चीन की होगी बोलती बंद तो हिंद होंगी अभेद्य
शिवाजी महाराज को क्यों कहा जाता है ‘फादर आफ नेवी’
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत के लिए आज का दिन बेहद खास हो गया है। आज भारत का पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से निर्मित विमानवाहक पोत विक्रांत भारतीय नौसेना में एंट्री ले रहा है। इसकी एंट्री के साथ ही भारतीय जलक्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में भी चीन की एंट्री पर लगाम लग जाएगी। इन दोनों की मौजूदगी का अहसास चीन को भी है।
यही वजह है कि चीन भी अपनी पूरी ताकत के साथ अपनी नौसेना को अत्याधुनिक बनाने पर जोर दे रहा है। यदि एशिया में स्थित देशों के पास एयरक्राफ्ट केरियर की बात करें तो ये केवल चीन और भारत के पास ही हैं। चीन के पास मौजूदा समय में जहां तीन एयरक्राफ्ट केरियर हैं वहीं भारत के पास फिलहाल दो हैं। हालांकि तीसरे एयरक्राफ्ट केरियर का काम भी तेजी से चल रहा है।
चीन की विस्तारवादी नीति से चिंता
भारत और चीन पड़ोसी देश होने के अलावा एक प्रतिद्वंदी भी हैं। चीन की भौगोलिक निकटता ही भारत की सबसे बड़ी चिंता है, लेकिन इस चिंता को दूर नहीं किया जा सकता है। भारत की एक चिंता का कारण चीन की विस्तारवादी नीति भी है। यही वजह है कि भारत चीन को ध्यान में रखते हुए अपनी सुरक्षा नीतियों को तैयार करता है और इन पर आगे बढ़ता है। श्रीलंका में चीन की मौजूदगी की भारत की चिंता का बड़ा कारण है। यही वजह है कि भारत का ध्यान एयरक्राफ्ट केरियर के निर्माण पर लगा है। इनमें जरिए न सिर्फ समुद्र में काफी दूरी तक नजर रखी जा सकती है बल्कि समय आने पर दुश्मन को कड़ा जवाब भी दिया जा सकता है।
कोचिन शिपयार्ड में तैयार हुआ विक्रांत
विक्रांत की ही बात करें तो ये देश का पहला स्वदेशी तकनीक से निर्मित एयरक्राफ्ट केरियर है। इसको कोचिन शिपयार्ड में तैयार किया गया है। पहले इसको बनाने की लागत कम आंकी गई थी लेकिन बाद में इसकी कुल लागत करीब सवा तीन अरब डालर की आई थी। 12 अगस्त 2013 में इसको लान्च किया गया था। तब से इसका विभिन्न स्तरों पर ट्रायल किया जा रहा था। इसकी सबसे बड़ी खास बात ये है कि इसको तय समय पर नौसेना में शामिल किया जा रहा है।
करीब 1500 क्रू मैंबर्स की जगह
45 हजार टन वजनी इस एयरक्राफ्ट केरियर की लंबाई 860 फीट की है। इसकी हाइट करीब 194 फीट है। इस पर करीब 14 डैक हैं। ये 56 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकता है। इसके साथ ये करीब 15 हजार किमी की दूरी एक बार में तय कर सकता है। इसमें 196 अधिकारियों के साथ 1449 सेलर जिसमें एयर क्रू मैंबर्स भी शामिल हैं, एक बार में रह सकते हैं।
बराक मिसाइल के साथ कई और हथियारों से लैस
इस पर Selex Ran-40L 3D Lबैंड एयर सर्विलांस राडार सिस्टम लगा है, जो पल पल की जानकारी देता है। इस पर वीएलएस बराक 8 जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल हर तरह से काम में ली जाने वाली कैन Otobreda 76 MM, CIWS क्लोज इन वैपन सिस्ट लगा हुआ है।
इसकी खासियत है कि ये शार्ट रेंज मिसाइल का पता लगाकर उसको हवा में ही मार गिराता है। लगभग सभी अत्याधुनिक वारशिप में ये लगा होता है। इस पर करीब 30 फाइटर जेट और हेलीकाप्टर उतर सकते हैं। इसमें एक अस्पताल, महिला अधिकारियों के लिए स्पेशलाइज्ड केबिन, दो फुटबाल ग्राउंड, 23 लोगों के लिए कंपार्टमेंट भी हैं। इसमें लगा जनरेटर करीब 20 लाख लोगों को राशनी दे सकता है।
