सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर किया है कब्जा, तो सर्वे के बाद क्या होगा?

सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर किया है कब्जा, तो सर्वे के बाद क्या होगा?

 जमीन सर्वे में प्रपत्र 2 और 3 क्या है?

जमीन का मौखिक बंटवारा है तो सर्वे में क्या दिक्कत आएगी?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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बिहार में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण के बाद सरकारी जमीनों पर सालों से अतिक्रमण और अवैध कब्जा करके बैठे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होने वाली है। पूर्णिया समेत अन्य जिलों में कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की जमीन पर समय के साथ अतिक्रमण हो गया। ऐसे कई मामले भी सामने आ रहे हैं, जिनमें उलटफेर कर सरकारी जमीन को मरुसी बता दिया गया और फिर निजी व्यक्ति के नाम पर उसकी जमाबंदी करवा ली गई। कुछ मामलों में रजिस्टर टू से भी संस्थाओं के नाम गायब कर दिए गए।

उदाहरण के लिए पूर्णिया जिला परिषद के पास लगभग 2000 एकड़ की जमीन है। मगर इसके अधिकतर हिस्से पर अतिक्रमण हो गया है। आलम यह है कि जिला परिषद के लोगों को भी यह पता नहीं चल पा रहा है कि उनकी जमीन कहां-कहां पर है। अब इस सरकारी जमीन पर सर्वे के दौरान मापी की जाएगी, तो कर्मियों को स्थानीय स्तर पर विरोध और अन्य दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है।

Bihar Land Survey: सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर किया है कब्जा, तो सर्वे के बाद क्या होगा?

कटिहार जिले के टीकापट्टी डायट की कुछ जमीन के कागजात ही गायब हैं। एक प्राइमरी स्कूल की जमीन पर भी अतिक्रमण कर दिया गया। ऐसे कई उदाहरण हैं। फिलहाल बंदोबस्त पदाधिकारी सरकारी जमीनों के कागजात खोज-खोजकर निकाल रहे हैं। सर्वे के दौरान यह पता लगाया जाएगा कि किस सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं की जमीन पर अतिक्रमण किया गया है और किस पर अवैध कब्जा है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

बिहार में 20 अगस्त से जमीन सर्वे की शुरुआत हुई है। पहले चरण में ग्रामीण इलाकों में भूमि का सर्वेक्षण किया जा रहा है। सर्वे से सरकार को यह पता चल सकेगा कि कौन-सी जमीन किसके नाम पर है, उसका असली मालिक कौन है। इससे पारदर्शिता आएगी और जमीन विवादों का निपटारा करने में बहुत हद तक मदद मिलेगी।

बिहार में जमीन सर्वे यानी भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया चल रही है। ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में लोग विशेष सर्वेक्षण करवाने पहुंच रहे हैं। मगर कई लोगों को सर्वे से जुड़े दस्तावेज जुटाने और फॉर्म भरने में कठिनाई हो रही है। हालांकि, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से गांव-गांव में शिविर लगाकर समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। अगर आप जमीन का सर्वे करवाना चाहते हैं और आपको प्रपत्र 2 एवं 3 भरने हैं। साथ ही आपके जमीन की जमाबंदी या दाखिल-खारिज नहीं हुआ है और वंशावली भी नहीं बनी है, तो ऐसे में क्या करना चाहिए? इन सभी सवालों के जवाब यहां देने की कोशिश करेंगे।

सबसे पहले जानते हैं कि जमीन सर्वे में प्रपत्र 2 और 3 क्या है। दरअसल, ये स्वघोषणा पत्र हैं। प्रपत्र 2 में आपकी जमीन से जुड़ी सभी तरह की जानकारी भरनी होती है। वहीं, प्रपत्र 3 में वंशावली की जानकारी देनी होती है।

जमीन सर्वे के दौरान प्रपत्र 2 कैसे भरें?

प्रपत्र 2 एक स्वघोषणा पत्र है। इसमें सरकार द्वारा कई तरह की जानकारी मांगी गई हैं। सबसे पहले आपको रैयत का नाम, पता, खाता, खेसरा, रकबा समेत जरूरी जानकारी भरनी होगी। इसके बाद आपको बताना होगा कि आपकी जमीन की किस्म यानी प्रकार क्या है। अगर जमाबंदी नहीं है तो घबराने की जरूरत नहीं है, उस कॉलम को खाली छोड़ देना है।

अन्य कोई जानकारी मांगी गई है और उसका आपको ज्ञान नहीं है तो उसे भी खाली छोड़ सकते हैं। हालांकि आपको यह जरूर बताना होगा कि आपकी जमीन पर दावे का अधिकार कैसे है। यानी कि उक्त संपत्ति आपको दान में मिली है, उत्तराधिकार यानी विरासत में मिली है, आपने खरीदी है (केवाला) या बंदोबस्ती में प्राप्त हुई है।

जमीन सर्वे में प्रपत्र 3 कैसे भरें?

