Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
बाज़ार की बदलती गतिशीलता के कारण प्रतिस्पर्द्धा आयोग का महत्त्व। - श्रीनारद मीडिया
Breaking

बाज़ार की बदलती गतिशीलता के कारण प्रतिस्पर्द्धा आयोग का महत्त्व।

बाज़ार की बदलती गतिशीलता के कारण प्रतिस्पर्द्धा आयोग का महत्त्व।

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 संसद में पेश किये जाने के साथ ही प्रतिस्पर्द्धा (संशोधन) विधेयक, 2022, जिसकी सहायता से प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 में संशोधन किया जाना है, को विपक्ष द्वारा विरोध किये जाने के बावजूद निचले सदन में पारित कर दिया गया।

प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002:

  • प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 भारतीय बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा को नियंत्रित करता है और प्रतिस्पर्द्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले गैर-प्रतिस्पर्द्धी प्रथाओं जैसे- कार्टेल, प्रमुख बाज़ार स्थिति का दुरुपयोग एवं विलय तथा अधिग्रहण को प्रतिबंधित करता है
    • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) इस अधिनियम को लागू करने और क्रियान्वयन हेतु उत्तरदायी है।
    • प्रतिस्पर्द्धा अपील अधिकरण एक वैधानिक निकाय है जिसे प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के अनुसार भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग द्वारा किसी भी नियम, निर्णय अथवा आदेशों के खिलाफ अपील सुनने और विनियमित करने हेतु बनाया गया है।
      • सरकार ने वर्ष 2017 में प्रतिस्पर्द्धा अपीलीय न्यायाधिकरण की जगह राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal- NCLAT) का गठन किया था।

प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन:

  • प्रतिस्पर्द्धा कानून के उल्लंघन के लिये दंड:
    • विधेयक “टर्नओवर” की परिभाषा में संशोधन करता है ताकि किसी व्यक्ति या उद्यम के सभी उत्पादों एवं सेवाओं को वैश्विक कारोबार में शामिल किया जा सके।
    • यह संशोधन किसी कंपनी पर न केवल भारत में उसके कारोबार के आधार पर अपितु वैश्विक कारोबार के आधार पर प्रतिस्पर्द्धा कानून के उल्लंघन के लिये ज़ुर्माना लगाने की अनुमति देता है।
  • संयोजनों को अनुमोदित करने की समय-सीमा:
    • विधेयक ने CCI के लिये संयोजन पर प्रथम दृष्टया राय बनाने की समय-सीमा को 30 कार्य दिवस के स्थान पर 30 दिन कर दिया है।
    • इस परिवर्तन का उद्देश्य भारत में विलय एवं अधिग्रहण को मंज़ूरी देने की प्रक्रिया को गति देना है।
  • विनियमों की समीक्षा:
    • विधेयक में प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 में संशोधन करने का प्रयास किया गया है, जिससे लेन-देन के मूल्य के आधार पर विलय एवं अधिग्रहण को विनियमित किया जा सके।  2,000 करोड़ रुपए से अधिक के लेन-देन मूल्य वाले सौदों के लिये CCI की मंज़ूरी की आवश्यकता होगी।
      • विधेयक में CCI के लिये इस तरह के लेन-देन पर आदेश पारित करने की समय-सीमा को 210 दिन से घटाकर 150 दिन करने का प्रस्ताव है।
    • विधेयक इस अधिनियम के तहत कुछ अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है और सज़ा की प्रकृति को ज़ुर्माने से सिविल दंड में परिवर्तित करता है।
      • इन अपराधों में CCI के आदेशों और प्रतिस्पर्द्धा विरोधी समझौतों से संबंधित महानिदेशक के निर्देशों का पालन करने में विफलता एवं प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग शामिल है।

प्रतिस्पर्द्धा (संशोधन) विधेयक का लाभ:

  • ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को बढ़ावा:
    • प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम में संशोधन का उद्देश्य नियामक बाधाओं को कम करना और भारत में ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (व्यापार करने में आसानी) को बढ़ावा देना है। इन संशोधनों से भारत में संचालित व्यवसायों की स्थिति को अधिक स्पष्टता मिलने और कंपनियों के लिये अनुपालन बोझ कम होने की उम्मीद है।
  • पारदर्शिता में वृद्धि:
    • ‘टर्नओवर’ की परिभाषा में वैश्विक कारोबार को शामिल करने का उद्देश्य भारतीय बाज़ार में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना है। संशोधन यह सुनिश्चित करता है कि कंपनियाँ अपने राजस्व को अन्य देशों में स्थानांतरित करके प्रतिस्पर्द्धा कानून के उल्लंघन हेतु दंड से बच नहीं सकती हैं।

वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023:

  • विधेयक का उद्देश्य भारत के वन संरक्षण कानून और सामरिक और सुरक्षा संबंधी परियोजनाओं में स्पष्टता लाना है।
  • यह विधेयक विभिन्न प्रकार की भूमि पर वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 की प्रयोज्यता के दायरे को स्पष्ट करने का प्रयास करता है।
  • इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक अतिरिक्त 2.5-3.0 बिलियन टन CO2 समतुल्य कार्बन सिंक के निर्माण के लिये वन आवरण को बढ़ाने के भारत के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए अधिनियम के दायरे को व्यापक बनाना है।
  • विधेयक अधिनियम के संक्षिप्त शीर्षक को वन (संरक्षण एवं संवर्द्धन) अधिनियम, 1980 कहा जाता है।
  • इस विधेयक में वनों और उनकी जैवविविधता के संरक्षण की देश की समृद्ध परंपरा को अधिनियम की प्रस्तावना में शामिल करने का प्रस्ताव है।
  • अधिनियम के दायरे से भूमि की कुछ श्रेणियों को छूट देने के लिये विधेयक में संशोधन किया गया है जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
    • रेलवे लाइन के साथ स्थित वन भूमि या सरकार द्वारा अनुरक्षित सार्वजनिक सड़क जो आवास, या रेल तक पहुँच प्रदान करती है के साथ ही अधिकतम 0.10 हेक्टेयर तक सड़क के किनारे सुविधा प्रदान करना।
    • अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं या नियंत्रण रेखा या वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ 100 किलोमीटर की दूरी के भीतर स्थित वन भूमि राष्ट्रीय महत्त्व की रणनीतिक रैखिक परियोजनाओं के निर्माण और राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु प्रस्तावित है।
  • यह भी पढ़े …………………
  • भारत के ऊर्जा संकट से निपटने के लिये प्रमुख चुनौतियां क्या है?
  • इफ्तार पार्टी सामाजिक सौहार्द की अनूठी मिसाल है-डॉ अशरफ अली
  • सीबीआई देश की प्राथमिक जांच एजेंसी है,इसका उद्देश्य क्या है?

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!