भारत का पहला स्वदेशी युद्धपोत आइएनएस विक्रांत आज भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो गया है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने आइएनएस विक्रांत को नौसेना को सौंपा। आइएनएस विक्रांत की तैनाती के बाद समंदर में भारत की ताकत और बढ़ जाएगी। आपको 10 प्वाइंट्स में बताते हैं कि आइएनएस विक्रांत की खासियत क्या हैं।
- भारतीय नौसेना के अनुसार, 262 मीटर लंबे वाहक का वजन लगभग 45,000 टन है जो कि उसके पूर्ववर्ती की तुलना में बहुत बड़ा और अधिक उन्नत है।
- आइएनएस विक्रांत में 2200 कमरे हैं, इसे 1600 सदस्यों के लिए डिजाइन किया गया है।
- विक्रांत में 10 मंजिला इमारत के बराबर 14 डेक है। इसमें कैंटीन के साथ माडर्न किचन है। इस किचन में 1 घंटे में 1600 लोगों का खाना बन सकता है।
- इसमें मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल, पूल भी है। साथ ही आईसीयू और सीटी स्कैन की भी सुविधा है। पांच अधिकारी डाक्टर इसमें हमेशा तैनात रहेंगे।
- खास बात ये भी है कि आइएनएस विक्रांत एक बार ईंधन भरने पर 45 दिन तक समुद्र में रह सकता है। समुद्र में ही इसे रीफिल किया जा सकता है। इसकी अधिकतम स्पीड 52 किमी प्रति घंटा है।
- विक्रांत में खास तरह के हथियार लगाए गए हैं। इसमें 32 मीडियम रेंज की सरफेस टु-एयर मिसाइल होंगी। विक्रांत एके-630 से भी लैस होगा।
- आइएनएस विक्रांत पर मिग-29 के फाइटर जेट्स और एमएच-60 आर जैसे एडवांस्ड लाइट हेलिकाप्टर्स तैनात होंगे।
- आइएनएस विक्रांत के निर्माण का काम 2009 में शुरू हुआ था। 2011 में इसका ढांचा बनकर तैयार हुआ। 2021 में इसे पहली बार समुद्र में उतारा गया। 2023 तक ये पूरी तरह आपरेशन हो जाएगा।
- आइएनएस विक्रांत का नाम इसके पूर्ववर्ती युद्धपोत के नाम पर रखा गया है। आइएनएस विक्रांत ने 1971 में बांग्लादेश के गठन के लिए पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- आइएनएस विक्रांत के साथ भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों के चुनिंदा समूह में शामिल हो गया है। ये वो देश हैं जो खुद के विमान वाहक डिजाइन और निर्माण कर सकते हैं।
- पीएम मोदी ने कोच्चि में एक कार्यक्रम में भारतीय नेवी को देश के पहले स्वदेशी युद्धपोत आइएनएस विक्रांत सौंपा। पीएम मोदी ने इसके साथ ही नौसेना के ध्वज के नए निशान का भी अनावरण किया। पीएम ने कार्यक्रम में नौसेना के जनक कहे जाने वाले छत्रपति वीर शिवाजी महाराज को भी याद किया। पीएम ने कहा कि शिवाजी महाराज ने समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया था जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी। शिवाजी महाराज को फादर आफ इंडियन नेवी क्यों कहा जाता है,
समंदर की रक्षा के लिए की थी नेवी की स्थापना
भारत की नौसेना का क्रेडिट शिवाजी को दिया जाता है। माना जाता है कि मराठा शासक छत्रपति शिवाजी ने ही भारतीय नौसेना की नींव रखी थी। शिवाजी के मराठा शासन के दौरान 1674 में नेवी फोर्स की स्थापित की गई थी। छत्रपति शिवाजी ने समंदर की रक्षा के लिए कोंकण और गोवा में एक मजबूत नेवी की स्थापना की थी। तटीय क्षेत्रों के आसपास शिवाजी के नेवल अड्डों को हिंदू और मुस्लिम दोनों एडमिरलों द्वारा नियंत्रित किया जाता था ताकि इस हिस्से को अरब, पुर्तगाली, ब्रिटिश और समुद्री लुटेरों से बचाया जा सके।
सन 1654 में पहला जहाज बना
बता दें कि पुर्तगाली पश्चिमी क्षेत्र से भारत में अपना प्रभुत्व कायम करना चाहते थे। वे भारत में व्यापार को नियंत्रित करना चाहते थे जिसको रोकने के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज ने एक मजबूत नेवी की अहमियत पर बल दिया था। इसके मद्देनजर पहला मराठा जहाज सन 1654 में तैयार हुआ था।
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