डेंगू के प्रकोप की अनदेखी करना बेहद घातक साबित हो सकता है.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र इत्यादि कई राज्य इस समय वायरल बुखार और डेंगू के कहर से जूझ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में तो रहस्यमयी मानी जा रही बीमारी के अधिकांश मामलों में बहुत से मरीजों में डेंगू की पुष्टि भी हुई है। डेंगू और वायरल बुखार से विभिन्न राज्यों में सैंकड़ों मरीजों की मौत हो चुकी है। देश में प्रायः मानसून के समय जुलाई से अक्तूबर के दौरान डेंगू के सर्वाधिक मामले सामने आते हैं।

दरअसल मानसून के साथ डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्छरों के पनपने का मौसम भी शुरू होता है, इसीलिए इस बीमारी को लेकर लोगों में व्यापक जागरूकता की जरूरत महसूस की जाती रही है लेकिन इस मामले में सरकारी तंत्र का हर साल बेहद लचर रवैया सामने आता रहा है, जिस कारण देखते ही देखते डेंगू का प्रकोप कई राज्यों को अपनी चपेट में ले लेता है। डेंगू प्रतिवर्ष खासकर बारिश के मौसम में लोगों को निशाना बनाता है और पिछले साल भी इसके कारण सैंकड़ों लोगों की मौत हुई थी।

देश के अनेक राज्यों में अब हर साल इसी प्रकार डेंगू का कहर देखा जाने लगा है, हजारों लोग डेंगू से पीड़ित होकर अस्पतालों में भर्ती होते हैं, जिनमें से कई दर्जन लोग मौत के मुंह में भी समा जाते हैं। दरअसल डेंगू आज के समय में ऐसी बीमारी बन गया है, जिसके कारण प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है। यह घातक बीमारियों में से एक है, जिसका यदि समय से इलाज न मिले तो यह जानलेवा हो सकता है।

भयावह होता जा रहा है डेंगू

डेंगू के कई राज्यों में बढ़ते मामलों को देखते हुए मौजूदा समय में डेंगू से बचाव को लेकर अत्यधिक सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि कोविड काल में डेंगू सहित अन्य बीमारियों के जोखिम को नजरअंदाज करना काफी खतरनाक हो सकता है। डेंगू का प्रकोप अब पहले के मुकाबले और भी भयावह इसलिए होता जा रहा है क्योंकि अब डेंगू के कई ऐसे मरीज भी देखे जाने लगे हैं, जिनमें डेंगू के अलावा मलेरिया या अन्य बीमारियों के भी लक्षण होते हैं और इन बीमारियों के एक साथ धावा बोलने से कुछ मामलों में स्थिति खतरनाक हो जाती है।

डेंगू बुखार हमारे घरों के आसपास खड़े पानी में ही पनपने वाले ऐडीस मच्छर के काटने से होने वाला एक वायरल संक्रमण ही है। ऐडीस मच्छर काले रंग का स्पॉटेड मच्छर होता है, जो प्रायः दिन में ही काटता है। डेंगू का वायरस शरीर में प्रविष्ट होने के बाद सीधे शरीर के प्रतिरोधी तंत्र पर हमला करता है। इस मच्छर का सफाया करके ही इस बीमारी से पूरी तरह से बचा जा सकता है। वैसे बीमारी कोई भी हो, उसके उपचार से बेहतर उससे बचाव ही होता है और डेंगू के मामले में तो बचाव ही सबसे बड़ा हथियार माना गया है।

डेंगू के लक्षण क्या हैं?

डेंगू प्रायः दो से पांच दिनों के भीतर गंभीर रूप धारण कर लेता है। ऐसी स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को बुखार आना बंद हो सकता है और रोगी समझने लगता है कि वह ठीक हो गया है लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है बल्कि यह स्थिति और भी खतरनाक होती है। अतः बेहद जरूरी है कि आपको पता हो कि डेंगू बुखार होने पर शरीर में क्या-क्या प्रमुख लक्षण उभरते हैं।

डेंगू के अधिकांश लक्षण मलेरिया से मिलते-जुलते होते हैं लेकिन कुछ लक्षण अलग भी होते हैं। तेज बुखार, गले में खराश, ठंड लगना, बहुत तेज सिरदर्द, थकावट, कमर व आंखों की पुतलियों में दर्द, मसूड़ों, नाक, गुदा व मूत्र नलिका से खून आना, मितली व उल्टी आना, मांसपेशियों व जोड़ों में असहनीय दर्द, हीमोग्लोबिन के स्तर में वृद्धि, शरीर पर लाल चकते (खासकर छाती पर लाल-लाल दाने उभर आना), रक्त प्लेटलेट (बिम्बाणुओं) की संख्या में भारी गिरावट इत्यादि डेंगू के प्रमुख लक्षण हैं।

डेंगू से कैसे बचें?

