काश’से ‘आकाश’तक सब कुछ हमारे अंदर ही है…कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कोरोना संकट ने पिछले साल से अब तक निश्चित रूप से बहुत सारे जख्म दिए हैं। खासतौर से युवाओं पर इस महामारी का सबसे अधिक असर पड़ा है। इससे युवाओं के परेशान होने के पीछे दो वजहें हैं। इनमें एक वजह तो वायरस से संक्रमित होने का डर है और दूसरा है नौकरी या कारोबार को लेकर अनिश्चितता। इस संकट के दौरान बहुत सारे युवाओं ने जहां अपनी नौकरी गंवा दी, वहीं कुछ की सैलरी आधी हो गई और बहुत सारे युवा नौकरी की तलाश में हताश हैं। वहीं जो कारोबार में हैं, उनमें से बहुत से लोगों का उद्यम मंदा हो गया है। दरअसल, भारत युवाओं का देश है और जब देश का युवा खुश एवं समृद्ध होगा, तभी देश तरक्की के नये आयाम को हासिल कर सकेगा और आत्मनिर्भरता की नई परिभाषा गढ़ सकेगा।
वैसे, हिम्मत की सीढ़ियों से हम कठिन से कठिन बाधाओं को पार कर जाते हैं। हर छोटी या बड़ी समस्या का हल होता है। सकारात्मक रहने की क्षमता ही युवाओं का असली हथियार है। माना कि इंतजार की घड़ियां लंबी हो सकती हैं, लेकिन उम्मीद के भरोसे ही हम इस परिस्थिति में अपना संतुलन बनाए रख सकते हैं और जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। जैसा शायर फैज अहमद च्फैजज् ने भी कहा है, च्दिल नाउम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है, लंबी है गम की शाम मगर शाम ही तो है।
स्वीकारें सच्चाई
परिवर्तन अवश्यंभावी है। समर्थ से समर्थ इंसान भी जीवन में उतार-चढ़ाव अवश्य देखता है। इस आपदा को भी हमें एक परिवर्तन के तौर पर देखना चाहिए। आज की इस सच्चाई को स्वीकार करके ही हम आगे बढ़ सकते हैं, फिर चाहे वह सच्चाई कितनी ही डरावनी क्यों न हो? यह देखा गया है कि कुछ युवा भाग्य का रोना रोते रहते हैं, लेकिन भाग्य का दरवाजा भी तभी खुलता है जब व्यक्ति परिश्रम करता है। जैसे जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं, तभी एरोप्लेन उड़ सकता है, वैसे ही सभी दरवाजे बंद हो जाएं तब मनुष्य को हवा में उड़ने का हौसला बना लेना चाहिए।
काम को मानें पूजा
अंग्रेजी की उक्ति च्वर्क इज वर्शिपज् (कर्म ही पूजा) आपने जरूर सुनी होगी। इसलिए हमें यह समझना चाहिए कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। बहुत सारे युवा कोविड-१९ से पहले ही बड़े शहरों से नौकरियां छोड़कर अपने गांव को लौट गए थे। उनमें से कई ने अपना स्टार्ट-अप और स्वरोजगार शुरू किया। आपदाएं और समस्याएं नये-नये अवसर प्रदान करती हैं। युवाओं को च्गिलास आधा भरा हैज् पर ध्यान देना होगा। दर्पण का एक हिस्सा जब तक काला नहीं होगा, तब तक हम उसमें अपना चेहरा नहीं देख सकते। वैसे ही, ये आपदाएं और समस्याएं भी दर्पण के उस काले हिस्से की तरह हैं जो हमें आईना दिखाती हैं। विषम परिस्थितियों से हमें हमारा साक्षात्कार कराती हैं और हमारे आंतरिक गुणों को निखारती हैं।
तब हमें कई विकल्प दिखने लगते हैं, अन्यथा सामान्य परिस्थितियों में हम एक ही ढर्रे पर चलते रहते हैं। सही मायने में आपदाएं और समस्याएं ही समाधान भी बताती हैं। इसे और अच्छी तरह से समझने के लिए पेश है एक छोटा-सा उदाहरण। यदि कोई आदमी अंधा है, तो वह बार-बार अनेक चीजों से टकराएगा। वह सोचता है कि मार्ग के सभी गड्ढे और दीवारें मेरे ही रास्ते में आती हैं। टकराता वह स्वयं है और सोचता है कि दूसरे मुझसे आकर टकरा रहे हैं। जिस दिन उसका यह अंधापन दूर हो जाता है, उस दिन उसे मालूम हो जाता है कि कहां गड्ढा है, कहां बाधा की दीवार है और मुझे किस प्रकार से मार्ग पर चलना है।
तलाशें उपाय
अभी की परिस्थिति को देखते हुए युवाओं को चुनौतियों का विश्लेषण ईमानदारी से करना चाहिए। उन कदमों पर विचार करें जो इस समय मददगार हो सकते हैं। हमें अभी समाधान खोजना है। युवाओं को यह सोचना होगा कि उनका अस्तित्व क्या एक डिग्री के भरोसे ही है, बिल्कुल नहीं। प्रत्येक व्यक्ति में बहुत सारी प्रतिभाएं होती हैं। एक तरह से कोरोना ने हमारी आंतरिक शक्ति को जागृत किया है। इसलिए हम सभी के लिए यह आत्मावलोकन का समय है।
मल्टी स्किल पर ध्यान दें
