मोदी जी का सिपाही बनकर काम करूंगा–हार्दिक पटेल.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल हो गए हैं। इस बीच भाजपा ज्वाइन करने से पहले हार्दिक पटेल ने ट्वीट भी किया है। हार्दिक पटेल ने ट्वीट कर कहा कि वह छोटा सिपाही बनकर काम करेंगे। बता दें कि हार्दिक पटेल ने बीते महीने कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
हार्दिक ने गुरुवार सुबह एक ट्वीट कर कहा, ‘राष्ट्रहित, प्रदेशहित, जनहित एवं समाज हित की भावनाओं के साथ आज से नए अध्याय का प्रारंभ करने जा रहा हूं। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्र सेवा के भगीरथ कार्य में छोटा सा सिपाही बनकर काम करूंगा।’
राष्ट्रहित, प्रदेशहित, जनहित एवं समाज हित की भावनाओं के साथ आज से नए अध्याय का प्रारंभ करने जा रहा हूँ। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्र सेवा के भगीरथ कार्य में छोटा सा सिपाही बनकर काम करूँगा।
पद का लालच नहीं- हार्दिक पटेल
हार्दिक ने कहा कि आजतक मैंने पद के लालच में कहीं भी किसी भी प्रकार की मांग नहीं रखी। कांग्रेस को भी मैंने काम मांगते हुए छोड़ा और भाजपा में भी मैं काम करने की परिभाषा के साथ जुड़ रहा हूं। स्थान की चिंता कमजोर लोग करते हैं। मजबूत लोग कभी भी स्थान की चिंता नहीं करते हैं।
इन सीटों से चुनाव लड़ने की अटकलें
बताया जा रहा है कि हार्दिक पटेल का आगामी विधानसभा चुनाव लड़ना तय है। हार्दिक सौराष्ट्र की मोरबी या अहमदाबाद जिले में अपने पैतृक गांव वीरमगाम सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने भाजपा से चुनाव लड़ने के संकेत भी दिए थे।
18 मई को दिया था कांग्रेस से इस्तीफा
गौरतलब है कि हार्दिक पटेल ने 18 मई को गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के साथ-साथ प्राथमिक सदस्य के रूप में इस्तीफा दिया था। कांग्रेस छोड़ते वक्त हार्दिक ने कहा था कि मुझे विश्वास है कि मेरे इस निर्णय का स्वागत मेरा हर साथी और गुजरात की जनता करेगी। मैं मानता हूं कि मेरे इस कदम के बाद मैं भविष्य में गुजरात के लिए सच में सकारात्मक रूप से कार्य कर पाऊंगा।
गुजरात में चुनाव के मद्देनजर सियासत अपने चरम पर है। पाटीदार समुदाय के बड़े नेता व कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हार्दिक पटेल के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा हैं। बता दें कि यह कदम राज्य विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले आया है, जो इस साल दिसंबर में होने वाले हैं। कांग्रेस के लिए इस बार के हालात 2017 जितने अनुकूल नहीं हैं। पार्टी की मौजूदा स्थिति ठीक नहीं कही जा सकती, क्योंकि सभी नेता पार्टी के बजाय अपनी-अपनी हैसियत मजबूत करने में लगे हैं।
पिछले कुछ सालों में बड़े पैमाने पर पार्टी के मौजूदा विधायकों और वरिष्ठ नेताओं ने या तो भाजपा या आम आदमी पार्टी को ज्वाइन कर लिया। दिसंबर 2017 के चुनाव में 182 सदस्यीय विधानसभा में 77 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के सदस्यों की संख्या कम होकर 63 रह गई है। वहीं राज्य में 2017 के चुनाव में 99 सीटें जीतने वाली भाजपा के सदस्यों की संख्या उपचुनावों में जीत के कारण बढ़कर 112 हो गयी है। राज्य में ज्यादातर सीटों पर उपचुनाव कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के कारण हुए हैं। वहीं 2017 के विपरीत कांग्रेस के पास इस बार कोई बड़ा चुनावी मुद्दा भी नहीं है। 2017 के चुनाव में पूरे राज्य में हुए पाटीदारों के आंदोलन का भी कांग्रेस का फायदा हुआ था।
चुनाव से पहले ही कांग्रेस में बिखराव
कांग्रेस नेता भरत सिंह सोलंकी का राममंदिर व रामशिलाओं पर दिया गया विवादित बयान हो या फिर एक-एक कर दिग्गज नेताओं का पार्टी छोड़ना। कांग्रेस नेताओं में गुटबाजी खत्म नहीं हो रही है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर हो गई है। जगदीश ठाकोर के अध्यक्ष बनने और आदिवासी नेता सुखराम राठवा के नेता विपक्ष बनने के बाद पार्टी संभलती नजर आ रही थी, लेकिन हार्दिक पटेल, विधायक अश्विन कोटवाल, पूर्व विधायक कामिनी, पाटीदार नेता वंदना पटेल जैसे नेताओं के जाने से पार्टी लगातार कमजोर होती नजर आ रही है।
कांग्रेस छोड़ने पर हार्दिक ने कांग्रेस पर लगाया था ये आरोप
कांग्रेस से इस्तीफा देते समय हार्दिक पटेल ने कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला किया था। कांग्रेस छोड़ते हुए हार्दिक पटेल ने कहा था कि मैं हिम्मत करके कांग्रेस पार्टी के पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं, मुझे विश्वास है कि मेरे इस निर्णय का स्वागत मेरा हर साथी और गुजरात की जनता करेगी, मैं मानता हूं कि मेरे इस कदम के बाद मैं भविष्य में गुजरात के लिए सच में सकारात्मक रूप से कार्य कर पाऊंगा।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी देशहित और समाज हित के बिल्कुल विपरीत काम कर रही है। कांग्रेस पार्टी विरोध की राजनीति तक सीमत हो गई है। कांग्रेस राम मंदिर निर्माण, सीएए-एनआरसी, धारा 370, जीएसटी लागू करने में बाधा थी। जब देश संकट में था, तब हमारे नेता विदेश में थे। हार्दिक पटेल कई बार अपनी नाराजगी खुलकर जता भी चुके थे। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि कांग्रेस में उनकी हालत ऐसी हो गई है जैसे नए दूल्हे की नसबंदी करा दी हो। यहां वह कहना चाह रहे थे कि उनके पास पार्टी में फैसला लेने की कोई पावर नहीं है।
भाजपा का दावा कुछ और कांग्रेसी छोड़ेंगे पार्टी
साल के अंत में गुजरात विधानसभा के चुनाव होने हैं। भाजपा ने इस बार अपनी तैयारी अभी से शुरू कर दी है। 2017 की तरह इस बार वह कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। 2017 के चुनावों के अंत में कांटे का मुकाबला हुआ था और भाजपा किसी तरह अपनी सत्ता बचाने में सफल रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने अभी से इसकी कमान संभाल ली है। चुनाव तक पीएम मोदी का हर महीने गुजरात दौरा हो सकता है। पार्टी का दावा है कि अगले कुछ दिनों में कांग्रेस के कई नेता उनके पाले में आएंगे। पार्टी की रणनीति खासकर उन इलाकों के कांग्रेस नेताओं को अपने पाले में करने की है जहां 2017 में भाजपा ने कमजोर प्रदर्शन किया था।
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