Breaking

जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये COP 28 का महत्व!

जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये COP 28 का महत्व!

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ का 28वें सम्मेलन (28th Conference of Parties- COP28) संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में संपन्न हुआ, जिसमें 197 देशों के प्रतिनिधियों ने ‘ग्लोबल वार्मिंग’ को रोकने के लिये अपनी पहलों को प्रस्तुत किया और भविष्य की जलवायु कार्रवाइयों पर चर्चा में भागीदारी की।

इस सम्मेलन के मिले-जुले परिणाम सामने आए (आशा भी, निराशा भी) और इसने पेरिस समझौते के बाद से विश्व के एक महत्त्वपूर्ण कदम को चिह्नित किया। जबकि कुछ लोग इसे जीवाश्म ईंधन युग (fossil fuel era) के समापन के रूप में देख रहे हैं, अनुकूलन प्रयासों में कमियों और शमन रणनीतियों में चिंताजनक अंतरालों को लेकर आशंकाएँ भी प्रकट की गई हैं।

  • पक्षकार सम्मेलन या COPs (Conference of Parties) जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC)—जो वर्ष 1992 में स्थापित एक बहुराष्ट्रीय संधि है, के ढाँचे के अंतर्गत आयोजित होने वाले सम्मेलन हैं।
  • ये बैठकें या सम्मेलन, जिन्हें COP के संक्षिप्त नाम से जाना जाता है, कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ के आधिकारिक सत्र (official sessions) के रूप में कार्य करते हैं।
  • इन सत्रों के दौरान भागीदार या पक्षकार देश (Parties) पेरिस समझौते के प्राथमिक लक्ष्य के साथ संरेखित वैश्विक प्रयासों का मूल्यांकन करते हैं, जहाँ ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से लगभग 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया है।
  • कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ UNFCCC का मुख्य निर्णयकारी निकाय है।
    • वे जलवायु कार्रवाई के विभिन्न पहलुओं, जैसे शमन, अनुकूलन, वित्त, प्रौद्योगिकी एवं पारदर्शिता पर निर्णय एवं संकल्प अंगीकृत करते हैं।

COP28 (2023) की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या रहीं? 

  • वैश्विक स्टॉकटेक टेक्स्ट (Global Stocktake Text): 
    • ग्लोबल स्टॉकटेक(GST) वर्ष 2015 में पेरिस समझौते के तहत स्थापित एक आवधिक समीक्षा तंत्र है।
    • वैश्विक स्टॉकटेक टेक्स्ट में वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस के दायरे में रखने के लिये आठ कदम प्रस्तावित हैं।
    • इसमें वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने और ऊर्जा दक्षता सुधार की वैश्विक औसत वार्षिक दर को दोगुना करने का आह्वान किया गया है।
    • इसमें वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर गैर-CO2 उत्सर्जन को (विशेष रूप से मीथेन उत्सर्जन सहित) व्यापक रूप से कम करने का आह्वान किया गया है।
  • जीवाश्म ईंधन से दूर जाना (Transitioning Away from Fossil Fuels):
    • COP28 ने ऊर्जा प्रणालियों में जीवाश्म ईंधन से उपयुक्त, व्यवस्थित एवं समतामूलक तरीके से दूर जाने और इस महत्त्वपूर्ण दशक में कार्रवाई तीव्र करने का आह्वान किया है ताकि वर्ष 2050 तक ‘शुद्ध शून्य’ (Net Zero) प्राप्त किया जा सके।
  • अनुकूलन पर वैश्विक लक्ष्य (Global Goal on Adaptation- GGA): 
    • वैश्विक अनुकूलन लक्ष्य अनुकूली क्षमताओं को बढ़ाने और सतत विकास के लिये भेद्यता/संवेदनशीलता को कम करने पर केंद्रित है।
    • COP28 में यह टेक्स्ट अनुकूलन वित्त को दोगुना करने और आने वाले वर्षों में अनुकूलन आवश्यकताओं के आकलन एवं निगरानी की योजना बनाने का आह्वान करता है।
    • सकारात्मक है कि जल सुरक्षा, पारिस्थितिकी तंत्र बहाली और स्वास्थ्य पर लक्ष्यों के लिये वर्ष  2030 की एक स्पष्ट तिथि को इस टेक्स्ट में शामिल किया गया है।
  • जलवायु वित्त (Climate Finance): 
    • व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Conference on Trade and Development- UNCTAD) का आकलन है कि जलवायु वित्त के लिये नए सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य (New Collective Quantified Goal- NCQG) के तहत वर्ष 2025 में धनी देशों पर विकासशील देशों का 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर बकाया होगा।
    • लक्ष्य यह है कि वर्ष 2025 से पूर्व एक नया सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य निर्धारित किया जाए। यह लक्ष्य प्रति वर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर से शुरू होगा।
    • इसमें शमन के लिये 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर, अनुकूलन के लिये 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर और हानि एवं क्षति के लिये 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर शामिल है।
  • हानि एवं क्षति कोष (Loss and Damage Fund): 
    • सदस्य देश जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से जूझ रहे देशों को मुआवजा देने के उद्देश्य से हानि एवं क्षति (Loss and Damage- L&D) कोष को संचालित करने के लिये एक समझौते पर पहुँचे हैं।
    • अल्पविकसित देशों (LDCs) और छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों (SIDS) के लिये एक विशिष्ट प्रतिशत निर्धारित किया गया है।
    • आरंभिक रूप से हानि एवं क्षति कोष की निगरानी विश्व बैंक करेगा।
  • वैश्विक नवीकरणीय और ऊर्जा दक्षता प्रतिज्ञा (Global Renewables and Energy Efficiency Pledge): 
    • प्रतिज्ञा में कहा गया है कि हस्ताक्षरकर्ता वर्ष 2030 तक विश्व की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को तीन गुना (कम से कम 11,000 गीगावॉट) करने के लिये मिलकर कार्य करने हेतु प्रतिबद्ध हैं।
    • इसमें वर्ष 2030 तक प्रत्येक वर्ष ऊर्जा दक्षता सुधार की वैश्विक औसत वार्षिक दर को 2% से दोगुना कर 4% से अधिक करने का भी आह्वान किया गया है।
  • COP28 के लिये वैश्विक शीतलन प्रतिज्ञा (Global Cooling Pledge):
    • इसमें हस्ताक्षरकर्ता के रूप में 66 राष्ट्रीय सरकारें शामिल हैं जो वर्ष 2050 तक वर्ष 2022 के स्तर के सापेक्ष वैश्विक स्तर पर सभी क्षेत्रों में शीतलन-संबंधी उत्सर्जन को कम से कम 68% कम करने के लिये मिलकर कार्य करने हेतु प्रतिबद्ध हैं।
  • परमाणु ऊर्जा को तीन गुना करने की घोषणा (Declaration to Triple Nuclear Energy):
    • COP28 में की गई घोषणा का लक्ष्य वर्ष 2050 तक वैश्विक परमाणु ऊर्जा क्षमता को तीन गुना बढ़ाना है।

