पैसे नहीं दे सकते तो सुसाइड कर लो- अतुल सुभाष की पत्नी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 बेंगलुरु के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की खुदकुशी मामले में परतें खुलती जा रही हैं। अतुल ने खुदकुशी से पहले करीब 80 मिनट का वीडियो रिकॉर्ड किया। उसने 24 पन्ने का सुसाइड नोट भी लिखा है। निकिता से शादी के बाद अतुल किस तरह से प्रताड़ित हुआ, उसके बारे में अब धीरे-धीरे पता चल रहा है।

जज पर रिश्वत मांगने का आरोप

अतुल ने अपनी पत्नी पर ही नहीं, बल्कि जौनपुर फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक पर भी गंभीर आरोप लगाए। अतुल के भाई विकास ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा है कि मैं चाहता हूं कि मेरे भाई को न्याय मिले। मैं चाहता हूं कि इस देश में एक ऐसी कानूनी प्रक्रिया हो जिसके जरिए पुरुषों को भी न्याय मिल सके। मैं चाहता हूं कि जज की कुर्सी पर बैठे भ्रष्ट लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।न्याय देने वाले ही अगर भ्रष्टाचार करेंगे तो न्याय की उम्मीद कैसे कर पाएंगे। न्याय की उम्मीद तभी की जा सकती है जब व्यवस्था भ्रष्टाचार मुक्त हो। न्याय तभी मिलेगा जब हर पक्ष को समान रूप से सुना जाए और तथ्यों के आधार पर दलीलें दी जाएं।

…तो लोग शादी करने से डरेंगे

विकास ने कहा कि न्याय की उम्मीद तभी की जा सकती है जब निर्णय तथ्यों के आधार पर किए जाएं। अगर ऐसा नहीं होता है तो लोगों का धीरे-धीरे न्यायिक प्रणाली पर से विश्वास उठना शुरू हो जाएगा। इससे ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है कि लोग शादी करने से डरने लगेंगे। पुरुषों को लगने लगेगा कि यदि उन्होंने शादी कर ली तो वे केवल पैसे निकालने वाले एटीएम बनकर रह जाएंगे।

हंसने लगी जज

विकास ने बताया कि एक बार सुनवाई के दौरान अतुल की पत्नी ने यहां तक ​​कहा कि अगर वह रकम नहीं चुका सकते तो उन्हें आत्महत्या कर लेनी चाहिए। इतना सुनते ही जज भी हंसने लगी। इस बात से वो काफी आहत हुए।

अतुल के चाचा ने क्या कहा?

वहीं, अतुल के चाचा ने कहा कि जो कुछ हुआ वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। अतुल को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा था। उससे लगातार पैसा मांगा जा रहा था। उन्होंने कहा कि अतुल को इंसाफ मिलना चाहिए।
कोर्ट ने कहा है कि इसके लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उकसाने के स्पष्ट सबूत होने चाहिए। जस्टिस विक्रम नाथ और पीबी वराले की पीठ ने गुजरात हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें एक महिला को कथित रूप से परेशान करने और उसे आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में उसके पति और ससुराल पक्ष के लोगों को दोषमुक्त करने से इनकार कर दिया गया था।

निशा सिंघानिया के लिए मददगार हो सकती है टिप्पणी

हाल ही में बेंगलुरु के 34 वर्षीय इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले के मद्देनजर कोर्ट की ये टिप्पणी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। गौरतलब है कि अतुल ने अपनी पत्नी और उसके परिवार के सदस्यों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इसके बाद पत्नी निकिता सिंघानिया, उसकी मां निशा, पिता अनुराग और चाचा सुशील के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया था।

ऐसे में शीर्ष अदालत की टिप्पणियां निशा और उसके परिवार के सदस्यों के लिए मददगार हो सकती हैं। हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि 2021 में कथित अपराधों के लिए दर्ज किया गया मामला, जिसमें धारा 498-ए (विवाहित महिला के साथ क्रूरता करना) और आईपीसी की धारा 306 शामिल है, आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध से संबंधित है और इसमें अधिकतम 10 साल की जेल और जुर्माना निर्धारित किया गया है।

दोषी ठहराने के लिए उत्पीड़न पर्याप्त नहीं: SC

पीठ ने 10 दिसंबर के अपने फैसले में कहा, ‘आईपीसी की धारा 306 के तहत आरोप साबित करने के लिए यह एक कानूनी सिद्धांत है कि स्पष्ट उकसाने के इरादे के लिए आरोपी की उपस्थिति आवश्यक है। केवल उत्पीड़न, अपने आप में, किसी आरोपी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है।’

इसने कहा कि अभियोजन पक्ष को आरोपी द्वारा सक्रिय या प्रत्यक्ष कार्रवाई साबित करनी चाहिए, जिसके कारण मृतक ने अपनी जान ले ली। पीठ ने कहा कि मेन्स रीया के कारण का केवल अनुमान नहीं लगाया जा सकता है और यह स्पष्ट रूप से पहचाने जाने योग्य होना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘इसके बिना, कानून के तहत उकसावे को साबित करने की जरूरत पूरी नहीं होती है।’

धारा 306 के आरोप से किया मुक्त

यह टिप्पणी करते हुए पीठ ने तीनों लोगों को धारा 306 के तहत आरोप से मुक्त कर दिया। हालांकि उसने आईपीसी की धारा 498-ए के तहत अपीलकर्ताओं के खिलाफ आरोप को बरकरार रखा। इसने नोट किया कि महिला के पिता ने उसके पति और दो ससुराल वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 और 498-ए सहित कथित अपराधों के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

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