संगठनों पर बैन लगाया तो बिहार की सियासत भी गरमा गयी, कैसे ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उसके 8 सहयोगी संगठनों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए इन संगठनों पर 5 साल के लिए बैन लगा दिया है. टेरर फंडिंग मामले में ये बड़ी कार्रवाई की गयी है. पिछले दिनों पीएफआई के आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के बड़े सबूत सामने आने के बाद ये कदम उठाया गया. वहीं अब सरकार के इस एक्शन पर सियासत भी गरमाने लगी है. राजद सुप्रीमो लालू यादव व भाजपा के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह की प्रतिक्रिया सामने आयी है.
लालू यादव ने RSS पर बैन की मांग की
पीएफआइ पर बैन लगा तो सियासी दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आने लगी. किसी ने इस कदम की तारीफ की तो किसी ने इसे गलत बताया. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी खुलकर अपनी प्रतिक्रया दी. उन्होंने आरएसएस को निशाने पर लिया और संगठन को बैन करने की भी अपील कर दी. लालू यादव ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि लोगों के ऊपर सरकार हौवा दिखा रही है. सबसे पहले आरएसएस को बैन करना चाहिए.
BY-BY PFI- केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह
लालू यादव ने आरएसएस को बैन करने की मांग करते हुए कहा कि ये इससे भी बदतर संगठन है. आरएसएस हिंदुत्व कट्टरपंथी संगठन है. इसे बैन करना चाहिए. वहीं इस कार्रवाई पर भाजपा के फायर ब्रांड नेता सह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया है. उन्होंने तंज कसते हुए ट्वीट में लिखा BY-BY PFI. जिसपर लोगों की प्रतिक्रिया आई है. कुछ लोग इस कार्रवाई पर प्रसन्नता जाहिर कर रहे हैं. तो कुछ लोगों ने 5 साल के लिए किये बैन पर सवाल खड़े किये हैं.
पीएफआइ पर कार्रवाई
बता दें कि पीएफआइ के दफ्तरों पर हाल में ही नेशनल जांच एजेंसी एनआइए और ईडी ने ताबड़तोड़ छापेमारी की थी. बिहार-यूपी समेत कई राज्यों से 230 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था. एनआइए को ये सूचना मिली थी कि पीएफआइ पूरे देश में प्रदर्शन और आतंकी गतिविधियों से माहौल बिगाड़ने की कोशिश में लगा था. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना रैली भी इनके टारगेट पर था.
केंद्र सरकार ने पीएफआई पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया है. संस्था पर प्रतिंबध लागू किये जाने की घोषणा के बाद से बिहार नवरात्रि के इस पावन मौके पर भी सियासी बहसबाजी शुरू हो गयी है. राजद-जदयू और बीजेपी एकदूसरे पर वार-पलटवार कर रहे हैं. अब इस मामले को लेकर जदयू के पूर्व विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि अगर पीएफआई जैसे संस्था पर बैन लगाया गया है, तो आरएसएस पर बैन क्यों नहीं लगाना चाहिए ?
पीएफआई पर बैन क्यो ?
जदयू नेता गुलाम रसूल बलियावी ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पीएफआई पर किस आधार पर प्रतिबंध लगाया गया है. बिहार समेत देश की जनता और वे भी इस बात को जानना चाहते हैं. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि पीएफआई पर विदेशों से फंडिग का आरोप है. तो वे और देश की जनता जानना चाहते हैं कि किन-किन देशों से संस्था को फंडिग मिलती थी.
‘पीएफआई से जुड़े लोगों ने कैसा देशद्रोह किया’
जदयू नेता ने आगे कहा कि पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन किस आधार पर लगाया गया है. इसका पूरा स्पष्टीकरण सरकार ने नहीं दिया है. जदयू नेता ने कहा कि इसके अलावे वे ये भी जानना चाहते हैं कि इस संस्था से जुड़े लोगों ने किस-किस तरह के काम किये हैं. वे कैसे देशविरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं. सरकार को इस बात की जानकारी लोगों को देनी चाहिए.
‘जनता लेगी एक-एक पाई का हिसाब’
गुलाम रसूल बलियावी ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का नाम लिये बगैर ही उनपर इशारे ही इशारे में हमला किया. उन्होंने कहा कि जो लोग आज पीएफआई जैसे संस्था पर बैन लगाने के बाद जश्न मना रहे हैं. जनता उनसे पाई-पाई का हिसाब लेगी. जदयू नेता ने कहा कि केंद्र सरकार ने रेल, हवाई जहाज और कई सरकारी उपक्रमों को बेचने का काम किया है. देश की जनता 2024 के लोकसभा चुनाव में ऐसे लोगों को सत्ता से नीचे उतार देगी. गुलाम रसूल बलियावी ने PFI बैन को गलत करार दिया.
गृह मंत्रालय ने लगाया है बैन
बता दें कि केंद्र सरकार ने PFI पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया है. कई राज्य सरकार ने इस संगठन को बैन करने की गुजारिश की थी. जिसके बाद हाल के दिनों में NIA ने कई राज्यों में एक साथ छापेमारी की थी. इस दौरान दर्जनों लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई थी. गृह मंत्रालय ने आज बुधवार को पीएफआई और उसके 9 सहयोगी संगठनों को बैन किया है.
इन संगठनों को किया गया है बैन