COP28 में भारत की क्या प्रमुख गतिविधियाँ रहीं? 

  • हरित ऋण पहल (Green Credit Initiative):
    • हरित ऋण पहल को स्वैच्छिक ग्रह-समर्थक कार्रवाइयों को प्रोत्साहित करने हेतु एक तंत्र के रूप में संकल्पित किया गया है जो जलवायु परिवर्तन की चुनौती के लिये एक प्रभावी प्रतिक्रिया होगी।
    • यह प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने और उनका पुनरुद्धार करने के लिये बंजर/अपघटित भूमि और नदी जलग्रहण क्षेत्रों में वृक्षारोपण के लिये हरित ऋण जारी करने की परिकल्पना करता है।
  • उद्योग परिवर्तन के लिये नेतृत्व समूह का द्वितीय चरण (Phase II of the Leadership Group for Industry Transition- LeadIT 2.0): 
    • यह समावेशी एवं न्यायसंगत उद्योग परिवर्तन, सह-विकास एवं निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और उद्योग परिवर्तन के लिये उभरती अर्थव्यवस्थाओं को वित्तीय सहायता पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • ग्लोबल रिवर सिटीज़ एलायंस (GRCA): 
    • इसे भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के तहत क्रियान्वित राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के नेतृत्व में COP28 में लॉन्च किया गया।
    • GRCA संवहनीय नदी-केंद्रित विकास और जलवायु प्रत्यास्थता में भारत की भूमिका को उजागर करता है।
    • यह एक मंच के रूप में ज्ञान के आदान-प्रदान, नदी-शहर जुड़ाव (river-city twinning) और सर्वोत्तम अभ्यासों के प्रसार की सुविधा प्रदान करेगा।
  • स्थानीयकृत जलवायु कार्रवाई पर क्वाड क्लाइमेट वर्किंग ग्रुप (QCWG) : 
    • यह आयोजन संवहनीय जीवन शैली के समर्थन में स्थानीय समुदायों एवं क्षेत्रीय सरकारों की भूमिका को चिह्नित करने और उसे संवर्द्धित करने पर केंद्रित था।

जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध संघर्ष में COPs अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं लेकिन आगे की राह चुनौतीपूर्ण और आशाजनक दोनों है। इसकी सफलता के लिये सामूहिक दृढ़ संकल्प, अटूट प्रतिबद्धता और यह चिह्नित किया जाना आवश्यक है कि बहुत कुछ दाँव पर लगा है। वैश्विक समुदाय निर्धारित योगदान को अपनाकर और वास्तविक साझेदारियों का निर्माण कर एक संवहनीय एवं प्रत्यास्थी भविष्य का निर्माण कर सकता है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!