन में आम और खास में नहीं किया जाता अंतर

भाजपा के आरोपों पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने कहा कि पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई पर अब भाजपा खुलकर आई है। पहले वह यूपी की अपनी बी टीम से विरोध करवा रही थी। भाजपा को यह पता होना चाहिए कि नीतीश कुमार के सुशासन में आम व्यक्ति और खास व्यक्ति में कोई अंतर नही किया जाता है।

ललन सिंह ने आगे कहा कि आनंद मोहन ने पूरी सजा काट ली और जो छूट किसी भी सजायाफ्ता को मिलती है, वह छूट उन्हें नहीं मिल पा रही थी, क्योंकि खास लोगों के लिए नियम में प्रावधान किया हुआ था। उन्होंने सवाल किया कि अब भाजपाइयों के पेट में दर्द क्यों होने लगा है? उन्होंने कहा कि भाजपा का सिद्धांत ही है विरोधियों पर पालतू तोतों को लगाना, अपनों को बचाना और विरोधियों को फंसाना है।

निखिल मंडल का शायराना अंदाज-छुपाना भी नहीं आता, बताना भी नहीं आता

इधर, भाजपा के आरोपों पर जेडीयू नेता निखिल मंडल ने भी शायराना अंदाज में निशाना साधा। निखिल मंडल ने टिवटर पर आनंद मोहन के साथ सुशील मोदी की तस्वीर शेयर की। जिसके कैप्शन में उन्होंने लिखा कि ‘छुपाना भी नहीं आता, बताना भी नहीं आता…भाजपाई बड़े कन्फ्यूज्ड हैं..!!’

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