डेंगू से बचाव के लिए लोगों का इसके बारे में जागरूक होना बेहद जरूरी है क्योंकि उचित सावधानियां और सतर्कता बरतकर ही इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है। घर की साफ-सफाई का ध्यान रखा जाना बहुत जरूरी है। घर या आसपास के क्षेत्र में डेंगू का प्रकोप न हो, इसके लिए जरूरी है कि मच्छरों के उन्मूलन का विशेष प्रयास हो। डेंगू फैलाने वाले मच्छरों का पनपना रोकें। कुछ अन्य जरूरी बातों पर ध्यान देना भी आवश्यक है। जैसे, अपने घर में या आसपास पानी जमा न होने दें। जमा पानी के ऐसे स्रोत ही डेंगू मच्छरों की उत्पत्ति के प्रमुख कारक होते हैं।

यदि कहीं पानी इकट्ठा हो तो उसमें केरोसीन ऑयल या पैट्रोल डाल दें ताकि वहां मच्छरों का सफाया हो जाए। पानी के बर्तनों, टंकियों इत्यादि को अच्छी प्रकार से ढ़ककर रखें। कूलर में पानी बदलते रहें। यदि कूलर में कुछ दिनों के लिए पानी का इस्तेमाल न कर रहे हों तो इसका पानी निकालकर कपड़े से अच्छी तरह पोंछकर कूलर को सुखा दें। खाली बर्तन, खाली डिब्बे, टायर, गमले, मटके, बोतल इत्यादि में पानी एकत्रित न होने दें। बेहतर यही होगा कि ऐसे कबाड़ और इस्तेमाल न होने वाले टायर इत्यादि को नष्ट कर दें।

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कहीं भी पानी जमा होकर सड़ न रहा हो। घर के दरवाजों, खिड़कियों तथा रोशनदानों पर जाली लगवाएं ताकि घर में मच्छरों का प्रवेश बाधित किया जा सके। पूरी बाजू के कपड़े पहनें। हाथ-पैरों को अच्छी तरह ढ़ककर रखें। मच्छरों से बचने के लिए मॉस्कीटो रिपेलेंट्स का प्रयोग कर सकते हैं लेकिन सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना मच्छरों से बचाव का सस्ता, सरल, प्रभावी और हानिरहित उपाय है। डेंगू के लक्षण उभरने पर तुरंत योग्य चिकित्सक की सलाह लें।

डेंगू रोगी को क्या आहार दें?

किसी व्यक्ति को डेंगू हो जाने पर उसे पौष्टिक और संतुलित आहार देते रहना बेहद जरूरी है। तुलसी का उपयोग भी काफी लाभकरी है। आठ-दस तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर लें या तुलसी के 10-15 पत्तों को एक गिलास पानी में उबाल लें और जब पानी आधा रह जाए, तब पी लें। नारियल पानी पीएं, जिसमें काफी मात्रा में इलैक्ट्रोलाइट्स होते हैं, साथ ही यह मिनरल्स का भी अच्छा स्रोत है, जो शरीर में ब्लड सेल्स की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं।

विटामिन सी शरीर के इम्यून सिस्टम को सही रखने में मददगार होता है। इसलिए आंवला, संतरा, मौसमी जैसे विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन करें। बुखार होने पर पैरासिटामोल का इस्तेमाल करें और ध्यान रखें कि बुखार किसी भी हालत में ज्यादा न बढ़ने पाए लेकिन ऐसे मरीजों को एस्प्रिन, ब्रूफिन इत्यादि दर्दनाशक दवाएं बिल्कुल न दें क्योंकि इनका विपरीत प्रभाव हो सकता है।

हां, उल्टियां होने पर रोगी को नसों द्वारा ग्लूकोज चढ़ाना अनिवार्य है। स्थिति थोड़ी भी बिगड़ती देख तुरंत अपने चिकित्सक से सम्पर्क करें। फिलहाल डेंगू से बचाव के उपाय ही सबसे अहम हैं क्योंकि अभी तक इसकी कोई वैक्सीन नहीं बनी है।

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