साइबर अपराध से लड़ने में आइ4सी योजना करेगी सात तरफ से वार.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
साइबर अपराध से लड़ने में केंद्र सरकार की तरफ से एक नोडल बिंदु के रूप में काम करने की योजना बनाई गई है जिसका नाम इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (आइ4सी) है। इसके लिए 415.86 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। वर्ष 2018 में बनी इस योजना को अलमी जामा वर्ष 2020 में पहनाया गया और इसी की सिफारिश पर भारत सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 59 चीनी एप पर प्रतिबंध लगाया था। इसके अंतर्गत सात विभागों को एक छत के नीचे लाया गया है। ये विभाग हैं:
1. राष्ट्रीय साइबर जोखिम विश्लेषण यूनिट: यह कानून विशेषज्ञ या कार्मिकों, निजी क्षेत्र के व्यक्तियों, शैक्षणिक संस्थाओं और अनुसंधान संगठनों को साइबर क्राइम के सभी जटिल स्वरूपों का विश्लेषण के लिए सामूहिक रूप से कार्य करने के लिए एक प्लेटफार्म मुहैया कराएगी। विधि प्रवर्तन (ला एनफोर्समेंट) और उद्योग विशेषज्ञों को एक साथ लाने के लिए मल्टी-स्टेकहोल्डर माहौल तैयार करेगी।
2-राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग: यह इकाई विशेषज्ञ जांच टीमों का सृजन करने के लिए राज्य और केंद्र स्तरों पर पहले से स्थापित जांच इकाइयों और अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करेगी। तेजी से बदलते साइबर क्राइम खतरों के संबंध में वास्तविक समय पर कार्रवाई करने की क्षमता रखेगी। साइबर और साइबर जनित अपराधों की जांच करने के लिए सहभागियों के साथ सहयोग करने में समर्थ होगी
3. संयुक्त साइबर क्राइम जांच टीम के लिए प्लेटफार्म: इसका उद्देश्य मुख्य साइबर क्राइम थ्रेट और लक्ष्यों के विरुद्ध बगैर सूचना के अभियान चलाना और समन्वित कार्रवाई करना। साइबर क्राइम के विरुद्ध संयुक्त पहचान करने, प्राथमिकता, तैयारी और बहु-क्षेत्राधिकाररखने की सुविधा इसे मिलेगी।
4. राष्ट्रीय साइबर क्राइम फोरेंसिक प्रयोगशाला: नई डिजिटल प्रौद्योगिकी और तकनीक के परिणाम के रूप में साइबर क्राइम का फोरेंसिक विश्लेषण और जांच करना इसका उद्देश्य होगा। जांच प्रक्रिया को सहायता प्रदान करने के लिए एक केंद्र विकसित करेगी। एनसीएफएल और संबद्ध केंद्रीय फोरेंसिक प्रयोगशाला को विश्लेषण और जांच के लिए ऐसे नए तकनीकी तरीकों से परिचित रखने के लिए सुसज्जित और स्टाफ युक्त करना जिनका प्रयोग करके नए तरीके अपराध किए सकते हैं।
5. राष्ट्रीय साइबर क्राइम प्रशिक्षण केंद्र: साइबर क्राइम पहचान और रिपोर्टिंग के प्रशिक्षण केपाठ्यक्रम के मानकीकरण पर इसका फोकस रहेगा। क्लाउड आधारित प्रशिक्षण प्लेटफार्म पर दिए जाने वाले मैसिव ओपन आनलाइन कोर्स का विकास करने के साथ साइबर हमलों व अपराधों की जांच के बारे में उन्नत प्रकार के कृत्रिम प्रशिक्षण हेतु साइबर रेंज की स्थापना पर भी ध्यान देगा।
6-साइबर क्राइम इकोसिस्टम प्रबंधन यूनिट: इसका उद्देश्य ऐसा इकोसिस्टम विकसित करना है जो शिक्षाविदों, उद्योग और सरकार को साइबर क्राइम आधारित स्थापित मानक प्रचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को संचालित करने, उनकी जांच करने, साइबर क्राइम के प्रभावों और साइबार क्राइम पर कार्रवाई करने के क्षेत्र में एक साथ लाएगा। साइबर क्राइम का मुकाबला करने वाले इकोसिस्टम के लिए यह इनक्यूबेशन यानी शुरुआती सहायता भी प्रदान करेगा।
