गंजेपन से हैं परेशान तो अब नहीं है चिंता की बात,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग के वैज्ञानिकों ने पुरुषों के गंजेपन को दूर करने के लिए शोध कर हर्बल हेयर आयल तैयार किया है। विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. अजय सेमल्टी और डा. मोना सेमल्टी दंपती को इस शोध कार्य के लिए आस्ट्रेलियन पेटेंट भी मिला है। इसके साथ ही गढ़वाल विश्वविद्यालय के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने डा. सेमल्टी दंपती को इस उपलब्धि पर बधाई दी।
इससे पूर्व मोटापे और हाइपर लीपेडीमिया को लेकर हर्बल फार्मूलेशन के शोध पर भी डा. सेमल्टी को 2019 में इंडियन पेटेंट मिल चुका है। डा. अजय सेमल्टी ने कहा कि उनकी यह उपलब्धि शोध कार्यों को नए आयाम देने के लिए शोधार्थियों को प्रेरित भी करेगी। दवा की जैव उपलब्धता बढ़ाने, माइक्रो और नैनो पार्टिकल फार्मूलेशन और उनके संरचनात्मक अध्ययन को लेकर अब डा. सेमल्टी शोध कार्य कर रहे हैं। भाभा परमाणु शोध संस्थान के ध्रुवा न्यूक्लियर रिएक्टर में परमाणु वैज्ञानिकों के साथ दवा के नैनो पार्टिकल को लेकर भी वह अध्ययनरत रहे हैं। उन्होंने नौ शोध परियोजनाओं को पूरा कर लिया है और वर्तमान में दो शोध परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है।
ऐसे किया शोध
पुरुष के हार्मोंस (टेस्टो स्टीरोन) की अधिकता के कारण होने वाले गंजेपन को डा. अजय सेमल्टी ने अपने शोध में लिया है। उन्होंने कहा कि टेस्टोस्टीरोन की अधिकता के कारण पुरुष के सिर के बालों की जड़ों पर रक्त प्रवाह कम हो जाता है, जिससे बालों का गिरना शुरू हो जाता है। विशेष हर्बल प्लांट्स के तत्व लेकर उन्होंने एक ऐसा तेल तैयार किया है जिससे सिर के बालों की जड़ों पर रक्त प्रवाह का मिलना शुरू हो जाता है और बालों के गिरने का क्रम कम हो जाता है। डा. सेमल्टी ने कहा कि संबंधित हर्बल तेल बनाने की प्रक्रिया और तेल पर उन्हें यह पेटेंट मिला है। पुरुषों में होने वाले वंशानुगत गंजेपन को शोध में नहीं लिया गया है।
गंजेपन के प्रकार
- एंड्रोजेनिक एलोपेसिया – यह सर्वाधिक आम है और महिलाओ से ज्यादा पुरुषों को होता है। इसीलिए इसे पुरुषों का गंजापन भी कहा जाता है। यह स्थायी किस्म का गंजापन है और एक खास ढंग से खोपड़ी पर उभरता है। यह कनपटी और सिर के ऊपरी हिस्से से शुरू होकर पीछे की ओर बढ़ता है। यह जवानी के बाद किसी भी उम्र में शरू हो सकता है और व्यक्ति को आंशिक रूप से या पूरी तरह गंजा कर सकता है। इस किस्म के गंजेपन के लिए मुख्यत: टेस्टोस्टेरॉन नामक हारमोन संबंधी बदलाव और आनुवंशिकता जिम्मेदार होती है।
- एलोपेसिया एरीटा – इसमें सिर के अलग-अलग हिस्सों में जहां-तहां के बाल गिर जाते हैं, जिससे सिर पर गंजेपन का पैच लगा सा दिखता है। इसकी वजह अब तक अनजानी है, पर माना जाता है कि यह शरीर की रोगप्रतिरोधी शक्ति कम होने के कारण होता है।
- ट्रैक्शन एलोपेसिया – यह लंबे समय तक एक ही ढंग से बाल के खिंचे रहने के कारण होता है। जैसे, कोई खास तरह से हेयरस्टाइल या चोटी रखना। लेकिन हेयरस्टाइल बदल देने यानी बाल के खिंचाव को खत्म कर देने के बाद इसमें बालों का झड़ना रुक जाता है।
उपचार
केश प्रत्यारोपण (हेयर ट्रांसप्लांटेशन): इसके तहत सिर के उन हिस्सों, जहां बाल अब भी सामान्य रूप से उग रहे होते है, से केश-ग्रंथियां लेकर उन्हें गंजेपन से प्रभावित हिस्सों में ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसमें त्वचा संबंधी संक्रमण का खतरा बहुत कम होता है और उन हिस्सों में कोई नुकसान होने की संभावना कम होती है जहां से केश-ग्रंथियां ली जाती है।
- दवाओं के इस्तेमाल से: माइनोक्सिडिल नामक दवा का इस्तेमाल कम बाल वाले हिस्सों पर रोज करने से बाल गिरना रुक जाता है तथा नये बाल उगने लगते हैं। यह दवा रक्त वाहिनियों को सशक्त बनाती है जिससे प्रभावित हिस्सों में रक्तसंचार और हारमोन की आपूर्ति बढ़ जाती है और बाल गिरना बंद हो जाता है। एक और फाइनस्टराइड नामक दवा की एक टेबलेट रोज लेने से बालों का गिरना रुक जाता है तथा कई मामलों में नये बाल भी उगने लगते हैं।
- कॉस्मेटिक उपचार सिंथेटिक केश – गंजेपन से प्रभावित हिस्से को ढंकने के लिए विशेष रूप से निर्मित बालों का प्रयोग किया जा सकता है। यहां ध्यान देने की बात यह है कि इन बालों के नीचे की खोपड़ी को नियमित रूप से धोते रहना जरूरी है, इसमें किसी किस्म की कोताही नहींे बरती जानी चाहिए। एक और तरीका है कृत्रिम बालों की बुनाई कराना, जिसके तहत मौजूदा बालों के साथ कृत्रिम केशों की बुनाई की जाती है।
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