कोविड के इस दौर के चलते कंपनियों की उम्मीदें और जरूरतें बदल गई हैं, इसलिए आप भी मल्टी स्किल हासिल करने पर ध्यान दें। सीखने की अपनी ललक, विश्लेषण क्षमता, टेक्निकल/डिजिटल स्किल्स, प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स और इमोशनल इंटेलिजेंस जैसी स्किल्स को बढ़ाएं। अपनी सीवी और लिंक्डइन प्रोफाइल हमेशा अपडेट रखें। खुद का स्वाट एनालिसिस करें। पहले हम समय न होने का रोना रोते थे, लेकिन अभी हमारे पास काफी वक्त है। हमें इस समय घर में रहकर बहुत सारे स्किल डेवलपमेंट के कोर्सेज करने चाहिए। यह अपनी हॉबीज को पूरा करने का भी समय है। परिवार को समय देने का वक्त है। चाहें तो ब्लॉग लिखने या डायरी लिखने जैसे काम भी कर सकते हैं, जो किसी दिन किताब का रूप ले सकती है।
रुचि का करियर चुनें
हमेशा अपनी रुचि और कौशल को ध्यान में रखकर करियर चुनना चाहिए। कोरोना के चलते करियर के तमाम क्षेत्र जहां बिल्कुल ठप हो गए हैं, वहीं कई क्षेत्रों में नये विकल्प भी सामने आए हैं, जैसे कि नये बिजनेस मॉडल, ई-एजुकेशन, हेल्थकेयर मैनेजमेंट, फार्मास्युटिकल्स सेक्टर, ई-कॉमर्स, डाटा साइंस, डिजिटल मार्केटिंग, कृषि तकनीक, रिस्क इंश्योरेंस, यूट्यूबर, आर्गेनिक फार्मिंग इत्यादि। संकट खत्म होने के बाद आगे भी नई-नई नौकरियां आएंगी, लेकिन अब हमें स्वरोजगार के बारे में भी सोचना होगा।
नये-नये बिजनेस मॉडल पर इन दिनों कई सारे स्टार्ट-अप आ रहे हैं। उन्हें सरकार का भी सहयोग मिल रहा है। इसलिए अब आप केवल नौकरी तलाशने वाले युवा ही न बनें, बल्कि नौकरी का सृजन करने वाले युवा बनें। युवाओं का कोरोना की दूसरी लहर के चलते शहर से पुन: गांव लौटना वैसे तो अच्छा नहीं है, लेकिन इसे भविष्य की संभावना के रूप में भी देखाजाना चाहिए।
हर परिस्थिति से मुकाबले को रहें तैयार
चुनौती और अवसर एक दोधारी तलवार की तरह है। इसलिए जिन चीजों की उम्मीद नहीं की है, उनके लिए भी मन को तैयार रखिए। तभी आप उन अनचाही घटनाओं से भी निपट पाएंगे, जिनके बारे में आप खुद को लेकर कशमकश में थे। कुल मिलाकर, जीवन एक लड़ाई है। इसे निडर होकर लड़ना होगा। सफल लोगों की जिंदगी भी ऐसे ही उतार-चढ़ाव से गुजरी है। फिर चाहे रिलायंस के संस्थापक धीरू भाई अंबानी हों या फिर इंफोसिस के संस्थापक नारायण र्मूित। सभी ने खुद पर भरोसा किया और विषम परिस्थितियों में अनुभवों से सबक लेकर फिर से कोशिश की।
‘काश’से ‘आकाश’तक सब कुछ हमारे अंदर ही है…
नौकरी छूट जाना किसी भी इंसान की जिंदगी का सबसे अधिक तनाव वाला समय हो सकता है। लेकिन गलतियों से सीखने पर ध्यान केंद्रित करने वाले लोग ही सफलता प्राप्त करते हैं। इसलिए युवाओं को अपने प्रयत्नों, प्रयासों, साहस व उच्च मनोबल से परिस्थितियों का सामना करते हुए उन्हें अपने अनुकूल बनाने व उन्हीं परिस्थितियों में खुश रहने का प्रयास करना होगा। जो व्यक्ति पैदल हजार किलोमीटर की दूरी तय कर अपनी मातृभूमि पर लौट सकता है, वह अपने लिए रोजगार भी बना सकता है। जैसे चींटी चल पड़ी तो धीरे-धीरे वह एक हजार कोस भी चल सकती है।
परंतु यदि गरुड़ जगह से नहीं हिला तो वह एक पग भी आगे नहीं बढ़ सकता। आपने देखा होगा कि क्रिकेट में आखिरी गेंद पर भी छह रन बनाये जा सकते हैं। इसलिए दोस्तो, कड़ी मेहनत का समय आ गया है। अब हमें ज्यादा प्रयास करना होगा, क्योंकि एरोप्लेन भी हवा में उड़ने से पहले रनवे पर बहुत तेज दौड़ता है। च्काश से आकाशज् तक सब कुछ हमारे अंदर ही है। बेशक बेरोजगारी हताश करती है, लेकिन बाधाओं से निपटना उससे भी महत्वपूर्ण है। माना कि बहुत कठिन है नया रास्ता खोजना, लेकिन केवल यही एक उपाय है।
अभी हमें प्लान ए, प्लान बी और प्लान सी तक रुकना नहीं है, क्योंकि हमारे पास प्लान जेड तक विकल्प है। आशावाद, दृढ़ संकल्प, अदम्य इच्छाशक्ति हर असंभव कार्य को संभव बनाती है। आशा है तो हौसले हैं, हौसले हैं तो उम्मीद है, उम्मीद है तो सफलता है। मुझे विश्वास है, हमारी युवा आबादी हमारी सबसे बड़ी पूंजी साबित होगी। इसलिए कर्म करते रहें, फल तो मिलना ही है।
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