नहीं मिला सही दाम तो किसानों ने फेंके अच्छी वैराइटी के कई टन आम.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कर्नाटक के श्रीनिवासपुरा के कोलार जिले में दामों में गिरावट के कारण किसानों ने आमों की कुछ किस्मों को फेंक दिया है। इन आमों में कुछ ऐसी वैराइटी भी शामिल हैं जो पिछले कुछ सालों में काफी अच्छी कीमतों पर बिकी हैं लेकिन इस साल कीमतों में गिरावट के बाद किसानों ने इनको सड़कों के किनारे फेंक दिया है। फंगल इंफेक्शन के कारण बंगनपल्ली, बेनिशान और तोतापुरी किस्मों की कीमतें तेजी से गिरी हैं, इसलिए आमों को फेंक दिया गया है अब किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

आम उत्पादकों की दुर्दशा के बारे में बताते हुए, कोलार जिला मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, नीलातुरु चिन्नप्पा रेड्डी ने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया कि पिछले सालों की तुलना में आम उत्पादकों को इस साल विशेष रूप से नुकसान हो रहा था और वे नुकसान सहन करने में असमर्थ थे। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि किसान अपनी उपज को फेंक रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘आम की तोतापुरी और बेनिशान किस्मों के लिए कोई खरीदार नहीं हैं। प्रत्येक टन बेनिशान को 2019 में 1 लाख रुपये और पिछले साल 50,000 रुपये से 80,000 रुपये के बीच बेचा गया था। हालांकि, इस साल कीमत घटकर मात्र 10,000-15,000 रुपये प्रति टन रह गई है। किसान परिवहन लागत को कवर करने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।’

इसके अलावा, उन्होंने कहा, ‘इस साल इन किस्मों के लिए तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के खरीदारों से कोई खरीदार नहीं था। हमारे यहां कोलार या चिकबल्लापुर में कारखाने भी नहीं हैं जो गुदे को स्टोर और इकट्ठा करते हैं।’ श्रीनिवासपुरा में तोतापुरी किस्म 60,000 हेक्टेयर से अधिक में उगाई जा रही है, और इस किस्म की कीमतों में गिरावट के साथ किसान चिंतित हैं।

आंध्र प्रदेश में 30 किसान ट्रेनों के माध्यम से 16,000 मीट्रिक टन आम का निर्यात किया गया है। पूनम मलकोंडैया (Poonam Malakondaiah) ने शानिवार को बताया कि वर्तमान आम सीजन के दौरान 30 किसान ट्रेनों के माध्यम से आंध्र प्रदेश से 16,000 मीट्रिक टन आम का निर्यात किया गया था। उन्होंने कहा कि हर फसल का लाभकारी मूल्य दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा गोदाम और कोल्ड स्टोरेज इकाइयां बनाई जा रही हैं।

चित्तूर में आम की 30 फीसद फसल जुलाई के अंत तक होगी पैदा

पूनम मालाकोंडैया ने बताया कि किसानों की मदद के लिए बनाए गए रायतु भरोसा केंद्रों के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं, जिससे किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल रहा है। इस वर्ष वर्तमान आम सीजन में 14 लाख मीट्रिक टन आम की उपज हुई। सरकार ने 70 फीसद उपज के लिए एक विपणन सुविधा प्रदान की है। प्रत्येक किलोग्राम आम 9 रुपये से 14 रुपये की दर से बेचा जाता है। आगे उन्होंने बताया कि रेल मंत्रालय की मदद से 30 किसान ट्रेनों के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों में 16,000 मीट्रिक टन आम का निर्यात किया जाता है। चित्तूर जिले में आम की 30 फीसद फसल जुलाई के अंत तक पैदा हो जाएगी।

किसानों की सब्सिडी के सवाल पर भी बोलीं पूनम मालाकोंडैया

इसके साथ ही पूनम मालाकोंडैया ने इस साल आम किसानों के लिए सब्सिडी वापस लेने के आरोपों का भी खंडन किया है। उन्होंने कहा कि राज्य में ऐसी कोई सब्सिडी कभी नहीं रही है। पिछली सरकार ने एक साल के लिए हस्तक्षेप किया था, लेकिन वह किसानों को नहीं बल्कि प्रसंस्करण इकाइयों को दिया गया था। इस साल किसानों को सबसे अच्छा विपणन प्रदान किया गया है। इसलिए सब्सिडी का कोई सवाल ही नहीं उठता है।

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