7-राष्ट्रीय साइबर रिसर्च एवं इनोवेशन सेंटर: इस इकाई का उद्देश्य नए प्रौद्योगिकी विकासों का पता करना और ऐसी संभावित असुरक्षा की पूर्व भविष्यवाणी करना है जिनका साइबर अपराधियों द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है। सभी स्टेकहोल्डरों (शिक्षा, निजी क्षेत्र, अंतरसरकारी संगठन) की क्षमता और विशेषज्ञता को परिपूर्ण करना भी इसकी जिम्मेदारी होगी।
देश में साइबर हमलों और अपराधों के बीच सुरक्षा के उपायों पर हमने विशेषज्ञों से भी बात की। विशेषज्ञों का कहना है कि काम हो रहा है, लेकिन और तेजी के साथ प्रयास बढ़ाने की आवश्यकता है। इंदौर में बीते आठ वर्ष से पुलिस को साइबर सुरक्षा का प्रशिक्षण दे रहे चातक वाजपेयी ने बताया कि केंद्र सरकार को साइबर सेना जैसी विंग बनानी चाहिए। अग्निवीर की तरह साइबर वीर या साइबर योद्धा योजना भी बने। जिससे हम देश के युवाओं का सही उपयोग कर पाएं और देश को साइबर सुरक्षा में भी सबसे मजबूत बना पाएं। देश के अलग-अलग स्थानों पर साइबर वार रूम की स्थापना होनी चाहिए जिससे हम भविष्य में किसी भी तरह के साइबर हमले को चुनौती दे सकें।
हर सरकारी कर्मी को मिले साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण
उन्होंने सुझाव दिए कि हर सरकारी कर्मचारी को साइबर सुरक्षा की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। सरकारी दफ्तरों में साइबर सेफ्टी आडिट वर्ष में दो-तीन बार जरूर होना चाहिए। इससे बड़े साइबर हमले से बच सकते हैं। कुछ बड़ी प्राइवेट कंपनियों में साइबर सुरक्षा स्टाफ नियुक्त हो रहा है। इसी तरह सभी सरकारी दफ्तरों में कोई एक व्यक्ति हो जो साइबर सुरक्षा का ज्ञान रखता हो। नई पीढ़ी को जागरूक बनाने के लिए सीबीएसई और आइसीएसई सहित हर एजुकेशन बोर्ड में साइबर सुरक्षा का विषय जरूर शामिल करना चाहिए।
आस्ट्रेलिया में बना साइबर मंत्रालय, भारत में भी हो
साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने कहा कि कोरोना के बाद साइबर अपराध की महामारी आ गई है। विश्व ने महामारी के बाद से अब तक 600 अरब डालर गंवाए हैं। इस वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 800 अरब डालर तक जाने का अनुमान है। आस्ट्रेलिया ने साइबर मंत्रालय बना दिया है। भारत में भी एक साइबर मंत्रालय बनना चाहिए।
नए तरीकों से हो रहे साइबर अपराध
साइबर इन्वेस्टिगेशन एक्सपर्ट कामाक्षी शर्मा का कहना है साइबर अपराधी हर चार घंटे में नई एप्लीकेशन के साथ हमें चुनौती दे रहे हैं और हमें उसे सुलझाने में समय लग जाता है। साइबर सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध मंत्रालय और विभाग से इसमें बड़ी सहायता मिल सकती है। देश में 50,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को साइबर सुरक्षा में प्रशिक्षित कर चुकीं कामाक्षी कहती हैं कि शुरुआती एक-दो शिकायतों में ही यदि ऐसी एप्लीकेशन को पकड़ लिया जाए तो बड़ा आर्थिक अपराध नहीं हो पाएगा।
राज्यों को भी कसनी होगी कमर
कुछ माह पहले मध्य प्रदेश के विद्युत वितरण विभाग की वेबसाइट पर साइबर हमला हुआ था। अब राज्यों के अधिकाधिक सरकारी विभाग डिजिटल हो चुके हैं। ऐसे में राज्यों को अधिक सतर्कता साइबर हमलों से सुरक्षा में बरतनी होगी। कुछ प्रयास हुए हैं, लेकिन अधिक सक्रियता की आवश्यकता है।
हरियाणा : 43 विभाग डिजिटल, नियमित सुरक्षा आडिट का आदेश
