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कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए- निशिकांत दुबे - श्रीनारद मीडिया

कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए- निशिकांत दुबे

कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए- निशिकांत दुबे

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

वक्फ संशोधन कानून का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से सात दिनों में जवाब मांगा है। इस बीच झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए।

रिजिजू ने कही थी ये बात

निशिकांत दुबे से पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी थीं। रिजिजू ने कहा था कि विधायिका और न्यायपालिका को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।कल सरकार न्यायपालिका पर दखल देती है तो अच्छा नहीं होगा। शक्तियों का बंटवारा अच्छी तरह से परिभाषित है। गुरुवार को वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में लगभग एक घंटे तक सुनवाई हुई थी।

सात दिन में केंद्र को दाखिल करना होगा जवाब

कोर्ट ने केंद्र को सात दिन के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा। केंद्र के जवाब के बाद याचिकाकर्ताओं को पांच दिन में अपना जवाब दाखिल करना होगा। मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून के कुछ प्राविधानों पर आपत्ति जताई है। हालांकि उसने अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों के प्रवेश, वक्फ बाय यूजर संपत्तियों में किसी तरह के बदलाव पर रोक लगा दी है।

उपराष्ट्रपति धनखड़ भी कर चुके टिप्पणी

इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को कहा था कि भारत में ऐसी स्थिति नहीं हो सकती जहां न्यायपालिका राष्ट्रपति को निर्देश दे। संविधान का अनुच्छेद 142 न्यायपालिका के लिए लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल बन गया है।
उन्होंने कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और किस आधार पर? संविधान के तहत आपके पास एकमात्र अधिकार अनुच्छेद 145 (3) के तहत संविधान की व्याख्या करना है। वहां, पांच न्यायाधीश या उससे अधिक होने चाहिए। जब ​​अनुच्छेद 145(3) था, तब सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या आठ थी। यानी आठ में 5 पांच… अब संख्या 30 है… इसमें पांच जजों की संख्या विषम है।
उपराष्ट्रपति का यह बयान तमिलनाडु राज्यपाल बनाम तमिलनाडु सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया है। अपनी याचिका में तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल पर 10 विधेयकों को मंजूरी न देने का आरोप लगाया था।
 उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बाद, अब बीजेपी के एक नेता ने भी सुप्रीम कोर्ट पर उसके एक हालिया फैसले को लेकर सवाल उठाए हैं। बीजेपी नेता ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ही कानून बनाता है, तो संसद को बंद कर देना चाहिए। झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में यह सवाल उठाए हैं। निशिकांत दुबे की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति को विधेयकों पर फैसला लेने के लिए एक समय सीमा तय की थी।

‘..तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए’

अब भाजपा सांसद दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए लिखा है, “कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए।” भाजपा की ओर से देश की सर्वोच्च अदालत पर यह बहुत बड़ी टिप्पणी है। इससे पहले धनखड़ ने राज्यसभा के इंटर्न के एक कार्यक्रम में कहा था, ‘हम ऐसी स्थिति नहीं रख सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और किस आधार पर?’

सुप्रीम कोर्ट को घेर चुके हैं उपराष्ट्रपति

उन्होंने आगे कहा, ‘एक हालिया फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें बहुत संवेदनशील होना होगा। यह किसी के रिव्यू फाइल करने या न करने का सवाल नहीं है। हमने इस दिन के लिए लोकतंत्र की सौदेबाजी नहीं की। राष्ट्रपति को समयबद्ध तरीके से निर्णय लेने के लिए कहा जा रहा है, और यदि नहीं, तो यह कानून बन जाता है।’ इसका मतलब है कि अगर राष्ट्रपति किसी बिल पर तय समय में फैसला नहीं लेते हैं, तो वह अपने आप कानून बन जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट को घेर चुके हैं उपराष्ट्रपति

उन्होंने आगे कहा, ‘एक हालिया फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें बहुत संवेदनशील होना होगा। यह किसी के रिव्यू फाइल करने या न करने का सवाल नहीं है। हमने इस दिन के लिए लोकतंत्र की सौदेबाजी नहीं की। राष्ट्रपति को समयबद्ध तरीके से निर्णय लेने के लिए कहा जा रहा है, और यदि नहीं, तो यह कानून बन जाता है।’ इसका मतलब है कि अगर राष्ट्रपति किसी बिल पर तय समय में फैसला नहीं लेते हैं, तो वह अपने आप कानून बन जाएगा।

‘सुपर पार्लियामेंट बन जाएंगे’

धनखड़ ने यह भी कहा, ‘तो हमारे पास ऐसे जज हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यकारी कार्य करेंगे, जो सुपर पार्लियामेंट के रूप में कार्य करेंगे, और बिल्कुल कोई जवाबदेही नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है।’ उनका कहना है कि जज कानून बनाने लग जाएंगे, तो कार्यपालिका का काम भी करेंगे। वे संसद से भी ऊपर हो जाएंगे और उन पर किसी का नियंत्रण नहीं होगा। क्योंकि, देश का कानून उन पर लागू नहीं होता।

हालांकि, विपक्षी दलों ने वक्फ एक्ट पर कोर्ट की टिप्पणी और राष्ट्रपति को दिए गए निर्देश की सराहना की है। उनका मानना है कि कोर्ट ने सही बात कही है। कुल मिलाकर, यह मामला सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच अधिकारों को लेकर है।

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