गोपनीयता और सुरक्षा का ध्यान रखते eSIM कार्ड का प्रभाव एवं प्रासंगिकता
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
वर्तमान समय में स्मार्टफोन का उपयोग अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से इतना अधिक बढ़ गया है कि स्मार्टफोन के एक महत्त्वपूर्ण घटक, यानी सब्सक्राइबर आइडेंटिफिकेशन मॉड्यूल (Subscriber Identification Module- SIM) कार्ड को उपयुक्त विवरण की आवश्यकता है।
सिम कार्ड:
- परिचय:
- सिम कार्ड एक छोटे आकर वाला एकीकृत सर्किट या माइक्रोचिप है जो सेलुलर नेटवर्क पर ग्राहकों की पहचान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे सेलुलर नेटवर्क के विशाल क्षेत्र में किसी व्यक्ति का आईडी कार्ड माना जा सकता है।
- इस आईडी कार्ड में एक विशिष्ट पहचान संख्या होती है जिसे अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल ग्राहक पहचान (IMSI) के रूप में जाना जाता है, जिसका उपयोग उस समय ग्राहक की पहचान का पता लगाने और पुष्टि करने के लिये किया जाता है जब अन्य लोग नेटवर्क पर उन तक पहुँचने का प्रयास करते हैं।
- नेटवर्क एक्सेस में आवश्यक भूमिका:
- जब ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशंस (GSM) मानक का पालन करते हुए मोबाइल फोन को सेलुलर नेटवर्क से कनेक्ट करने की बात आती है, तो एक सिम कार्ड अनिवार्य होता है। यह कनेक्शन एक विशेष प्रमाणीकरण कुंजी (Special Authentication Key- SAK) पर निर्भर करता है जो डिजिटल लॉक और कुंजी तंत्र के रूप में कार्य करता है।
- प्रत्येक सिम कार्ड SAK को संगृहीत करता है, लेकिन यह उपयोगकर्ता के फोन के माध्यम से पहुँचने योग्य नहीं है। इसके बजाय, जब फोन नेटवर्क के माध्यम से संचार करता है, तो यह इस कुंजी का उपयोग करके सिग्नल पर ‘हस्ताक्षर’ करता है, जिससे नेटवर्क को कनेक्शन की वैधता को सत्यापित करने की अनुमति मिलती है।
- यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि इस प्रमाणीकरण कुंजी को कई कार्डों पर एक्सेस करके और कॉपी करके एक सिम कार्ड की नकल बनाना संभव है।
- प्रत्येक सिम कार्ड SAK को संगृहीत करता है, लेकिन यह उपयोगकर्ता के फोन के माध्यम से पहुँचने योग्य नहीं है। इसके बजाय, जब फोन नेटवर्क के माध्यम से संचार करता है, तो यह इस कुंजी का उपयोग करके सिग्नल पर ‘हस्ताक्षर’ करता है, जिससे नेटवर्क को कनेक्शन की वैधता को सत्यापित करने की अनुमति मिलती है।
- जब ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशंस (GSM) मानक का पालन करते हुए मोबाइल फोन को सेलुलर नेटवर्क से कनेक्ट करने की बात आती है, तो एक सिम कार्ड अनिवार्य होता है। यह कनेक्शन एक विशेष प्रमाणीकरण कुंजी (Special Authentication Key- SAK) पर निर्भर करता है जो डिजिटल लॉक और कुंजी तंत्र के रूप में कार्य करता है।
- सूचना भंडारण:
- नेटवर्क एक्सेस में अपनी प्राथमिक भूमिका के अतिरिक्त एक सिम कार्ड विभिन्न डेटा के लिये भंडारण इकाई के रूप में भी कार्य करता है। यह न केवल IMSI बल्कि एकीकृत सर्किट कार्ड पहचानकर्ता, ग्राहक के स्थान क्षेत्र की पहचान और रोमिंग के लिये पसंदीदा नेटवर्क की सूची का भी संग्रह करता है।
- इसके अतिरिक्त, सिम कार्ड में आवश्यक आपातकालीन संपर्क-सूत्र हो सकते हैं और स्थान की अनुमति होने पर ग्राहक के संपर्क तथा SMS संदेशों को संगृहीत किया जा सकता है।
- यह कॉम्पैक्ट चिप GSM-आधारित नेटवर्क पर मोबाइल संचार की कार्यक्षमता और सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
सिम कार्ड की कार्य प्रणाली:
- सिम कार्ड मानक:
- सिम कार्ड ISO/IEC 7816 अंतर्राष्ट्रीय मानक का पालन करते हैं, जिसकी देखरेख अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन और अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल कमीशन द्वारा की जाती है।
- पिन के कार्य और मानक:
- सिम कार्ड पर धातु संपर्कों को पिनों में विभाजित किया गया है, प्रत्येक पिन एक विशिष्ट उद्देश्य को पूरा करता है। प्रत्येक पिन के लिये ये भूमिकाएँ ISO/IEC 7816-2 मानक द्वारा परिभाषित की गई हैं।
- वास्तव में कुल 15 पिन होते हैं जो प्रत्येक सिम कार्ड के विभिन्न कार्यों को निर्दिष्ट करते हैं।
- सिम कार्ड पर धातु संपर्कों को पिनों में विभाजित किया गया है, प्रत्येक पिन एक विशिष्ट उद्देश्य को पूरा करता है। प्रत्येक पिन के लिये ये भूमिकाएँ ISO/IEC 7816-2 मानक द्वारा परिभाषित की गई हैं।
- सिम कार्ड की नेटवर्क भूमिका:
- जब कोई ग्राहक किसी अन्य प्राप्तकर्ता का नंबर डायल करता है, तो फोन नेटवर्क के माध्यम से डेटा भेजता है, जो सिम कार्ड पर कुंजी द्वारा प्रमाणित होता है।
- फिर यह डेटा एक टेलीफोन एक्सचेंज को भेजा जाता है। यदि प्राप्तकर्ता उसी एक्सचेंज से जुड़ा है, तो उनकी पहचान की पुष्टि की जाती है और कॉल उन्हें निर्देशित की जाती है, इस प्रक्रिया में कुछ सेकेंड का समय लगता है।
सिम कार्ड में आए परिवर्तन:
- स्मार्ट कार्ड का विकास:
- स्मार्ट कार्ड का इतिहास 1960 के दशक के उत्तरार्ध से मिलता है। इन वर्षों में मूर के नियम द्वारा वर्णित प्रौद्योगिकी में प्रगति से प्रेरित होकर, इन स्मार्ट कार्डों के आकार और वास्तुकला में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए।
- मूर का नियम कहता है कि एक एकीकृत सर्किट (IC) में ट्रांजिस्टर की संख्या हर दो साल में दोगुनी हो जाती है, जिससे कंप्यूटर समय के साथ तेज़ और सस्ता हो जाता है।
- स्मार्ट कार्ड का इतिहास 1960 के दशक के उत्तरार्ध से मिलता है। इन वर्षों में मूर के नियम द्वारा वर्णित प्रौद्योगिकी में प्रगति से प्रेरित होकर, इन स्मार्ट कार्डों के आकार और वास्तुकला में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए।
- सिम कार्ड के मानक और विकास:
- यूरोपीय दूरसंचार मानक संस्थान (ETSI) ने सिम कार्ड के लिये GSM तकनीकी विशिष्टता तैयार करके एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- इसमें तापमान परिचालन करने और कांटेक्ट प्रेशर जैसी भौतिक विशेषताओं से लेकर प्रमाणीकरण तथा डेटा एक्सेस विशेषताओं तक के पहलुओं को शामिल किया गया।
- परिवर्तन और अनुकूलता:
- 2G नेटवर्क तक ‘सिम कार्ड’ शब्द हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों को संदर्भित करता था। हालाँकि यूनिवर्सल मोबाइल टेलीकम्युनिकेशंस सिस्टम और 3G नेटवर्क के आगमन के साथ एक बदलाव आया।
- अब ‘सिम’ केवल सॉफ्टवेयर का प्रतिनिधित्व करने लगा, जबकि हार्डवेयर को यूनिवर्सल इंटीग्रेटेड सर्किट कार्ड (UICC) का लेबल दिया गया।
eSIM:
- भौतिक से eSIM तक सिम कार्ड का विकास:
- अपने भौतिक पूर्ववर्तियों के विपरीत eSIM का सॉफ्टवेर विनिर्माण प्रक्रिया के दौरान डिवाइस में एक स्थायी UICC पर लोड किया जाता है। Google Pixel 2, 3, 4 और iPhone 14 शृंखला जैसे उल्लेखनीय डिवाइस eSIM कार्यक्षमता का समर्थन करते हैं।
- eSIM के साथ उपयोगकर्ताओं को अब नेटवर्क बदलते समय या नेटवर्क से जुड़ते समय सिम कार्ड को भौतिक रूप से बदलने की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, नेटवर्क ऑपरेटर eSIM को दूरस्थ रूप से रीप्रोग्राम कर सकते हैं।
- ई-सिम (eSIM) तकनीक के विभिन्न लाभ:
- eSIM तकनीक कई लाभ प्रदान करती है। इसे पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है क्योंकि यह पुन: प्रोग्राम करने में सक्षम होता है जिसके परिणामस्वरुप भौतिक सिम कार्ड के लिये अतिरिक्त प्लास्टिक व धातु की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
- eSIM सिम एप्लिकेशन तक अलग-अलग पहुँच को सीमित कर एवं संभावित दुर्भावनापूर्ण कर्ताओं के लिये नकल को और अधिक चुनौतीपूर्ण बनाकर सुरक्षा में अभिवृद्धि करते हैं।
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