शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले अहम बदलाव.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
शिक्षा किसी समाज का दर्पण होती है, जैसी शिक्षा, वैसा समाज। भारत सदियों पहले विश्व गुरु था और इसके मूल में इसकी शिक्षा व्यवस्था ही थी। मेगस्थनीज हों या ह्वेनसांग, विदेशी विद्वान और यात्री जब भारत का उल्लेख करते थे तो यहां की शिक्षा व्यवस्था की प्रशंसा अवश्य होती थी। अब हम 21वीं सदी में हैं और देश को एक बार फिर विश्व गुरु बनाने के संकल्प में हमारी शिक्षा व्यवस्था महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है। 2022 के आगमन के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में नई आशाओं के कोपल फूटने लगे हैं। क्या होगा, कैसे होगा जैसे अनगिनत प्रश्न मन में कौंध रहे हैं। आइए समझें यह वर्ष शिक्षा जगत के लिए क्या उम्मीदें लेकर आ रहा है:
आकंड़ों पर डालिए नजर
- 93 हजार करोड़ से अधिक की राशि वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में शिक्षा मंत्रलय के लिए आवंटित की गई
- 54 हजार करोड़ से अधिक राशि शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले स्कूली शिक्षा विभाग को आवंटित की गई
- 38 हजार करोड़ का आवंटन देश में उच्च शिक्षा के लिए किया गया 2021-22 में
- 8वें नंबर पर शिक्षा मंत्रालय 2021-22 में बजट आवंटन के मामले में सभी मंत्रालयों में रहा
- 2.67 प्रतिशत सरकार के कुल खर्च का शिक्षा के लिए आवंटित किया गया 2021-22 में
1-आदर्श विद्यालयों से बढ़ी आस
-2021 समाप्त होते-होते केंद्र सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को एक और संजीवनी देते हुए देश में 15 हजार से अधिक आदर्श स्कूल बनाने का निर्णय किया है।
-2021 के बजट में वित्त मंत्रालय ने आदर्श स्कूलों के लिए बजट आवंटित किया था। इस कारण आदर्श स्कूलों की परिकल्पना साकार होने में किसी परेशानी की आशंका नहीं है।
-यह कार्य 2024 तक किया जाना है, लेकिन इसके लिए 2022 आधार वर्ष हो सकता है क्योंकि बहुत काम किया जाना है। इन स्कूलों का चयन राज्य सरकारों के साथ मिलकर किया जाएगा।
-आदर्श स्कूलों में सभी विद्यार्थी सुरक्षित, प्रोत्साहित करने वाले शैक्षिक वातावरण में सीखेंगे। समुचित संसाधनों की उपलब्धता सरकार सुनिश्चित करेगी।
-इन स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं, पुस्तकालय, कौशल प्रयोगशाला, खेल मैदान, कंप्यूटर प्रयोगशाला और विज्ञान प्रयोगशाला जैसी सुविधाएं होंगी।
-आदर्श स्कूल में शिक्षा एकीकृत, वास्तविक जीवन की स्थितियों पर आधारित, प्रायोगिक, समग्र, विद्यार्थी केंद्रित, कक्षा में चर्चा आधारित और लचीली होगी।
2-स्कूली शिक्षा में तेज होंगे सुधार
-पिछले दो साल कोरोना महामारी के कारण स्वास्थ्य की चिंता शिक्षा पर भारी पड़ी है। विद्यार्थी घरों में कैद रहे। पढ़ने-पढ़ाने की व्यवस्था आभासी हो गई। 2022-23 सत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में स्कूली शिक्षा के लिए तय कई कार्यो को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा।
-हर स्तर पर परीक्षा के बोझ को कम करने व शिक्षा को रुचिकर बनाने पर जोर है। नववर्ष में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) पर इसका सर्वाधिक दायित्व रहेगा।
-सीबीएसई और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संगठन (एनआइओएस) दो प्रकार की परीक्षाओं के तंत्र पर काम करेंगे, एक विषय आधारित (सब्जेक्टिव)और दूसरा वस्तुनिष्ठ (आब्जेक्टिव)।
-राष्ट्रीय स्तर पर नये पाठ्यक्रम (एनसीएफईसीसीई) का प्रारूप प्रस्तुत कर आगे बढ़ाने का जिम्मेदारी एनसीईआरटी पर रहेगी।
3-उच्च शिक्षा में बदलाव की बयार
-केवल प्राथमिक और माध्यमिक ही नहीं, देश में उच्च शिक्षा का परिदृश्य भी बदलने जा रहा है। नववर्ष में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एनईपी के अनुसार शिक्षा व्यवस्था के रूपांतरण को आगे बढ़ाने की तैयारी कर ली है।
-कोरोना के कारण एनईपी के उच्च शिक्षा से संबंधित बिंदु पूरी तरह लागू नहीं किए जा सके। 2022 में इस दिशा में कार्य पूरा करने की आस बलवती हुई है।
-इस दिशा राज्य सरकारों और विश्वविद्यालय के कुलपतियों के साथ विमर्श आरंभ हो चुका है।
-दिल्ली विश्वविद्यालय ने प्रवेश के लिए कटआफ की कड़ी प्रतिद्वंद्विता के बजाय प्रवेश परीक्षा से प्रवेश देने का निर्णय किया है। नववर्ष में विद्यार्थियों के लिए यह बड़ा उपहार होगा।
-यह परीक्षा संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की तरह दो बार होगी ताकि एक बार सफल न होने पर विद्यार्थी निराश न हों और दोबारा प्रयास कर सकें।
-परीक्षा में दो पेपर होंगे, एक सामान्य ज्ञान, तर्कशक्ति आदि पर आधारित होगा और दूसरा विद्यार्थी की रुचि के विषय का होगा।
4-शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति
-कोरोना काल से काफी पहले ही बायजूस जैसा डिजिटल शिक्षा एप बाजार में आ चुका था, लाखों विद्यार्थी इसके जरिये पढ़ाई भी कर रहे थे, लेकिन 2020 ने परिदृश्य पूरी तरह बदल दिया।
-एनईपी भी डिजिटल शिक्षा के महत्व को समझती है और इसके तहत भारत में शिक्षा में डिजिटल तकनीक के समावेश पर खासा जोर दिया गया है।
-2022 में आफलाइन के साथ ही आनलाइन शिक्षा का क्रम समृद्ध होने की भी पूरी आशा है। एनईपी के तहत एक स्वायत्त संस्था राष्ट्रीय शैक्षिक तकनीकी फोरम का प्रविधान किया गया है।
-इसके जरिये भारत में शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल नवाचार और विस्तार की योजना पूरी की जानी है। शिक्षकों को डिजिटली अधिक क्षमतावान बनाने की दिशा में भी काम होगा।
-नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क के तहत आने वाले शीर्ष सौ विश्वविद्यालय को आनलाइन शिक्षा भी करानी होगी। इससे आने वाले वर्ष में उच्च शिक्षा में तकनीक के अधिक और उन्नत प्रयोग की उम्मीद बढ़ी है।
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