भारत-पाकिस्तान संबंधों को मज़बूत करने में शंघाई सहयोग संगठन का महत्त्व
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के इस्लामाबाद में SCO परिषद के शासनाध्यक्षों की बैठक के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री के साथ अनौपचारिक बातचीत की।
- इसमें कहा गया है कि यह बातचीत पिछली मुलाकातों की तुलना में अधिक सकारात्मक रही।
- शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शासनाध्यक्षों की परिषद, SCO के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के बाद दूसरी सबसे बड़ी परिषद है।
SCO शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान के बीच क्या सकारात्मक घटनाक्रम हुए?
- विवादास्पद भाषणों का परिहार: भारत और पाकिस्तान दोनों ने अपने राष्ट्रीय वक्तव्यों में विवादास्पद भाषणों का प्रयोग करने से परहेज किया।
- पाकिस्तान की ओर से कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों का कोई सीधा उल्लेख नहीं किया गया, जबकि भारत ने सीमा पार आतंकवाद पर चर्चा करते समय पाकिस्तान का विशेष उल्लेख करने से परहेज किया।
- प्रोडक्टिव मीटिंग: भारत ने SCO की प्रोडक्टिव मीटिंग आयोजित करने के लिये पाकिस्तानी नेतृत्व की सराहना की तथा अपने प्रस्थान वक्तव्य में सकारात्मक संकेत दिया।
- क्षेत्रीय मुद्दों पर सहयोग: व्यापार, संपर्क, ऊर्जा प्रवाह तथा आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के विरुद्ध सहयोग जैसे विषयों पर चर्चा की गई, जिसमें टकराव के बजाय सहयोग पर बल दिया गया।
- कुछ SCO सदस्यों के साथ TAPI (तुर्कमेनिस्तान-पाकिस्तान-अफगानिस्तान-भारत) ऊर्जा पाइपलाइन और अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई।
- आर्थिक सहयोग के लिये पहल: इस शिखर सम्मेलन के परिणामस्वरूप आर्थिक वार्ता कार्यक्रम और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिये रणनीतियों को प्रस्तावित किया गया।
- संयुक्त वक्तव्य में हरित विकास, डिजिटल अर्थव्यवस्था, व्यापार के साथ निर्धनता उन्मूलन एवं नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर बल दिया गया।
यह सकारात्मक घटनाक्रम महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
- अनुच्छेद 370 का निरसन (2019): अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति (अनुच्छेद 370) को रद्द करने के भारत के फैसले से पहले से ही कमजोर संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो गए।
- पाकिस्तान इसे अवैध मानता है जबकि भारत इसे अपना आंतरिक मामला मानता है।
- द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट: 7 अगस्त 2019 को पाकिस्तान ने भारत द्वारा जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के प्रतिक्रिया में भारत के साथ राजनयिक संबंधों को निम्न कर चार्ज डी’एफेयर स्तर तक कर दिया और भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया।
- सिंधु जल संधि: विशेष रूप से किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं पर विवाद से तनाव में वृद्धि हुई, जिसमें पाकिस्तान का आरोप है कि भारत संधि का उल्लंघन कर रहा है।
- भारत ने औपचारिक रूप से पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि (IWT) की समीक्षा और संशोधन का अनुरोध किया है, जो पाकिस्तान को उचित नहीं लगा।
- सीमित व्यापार: वर्ष 2019 में पुलवामा हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान का सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (MFN) का दर्जा रद्द कर दिया तथा पाकिस्तान ने द्विपक्षीय व्यापार निलंबित कर दिया।
- अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से द्विपक्षीय व्यापार बाधित हुआ। वर्ष 2018-19 में निर्यात के रूप में 2.06 बिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात के रूप में 0.495 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ।
- आंतरिक हस्तक्षेप: पाकिस्तान ने भारत पर बलूचिस्तान प्रांत में अशांति फैलाने और वहाँ अलगाववादी आंदोलनों को समर्थन देने का आरोप लगाया है।
- भारत ने पाकिस्तान पर कश्मीरी युवाओं को कट्टरपंथी बनाने तथा कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने का आरोप लगाया है।
बहुपक्षीय मंच भारत-पाकिस्तान संबंधों को कैसे सुधार सकते हैं?