राज्य में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, कृषि, पंचायत, शहरी निकाय, बिजली, परिवहन, समाज कल्याण विभाग सहित कुल 43 महकमे पूरी तरह डिजिटल हो चुके हैं जिनकी 443 सेवाएं सरल पोर्टल पर उपलब्ध हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार ने डाटा से छेड़छाड़ की आशंका से निपटने के लिए पैनल में शामिल एजेंसियों की मदद से नियमित रूप से सुरक्षा आडिट कराने के आदेश जारी किए हैं। सरकारी कामकाज को हैकिंग से बचाने की जिम्मेदारी हरियाणा राज्य सूचना सुरक्षा प्रबंधन कार्यालय को सौंपी गई है। क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स से सुरक्षा की जा रही है। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को डाटा सुरक्षा, साइबर हमलों के लक्षण और साइबर किल चेन, फिशिंग, रैंसमवेयर, मालवेयर, वायरस हमलों से निपटने की ट्रेनिंग दी जाती है।
उत्तराखंड : 45 विभाग डिजिटल, हैकिंग के बाद बनी एसओपी
प्रदेश में अभी तक तकरीबन 45 विभाग आनलाइन किए जा चुके हैं। मई 2018 में तकनीकी शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड एवं प्रशिक्षण निदेशालय की वेबसाइट को हैक किया गया था। इनमें हांगकांग कै कैसीनो और चीन की दवा कंपनी का प्रचार दिख रहा था। इसके बाद प्रदेश सरकार ने साइबर सुरक्षा के लिए मानक प्रचालन कार्यविधि (एसओपी) बनाई। साथ ही आइटी विभाग में कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम का गठन किया गया है। प्रदेश के सभी 13 जिलों में एक-एक साइबर सेल है।
बिहार : विशेष यूनिट बनी, साइबर फोरेंसिक लैब पर हो रहा काम
सभी जिलों में 74 साइबर क्राइम एवं सोशल मीडिया यूनिट (सीसीएसएमयू) की स्थापना की गई है। इसके लिए अलग से 740 पदों का सृजन किया गया है। पटना में स्टेट साइबर क्राइम फोरेंसिक लैब सह ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की जा रही है। राज्य के छह जिले साइबर अपराधियों के हाट स्पाट के रूप में चिह्नित किए गए हैं। इसमें पटना, नवादा, नालंदा, गया, शेखपुरा व जमुई शामिल हैं। आर्थिक अपराध इकाई ने बड़े साइबर अपराधियों की अवैध संपत्तियों को जब्त करने का प्रस्ताव दिया है। इसके लिए पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट) कें तहत ईडी के स्तर पर कार्रवाई करने की योजना है।
मध्य प्रदेश : स्टेट डाटा शेयरिंग एंड एक्सेसबिलिटी पालिसी लागू
प्रदेश में स्टेट डाटा शेयरिंग एंड एक्सेसबिलिटी पालिसी 2012 से लागू है। इससे सभी विभागों के डाटा को सुरक्षित करने का काम किया जा रहा है। स्टेट डाटा सेंटर में विशेषज्ञों की नियुक्ति की गई है जो समय-समय पर तकनीक में होने वाले बदलाव के अनुरूप सुझाव देते हैं।
हिमाचल प्रदेश : एडवायजरी और निगरानी के स्तर पर ही काम
साइबर सुरक्षा के लिए एहतियाती तौर पर राज्य स्तरीय साइबर थाना समय-समय पर एडवायजरी जारी करता है। कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम राष्ट्रीय स्तर पर विभागों की साइबर सुरक्षा की निगरानी करती है। इन विभागों को एनआइसी व आइटी विभाग दिशा-निर्देश जारी करते हैं।
साइबर सुरक्षा के लिए व्यवस्था
– भाारत में बढ़ते साइबर हमलों व अपराधों के बीच डाटा सुरक्षा परिषद ने वर्ष 2020 में देश में सुरक्षित व तेज साइबरस्पेस के लिए 21 बिंदुओं पर फोकस किया है।
– इसकी रिपोर्ट में देश में साइबर सुरक्षा के लिए वार्षिक बजट के .25 प्रतिशत राशि का प्रविधान करने की बात कही है। इसे बाद में बजट के एक प्रतिशत तक ले जाने की सलाह भी दी गई है।
– अलग-अलग मंत्रालयों और सरकारी विभागों को अपने आइटी बजट का 15-20 प्रतिशत हिस्सा साइबर सुरक्षा पर खर्च करने के लिए कहा गया है।
महाराष्ट्र में सर्वाधिक साइबर हमले
– अमेरिका की साइबर सुरक्षा फर्म पालो आल्टो नेटवक्र्स ने वर्ष 2021 में एक रिपोर्ट पेश की थी। यह रिपोर्ट कहती है कि भारत में महाराष्ट्र में सबसे अधिक साइबर हमले होते हैं। इस राज्य में रैंसमवेयर हमले 42 फीसद हैं।
– रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आर्थिक रूप से भारत हैकरों के लिए सबसे लाभ वाले स्थानों में शामिल है। इसी कारण ये हैकर्स भारतीय कंपनियों की वेबसाइट हैक कर क्रिप्टोकरेंसी में फिरौती मांगते हैं। एक आंकड़ा कहता है कि चार में से एक भारतीय संस्थान यानी 25 प्रतिशत संस्थानों को इस प्रकार के रैंसमवेयर हमले का सामना वर्ष 2021 में करना पड़ा। इस प्रकार के साइबर हमलों का वैश्विक आंकड़ा 21 प्रतिशत है।
– इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 के पहले आठ माह में भारत में 6.97 लाख साइबर घटनाएं होने की सूचना दर्ज हुई थी। चिंताजनक यह है कि यह आंकड़ा इससे पहले के चार वर्ष में हुई कुल साइबर घटनाओं के बराबर है। आप समझ सकते हैं कि खतरा कहां पहुंच चुका है।
साइबर वारफेयर का बढ़ता खतरा
बात मात्र आम लोगों से साइबर ठगी या अपराध की ही नहीं है। देश की सुरक्षा को भी इससे सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि अब युद्ध लडऩे के लिए सीमा पर बंदूक या तोप लेकर जाने की जरूरत नहीं है। विश्व में इसकी तैयारी तेजी से चल रही है। अमेरिका साइबर वारफेयर की स्थिति में खुद को सुरक्षित रखने के लिए तो काम कर ही रहा है, खुद ऐसे डिजिटल तरीके भी तैयार कर रहा है जिन्हें वह साइबर हमले के तौर पर प्रयोग कर सके। विश्व में साइबर वारफेयर के मामले में अमेरिका के बाद चीन, रूस, इजरायल और यूनाईटेड किंगडम का नाम आता है।
हाल की घटनाएं
– चीन के समूह रेड इको द्वारा मैलवेयर के प्रयोग की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। यह हमले भारत के ऊर्जा क्षेत्र में किए गए। रेड इको ने शैडोपैड नाम के मैलवेयर से किए थे। जिससे सर्वर में बैकडोर एंट्री की जा सकती है।
– चीन के ही एक और हैकर समूह स्टोन पांडा ने भारत की दो प्रमुख वैक्सीन कंपनियों के आइटी सिस्टम में सेंध लगा दी थी।
– 28 जून 2021 को लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज (आइआइएसएस) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारत को चीन और पाकिस्तान के साथ हाइब्रिड युद्ध लडना पड़ रहा है।
– पावर ग्रिड व पाइपलाइनों जैसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर हमले की बात सामने आ चुकी है। सरकार ने भी इसे स्वीकारा है।
– इस स्तर के साइबर हमले में चार घंटे के लिए एक वेबसाइट बनाई जाती है। डिजिटल मार्केटिंग के माध्यम से इसे पहले स्थान पर पहुंचा दिया जाता है और साइबर अपराध को अंजाम देने के बाद उसे हटा दिया जाता है। इससे बड़े पैमाने पर भ्रामक सूचनाएं फैलाकर भीड़ को उकसाने का काम किया जा रहा है।
– अब अपराधी, आतंकी या घुसपैठिये मौके पर रेकी नहीं करते हैं। वह इंटरनेट पर ही रेकी करते हैं। अपराधी घटना वाले दिन ही मौके पर पहुंचता है। यह बहुत खतरनाक ट्रेंड है।
– देश को नुकसान पहुंचाने के लिए डार्क नेट के माध्यम से ड्रग्स और हथियारों की आपूर्ति हो रही है। बिटक्वाइन से भुगतान हो रहा है।
– 50 हजार करोड़ रुपये की ठगी प्रतिवर्ष भारत में ओटीपी के माध्यम से हो रही है
– 4.5 लाख करोड़ रुपये के अन्य आर्थिक अपराध देश में होते हैं। ऐसा साइबर विशेषज्ञों का मानना है
साइबर डिप्लोमैसी पर भी हो ध्यान
भारत के अन्य देशों से संबंधों को सही आकार देने में साइबर डिप्लोमैसी भी अहम होती है। इसमें भारत को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अपने बढ़ते कदमों का प्रचार करना चाहिए और विभिन्न देशों के लिए साइबर राजदूत भी नियुक्त करने चाहिए।
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