प्रपत्र 3 में जमीन मालिक अथवा आवेदनकर्ता को वंशावली भरनी होती है। यानी कि जो खातियान धारी हैं या फिर उनके वारिस हैं जो अपने नाम पर खाता खुलवाने चाह रहे हैं तो उनकी वंशावली के बारे में जानकारी इस फॉर्म में देनी होती है। इसमें सभी उत्तराधिकारियों के नाम की सही जानकारी भरें। यह भी एक तरह का स्वघोषणा पत्र है, इसके लिए आपको पंचायत या किसी सरकारी दफ्तर में जाकर वंशावली बनवाने की जरूरत नहीं है।

जमीन का मौखिक बंटवारा है तो सर्वे में क्या दिक्कत आएगी?

बिहार में जमीन का सर्वे चल रहा है। इस सर्वे का उद्देश्य भूमि के असली मालिक को उसका हक दिलाना और अक्सर लोगों के बीच होने वाले भूमि विवाद को खत्म करना है। इसके अलावा सरकार गांवों में मौजूद जमीन का डाटा भी अपने पास रखना चाहती है ताकि अधिग्रहण के वक्त परेशानी ना हो। बिहार में लैंड सर्वे के दौरान जमीन के असली मालिक को सर्वे करने आई टीम को अपनी जमीन से जुड़े अहम दस्तावेज दिखाने हैं। लेकिन बिहार में कई लोगों के पास ऐसी पुश्तैनी जमीन है जिसका सिर्फ मौखिक बंटवारा हुआ है यानी कागजों पर परिवार के बीच पैतृक जमीन का बंटवारा नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में रैयतों को सर्वेक्षण के दौरान मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।

मौखिक बंटवारा में परेशानी

पूर्वजों के पट्टीदारी की जमीन के मौखिक बंटवारे वाले रैयतों को परेशानी सामने आ रही है। सर्वे के लिए मौखिक बंटवारा मान्य नहीं है। इसमें पट्टीदार के सभी हिस्सदारों के संयुक्त हस्ताक्षर के साथ स्वघोषणा पत्र देना है। इसके लिए फुआ, बहन आदि हिस्सेदारों के हस्ताक्षर अनिवार्य हैं। यदि फुआ का देहांत हो चुका है तो उनकी सभी संतानों का हस्ताक्षर लेना होगा।

सर्वे अधिकारी केवल लिखित दस्तावेज को ही मानेंगे। मौखिक समझौते पर हुए बंटवारे को सर्वे अधिकारी नहीं मानेंगे। उदाहरण के लिए- अगर किसी के पिता की मृत्यु हो गई है और उनके तीन बेटे हैं तथा तीनों बेटों के बीच संबंधित जमीन का सिर्फ मौखिक बंटवारा हुआ है तो सर्वे अधिकारी इस बंटवारे को नहीं मानेंगे और उक्त जमीन को संयुक्त खतियान में दर्ज करेंगे। ऐसे में इसका उपाय यह है कि फैमिली बंटवारे का निबंधित दस्तावेज संबंधित मालिक जरूर पेश करें। मौखिक बंटवारे की स्थिति में संयुक्त खतियान बनेगा।

ऑनलाइन आवेदन के लिए यह दो कागजात जरूरी

भूमि सर्वे 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। इससे दूसरे प्रदेश में रह रहे लोगों को भी सुविधा होगी। भूमि सुधार और राजस्व विभाग की वेबसाइट (डीएलआरएस) के जरिए दस्तावेज जमा कराया जा सकता है। आवेदन के साथ रैयत अपना जरूरी कागजात भी अपलोड कर पाएंगे। भूमि सुधार और राजस्व विभाग ने रैयतों के लिए ऑनलाइन आवेदन लेने की सुविधा शुरू की है।

सर्वे की मॉनिटरिंग कर रहे जिला बंदोबस्त पदाधिकारी फिरोज अख्तर ने बताया कि इसके लिए विभाग की वेबसाइट पर जाकर आवेदन किया जा सकता है। आवेदन के साथ स्वघोषणा पत्र और जरूरी कागजात प्रपत्र दो और तीन (एक) में अपलोड करना है। प्रपत्र दो स्व घोषणा पत्र और प्रपत्र तीन (एक) वंशावली है। ऑनलाइन आवेदन करने वाले रैयत को सत्यापन के समय खुद या उनके प्रतिनिधि का हाजिर रहना अनिवार्य है।

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