- वार्ता के लिये तटस्थ मंच: SCO जैसी बहुपक्षीय संस्थाएँ भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय तनाव के बिना बातचीत करने के लिये तटस्थ वातावरण प्रदान करती हैं।
- ये मंच अनौपचारिक बातचीत और ट्रैक-टू कूटनीति (अनौपचारिक, गैर-सरकारी चर्चा) की सुविधा देते हैं, जिससे तनाव कम होने के साथ संचार के रास्ते खुल सकते हैं।
- क्षेत्रीय सहयोग: SAARC के माध्यम से दोनों राष्ट्रों ने पहले भी क्षेत्रीय व्यापार समझौतों पर सहयोग किया है।
- जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएँ अभी भी अधिक हैं।
- सुरक्षा चिंताएँ: भारत और पाकिस्तान दोनों ही SCO के क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढाँचे (RATS) का हिस्सा हैं जिसका उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटने में सहयोग को बढ़ावा देना है।
- इससे ऐसा ढाँचा मिलता है जिसके तहत दोनों देश साझा सुरक्षा खतरों पर मिलकर कार्य कर सकते हैं, भले ही उनके द्विपक्षीय संबंध तनावपूर्ण हों।
- अविश्वास को कम करना: संयुक्त राष्ट्र महासभा और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों में कई देशों की भागीदारी होती है जो रचनात्मक बातचीत के लिये मध्यस्थ के रूप में कार्य कर सकते हैं।
- बहुपक्षीय कूटनीति से तनाव कम हो सकता है जैसा कि वर्ष 1999 के कारगिल संघर्ष (जिसमें अंतर्राष्ट्रीय दबाव ने स्थिति को सामान्य करने में भूमिका निभाई) में देखा गया था।
- आर्थिक आदान-प्रदान: पारस्परिक लाभ वाली तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) पाइपलाइन और ईरान-पाकिस्तान-भारत (IPI) पाइपलाइन जैसी परियोजनाएँ विभिन्न विरोधियों के बीच भी सहयोग को बढ़ावा दे सकती हैं।
SCO के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: यह 15 जून 2001 को शंघाई, चीन में स्थापित एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
- स्थापना: इसकी स्थापना छह संस्थापक देशों अर्थात् कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान द्वारा की गई थी।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास को मज़बूत करना, विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना, क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित करना तथा एक निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था को बढ़ावा देना है।
- सिद्धांत: SCO में शंघाई स्पिरिट का पालन होता है जो पारस्परिक विश्वास, पारस्परिक लाभ, समानता, परामर्श, सांस्कृतिक विविधता के प्रति सम्मान और साझा विकास पर आधारित है।
- निर्णय लेने वाली संस्थाएँ: SCO का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय राष्ट्राध्यक्षों की परिषद (CHS) है, जिसकी प्रमुख संगठनात्मक मुद्दों पर विचार करने के लिये प्रतिवर्ष बैठक होती है।
- सहयोग रणनीतियों पर चर्चा करने, क्षेत्रों को प्राथमिकता देने तथा बजट को मंजूरी देने के लिये प्रतिवर्ष शासनाध्यक्षों की परिषद (CHG) की बैठक होती है।
- स्थायी निकाय: SCO के दो स्थायी निकाय हैं।
- इसका सचिवालय बीजिंग में स्थित है, जो संगठन के दैनिक कार्यों के लिये ज़िम्मेदार है।
- ताशकंद की क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना (RATS) की कार्यकारी समिति, क्षेत्रीय सुरक्षा के साथ आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करती है।
- वर्तमान सदस्यता: SCO के 10 पूर्ण सदस्य हैं अर्थात् चीन, रूस, कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उजबेकिस्तान, भारत, पाकिस्तान, ईरान (2023) और बेलारूस (2024)।
- SCO-अफगानिस्तान संपर्क समूह: वर्ष 2005 में SCO ने अफगानिस्तान में सुरक्षा और स्थिरता संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये SCO-अफगानिस्तान संपर्क समूह का गठन किया, जो क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- आधिकारिक भाषाएँ: SCO की आधिकारिक भाषाएँ रूसी और चीनी हैं जो सदस्य देशों के बीच संचार को सुविधाजनक बनाती हैं।
- साझेदारियाँ और सहयोग: SCO ने विभिन्न संगठनों के साथ साझेदारियाँ विकसित की हैं जिनमें स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (CIS), दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN), सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (CSTO) और कई संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ शामिल हैं।
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