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छोटे-छोटे अपराधों को इग्नोर करने से बढ़ रहे है बड़े अपराध - श्रीनारद मीडिया

छोटे-छोटे अपराधों को इग्नोर करने से बढ़ रहे है बड़े अपराध

छोटे-छोटे अपराधों को इग्नोर करने से बढ़ रहे है बड़े अपराध

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श्रीनारद मीडिया‚ राकेश सिंह,सिवान (बिहार)

समाज में आए दिन हो रहे अपराधों से पुलिस विभाग हलकान है।एक अपराध का उद्भेदन होना रहता है तब तक दूसरा अपराध हो जाता है।ज्यादातर अपराधों में किशोरों की संलग्नता सामने आती रही है।इन पर अंकुश लगाने में शायद पुलिसकर्मी भी अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं। समाज में हो रहे अपराध पर पुलिसकर्मियों के सोचने का तरीका मनोवैज्ञानिकों के सोचने के तरीके से काफी भिन्न रहता है। अपराध को रोकने और अपराधियों को कैसे ट्रीट किया जाए भले ही इसकी ट्रेनिंग पुलिसकर्मियों के पास है और दी जाती है। परंतु किशोरावस्था के अपराध को रोकने के लिए किशोरों का मनोविज्ञान भी समझना होगा।
मनोवैज्ञानिक स्टेनले हाल का कहना है कि “किशोरावस्था तनाव,तूफान, संघर्ष तथा विरोध की अवस्था है।वहीं किलपैट्रिक कहते हैं कि “किशोरावस्था जीवन का सबसे कठिन काल है।”
कहने का तात्पर्य यह है कि किशोरावस्था वह अवस्था है जिसमें बच्चों के बनने और बिगड़ने की काफी संभवानाएं रहती है।इस अवस्था में किशोरों की प्रमुख समस्या कामुकता और अस्तित्व के निर्माण की होती है।उसके अंदर असुरक्षा,स्वतंत्रता,आत्मसम्मान की भावना प्रबल होती है।वह अपनी तरफ लोगो को आकृष्ट करने के लिए कोई भी राह अपना सकता है।ऐसे समय में शिक्षक एवं परिवार के अलावे पुलिसकर्मियों की भूमिका भी बढ़ जाती है।
आमतौर पर देखा जाता है कि समाज में छोटे-छोटे अपराध करते-करते किशोर बड़े अपराध करने वाले युवा बन रहे हैं।पुलिसकर्मी छोटे-छोटे अपराधों को इग्नोर करते हैं।जो बाद में जाकर बहुत बड़ी समस्या बन जाती है।क्योंकि ऐसे किशोरों पर पुलिस की भले नजर ना हो अथवा इग्नोर किया जाता रहा है।परंतु जो आदतन बड़े अपराधी हैं अथवा सरगना हैं।वे इन पर नजर बनाए रखते हैं और उनकी जरूरतों को पूरा करने का प्रलोभन देकर उनसे अपराध कराते हैं।

समाज में किशोरों के बीच शराब की तस्करी,गांजा की तस्करी,मोबाईल छिनतई, छेड़खानी,किसी को पिस्तौल दिखा कर धमकाना,पिस्तौल के साथ वीडियो, फोटो आदि खींचवाना,शेयर करना आम बात हो गयी है।

जिस पर अंकुश लगाने में पुलिस विफल साबित हो रही है।अगर पुलिस को पूरा पता रहता है तो भी ऐसे फोटो-वीडियो पर कारवाई अमुमन कम ही होती है।जबकि वर्तमान सरकार के पहले शासनकाल में अवैध आग्नेयास्त्र के मामले में सर्वाधिक सजा और स्पीडी ट्रायल हुआ था।आखिर किसी के पास अवैध आग्नेयास्त्र हैं तो निश्चित तौर पर इसका दुरुपयोग ही होता होगा।कल से कथित वायरल वीडियो में ऐसा ही है।

आखिर इसे कैसे रोका जा सकता है ? तो इसके लिए पुलिस को छोटे-छोटे अपराधों पर नजर बनायी रखनी चाहिए।इसके लिए चौकीदारों सहित समाज के बुद्धिजीवियों का सहयोग लिया जाना चाहिए।इसके लिए पुलिस थाना को अपने क्षेत्राधीन मध्य और उच्च विद्यालयों के भ्रमण करने का एक रूटीन बना कर बच्चों से बातचीत की जानी चाहिए।

उन्हें अपराधों और उसके परिणाम के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।अगर इन सबके बाद कोई व्यक्ति छोटे अपराध कर बैठता है तो उसे कानून के मुताबिक कारवाई की जानी चाहिए।वैसे तमंचा लहराना जैसे अपराध को सख्ती से निपटा जाना चाहिए।क्योंकि इसमें पुलिस चाहे तो सजा का दर काफी बढ़ सकता है।

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