मां दुर्गा दृढ़ हैं तो शांत भी वीर हैं तो संघर्षशील और संहारक भी,कैसे?

मां दुर्गा दृढ़ हैं तो शांत भी वीर हैं तो संघर्षशील और संहारक भी,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:। देवी की शक्तियों को नमन करता यह श्लोक आज की सशक्त महिलाओं को प्रतिबिंबित करता है। मां के नौ स्वरूपों की नौ शक्तियां हैं और ये शक्तियां नारी में जन्म से ही पाई जाती हैं। आज की नारी ने अपने भीतर की शक्तियों को पहचान लिया है और मां दुर्गा की तरह ही कठिन और विपरीत हालात का सामना करते हुए नए संसार की रचना भी कर रही है।

दृढ़ता की शक्ति : मां का शैलपुत्री स्वरूप दृढ़ता का प्रतीक है। वह दृढ़ता, जो अन्याय के प्रति खड़े होने की शक्ति बनती है। पति के सम्मान के लिए स्वयं को भस्मीभूत करने वाली सती ने अपने पिता को कभी क्षमा नहीं किया। पुनर्जन्म में हिमालय की पुत्री बनकर शैलपुत्री कहलाईं। आज की महिलाओं में शक्ति के इस स्वरूप की झलक मिलती है, जो दृढ़ता के साथ जीवन की हर मुश्किल का सामना कर रही हैं।

संघर्ष से सफलता का मंत्र : ब्रह्मचारिणी स्वरूप माता के संघर्ष का प्रतीक है। भोले शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए देवी ने वर्षों कठिन तपस्या की और अंत में मनचाहे वरदान की स्वामिनी बनी। यह संघर्ष आज की नारी में भी नजर आता है। कर्मठ नारी अबला से सबला बनने के लिए हर पल संघर्ष कर रही है।

साहस के साथ पा रहीं मंजिल : मां का चंद्रघंटा स्वरूप साहस का प्रतीक है। बदलते सामाजिक परिवेश में महिलाएं भयभीत होकर चुप नहीं बैठ रहीं, बल्कि अपने अधिकारों के लिए साहस से लड़ रही हैं।

रचनात्मक है आदिशक्ति : कुष्मांडा मां को आदिशक्ति कहते हैं, जो संपूर्ण ब्रह्मांड को रचने वाली हैं। आज महिलाओं की रचनात्मकता समाज और देश को सुंदर बना रही है।

ज्ञान, विवेक और चेतना का परचम : स्कंदमाता ज्ञान की देवी हैं। आज महिलाएं अपने ज्ञान, विवेक और चेतना से हर जगह झंडे गाड़ रही हैं।

समझ-बूझ के साथ बढ़ रहीं आगे : माता कात्यायनी से महिलाओं को हर बात को जांचने-परखने का गुण मिला है। आज वे बहुत सोच-समझकर आगे बढ़ रही हैं।

बुराई से सतत मुकाबला : मां कालरात्रि दुष्टों की, बुराई की संहारक हैं। आज की महिला अत्याचार सहती नहीं, बल्कि डटकर उसका मुकाबला करती है।

शांति व संयम से जीत रहीं जंग : मां महागौरी शांत हैं। शांत रूप से जिंदगी के हर पल का मनन कर आगे बढऩे की शक्ति को भी आज की नारी ने खुद में संचित किया है।

शक्ति से ही आएगा स्वावलंबन : मां की सिद्धिदात्री की भूमिका दात्री की है। आज की परोपकारी महिलाएं खुलकर समाज की बेहतरी में लगी हैं। आम गृहिणी भी अपनी तपस्या से अपने परिवार को सींचती है।

नवरात्र के लिए दक्षिणी दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। कालकाजी और छतरपुर मंदिर में मां के दर्शन करने आने वाले भक्तों की सुविधा के लिए बैरिकेड आदि लगाने का काम तेजी से चल रहा है जो कि शुक्रवार तक पूरा हो जाएगा।

कालकाजी मंदिर में शुक्रवार आधी रात से ही मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे।मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि देवी मां के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो, इसके लिए उचित व्यवस्था की गई है। मंदिर के चारों तरफ बांस-बल्लियों से बैरिकेडिंग की गई है। महंत ने बताया कि इस बार मंदिर में तीन प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। ये राम प्याऊ, लोटस टेंपल और मोदी मिल की ओर से हैं।

कोरोना महामारी का प्रकोप कम होने के बाद से यह पहला नवरात्र है जिसमें कोरोना संबंधी पाबंदियां नहीं हैं। इसलिए इस बार मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों के पहुंचने की उम्मीद है। छतरपुर मंदिर में भी नवरात्र की तैयारियों के मद्देनजर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर मेटल डिटेक्टर लगाया गया है।

 

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