Breaking

देश को तकनीकी रूप से उन्नत बनाने में इंजीनियरों की महत्वपूर्ण भूमिका-पीएम मोदी.

देश को तकनीकी रूप से उन्नत बनाने में इंजीनियरों की महत्वपूर्ण भूमिका-पीएम मोदी.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश में हर साल 15 सितंबर को अभियंता दिवस यानी इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर बधाई दी है। उन्होंने कहा कि देश को बेहतर और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने में इंजीनियरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दिन की उनको बधाई। इसके अलावा उन्होंने एम. विश्वेश्वरय्या को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘सभी मेहनती इंजीनियरों को इंजीनियर डे की बधाई। हमारे ग्रह को बेहतर और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें धन्यवाद देने के लिए कोई शब्द पर्याप्त नहीं हैं। मैं श्री एम. विश्वेश्वरय्या को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनकी उपलब्धियों को याद करता हूं।’

भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया एक युगद्रष्टा इंजीनियर थे। 15 सितंबर, 1861 को कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर में जन्मे विश्वेश्वरैया के जन्मदिन के उपलक्ष्य में ही अभियंता दिवस मनाया जाता है। अल्पायु में पिता के निधन के कारण उनके परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा, परंतु विश्वेश्वरैया ने अपना परिश्रम जारी रखा। उनकी योग्यता से प्रभावित होकर मैसूर रियासत ने उन्हें छात्रवृत्ति दी। वर्ष 1883 में उन्होंने एलसीई और एफसीई परीक्षाओं में पहला स्थान हासिल किया, जिन्हें वर्तमान में बीई डिग्री के बराबर माना जाता है। उनकी योग्यता को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें नासिक जिले में सहायक अभियंता के रूप में नियुक्त किया।

एक इंजीनियर यानी अभियंता के रूप में विश्वेश्वरैया को पुणे के खड़गवासला बांध की ऊंचाई बढ़ाए बिना ही बांधों के जल भंडारण स्तर में वृद्धि करने के लिए ख्याति मिली। विश्वेश्वरैया ने स्वचालित जलद्वारों का उपयोग खड़गवासला बांध पर ही किया था। वर्ष 1909 में उन्हें मैसूर राज्य का मुख्य अभियंता नियुक्त किया गया।

विश्वेश्वरैया ने कृष्णराज सागर बांध के निर्माण में चीफ इंजीनियर की भूमिका निभाई थी। इस बांध को बनाना इतना आसान नहीं था, क्योंकि तब देश में सीमेंट नहीं बनता था। फिर भी विश्वेश्वरैया ने हार नहीं मानी। उन्होंने इंजीनियरों के साथ मिलकर मोर्टार तैयार किया जो सीमेंट से ज्यादा मजबूत था। यह बांध कर्नाटक राज्य में स्थित है। उस समय यह एशिया के सबसे बड़े बांध के रूप में प्रतिष्ठित हुआ था, जिसकी लंबाई 2621 मीटर और ऊंचाई 39 मीटर रही। आज कृष्णराज सागर बांध से निकली 45 किलोमीटर लंबी विश्वेश्वरैया नहर एवं अन्य कई नहरों से कर्नाटक के तमाम क्षेत्रों की करीब 1.25 लाख एकड़ भूमि में सिंचाई होती है।

विद्युत उत्पादन के साथ ही मैसुरु और बेंगलुरु जैसे शहरों को पेयजल आपूर्ति करने वाला कृष्णराज सागर बांध विश्वेश्वरैया के तकनीकी कौशल और प्रशासनिक योजना की सफलता का प्रमाण है। दक्षिणी बेंगलुरु में जयनगर की उत्कृष्ट डिजाइन के लिए भी वह विख्यात हुए। आज चाहे चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा ब्रिज हो या अटल टनल से लेकर बार्डर के नजदीकी इलाकों या फिर देश में सुगम राजमार्गों का जाल,

ऐसे उत्कृष्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के साथ देश के विकास का जो रास्ता विश्वेश्वरैया ने दिखाया था, भारत उसी पथ पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में कोल्हापुर, बेलगाम, धारवाड़, बीजापुर, अहमदाबाद और पुणे समेत कई शहरों में जलापूर्ति परियोजनाओं पर काफी काम किया था। देश भर में कई नदियों पर बने बांध, पुल और पेयजल परियोजनाओं को पूर्ण रूप से सफल बनाने में सर विश्वेश्वरैया का अहम योगदान रहा।

Leave a Reply

error: Content is protected !!