इंटरनेट की दुनिया में हिन्दी की अहम भूमिका!
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भूमण्डलीकरण युग में बाजारीकरण हुआ है। बाजार में उपभोक्ताओं तक उत्पादों की अधिक और सहज पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आम आदमी की सम्पर्क भाषा का चुनाव किया जाता है। इस मामले में हिन्दी ने बाजी मारी है। एक अनुमान के अनुसार आज वैश्विक बाजार में हिन्दी भाषा के विज्ञापनों वाले उत्पाद अंग्रेजी भाषा वाले विज्ञापनों से दस फीसदी से अधिक कमाई कर रहे हैं।
जाने-माने हिंदी तकनीक विशेषज्ञ बालेन्दु शर्मा दाधीच ने कहा की कंप्यूटर पर स्वदेशी भाषाओं में काम करना संभव और आसान हो गया है. बुनियादी तकनीकी आवश्यकताएं पूरी होने के बाद अब हिंदी में ई-प्रशासन, ई-सेवाओं, ई-कॉमर्स, ई-शिक्षा पर ध्यान दिया जाना चाहिए। साथ ही साथ मोबाइल फोन, हैंडहेल्ड गैजेट्स, एटीएम यहाँ तक कि कैलकुलेटर से लेकर गेमिंग डिवाइसेज और खिलौनों की एलसीडी स्क्रीन्स तक में आम आदमी की भाषा और लिपि आनी चाहिए।
दाधीच ने तकनीकी क्षेत्र में मौजूद समस्याओं और चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि मूल रूप से अंग्रेजी में बनी लाखों वेबसाइटों की सामग्री हिंदी में अनूदित की जानी चाहिए। हर बड़ी कंपनी और संगठन की हिंदी में वेब पर मौजूदगी होनी चाहिए। पुराने फॉन्ट्स में पड़े करोड़ों-अरबों हिंदी के डॉक्यूमेंट यूनिकोड में कनवर्ट किए जाने चाहिए। ट्रांसलेशन, स्पीच-टू-टेक्स्ट, ओसीआर जैसी इनोवेटिव तकनीकों के एकाध नहीं बल्कि दर्जनों विकल्प आने चाहिए। हर कीबोर्ड पर हिंदी के अक्षर मुद्रित करने की अनिवार्यता होनी चाहिए।
इंटरनेट की दुनिया में भी हिन्दी का रूतबा बढ़ा है। वेबसाईट, ब्लॉग, ऐप आदि भी हिन्दी में संचालित होने लगे हैं। हिन्दी साहित्य और शोध सामग्री इंटरनेट पर बड़ी तेजी से बढ़ी है। अब इंटरनेट की दुनिया में भी हिन्दी का रूतबा बढ़ा है। एक अनुमान के अनुसार भारत में इंटरनेट का प्रयोग 70 करोड़ से अधिक लोग करते हैं, जिनकी संख्या वर्ष 2025 तक 95 करोड को पार कर जाएगी। गूगल ने भी यह स्वीकार किया है कि हिन्दी में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या अंग्रेजी में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों से अधिक हो जाएगी।
गूगल के आंकड़ों के अनुसार हिन्दी में डिजीटल सामग्री पढ़ने वाले लोगों की संख्या में प्रतिवर्ष 94 प्रतिशत की दर से बढ़ौतरी हो रही है। गूगल का गूगल असिस्टेंट, अमेजन का अलेक्सा, माइक्रोसॉफ्ट की कोर्टाना, एप्पल की सीरी आदि सभी आभासी सहायक हिन्दी को वैश्विक स्तर पर एक नया आयाम दे रहे हैं। गूगल ने वर्ष 2018 में गूगल असिस्टेंट में हिन्दी भाषा के उपयोग की शुरूआत की थी। लेकिन मात्र दो वर्षों में ही इसके हिन्दी उपयोगकर्ताओं की संख्या अंग्रेजी के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गई थी।
गूगल, माईक्रोसॉफ्ट, आइबीएम, ओरेकल जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने हिन्दी में अपनी डिजीटल सुविधाओं सुसज्जित करने और हिन्दी में उपयोगी उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करके हिन्दी को एक नई दिशा प्रदान की है। हिन्दी के बढ़ते वैश्विक रूप से प्रभावित होकर विश्व की अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियां, वैश्विक संगठन, विभिन्न देशों के दूतावास और उपक्रम अपनी वेबसाइट को हिन्दी में भी तैयार करवाने लगे हैं।
हिन्दी टूल्स जैसे कि यूनिकोड फोंट, यनिकोड हिन्दी की-बोर्ड, हिन्दी ऐप ‘लीला’, गुगल डॉक, गुगल वॉइस टाइपिंग, मशीन अनुवाद (मंत्र) राजभाषा, गुगल अनुवाद, ई-महाशब्दकोश मोबाइल ऐप, ई-सरल हिन्दी वाक्यकोश मोबाईल ऐप आदि ने हिन्दी लेखन एवं टंकन को सहज, सरल और सुबोध बना दिया है। माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी वेबसाईट पर हिंदी में टाईप करने की सहज एव सरल सुविधा देने के लिए इंडिक सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया है, जिसे नि:शुल्क लैपटॉप/कम्प्यूटर में डाऊनलोड किया जा सकता है। इस सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करके किसी भी कुंजीपटल के द्वारा हिंदी टाईपिंग सहज रूप से की जा सकती है।
कार्यालयीन दस्तावेजों के शीघ्र हिंदी अनुवाद हेतु राजभाषा विभाग द्वारा स्वदेशी टूल ‘कंठस्थ’ सी-डेक, पुणे के सहयोग तैयार किया गया था। अब इसका ‘कंठस्थ-2.0’ संस्करण भी लांच किया जा चुका है। ‘कंठस्थ-2.0’ को आधुनिक युग में हिंदी अनुवाद की सर्वोत्तम तकनीक कही जा सकती है। इस सॉफ्टवेयर पर काम करना बहुत सरल है। कोई भी प्रयोक्ता जिसे कंप्यूटर पर किसी भी रूप में टंकन करना आता है, इस सॉफ्टवेयर पर आसानी से काम कर सकता है।
यह यूनिकोड के फोंट पर काम करता है और इसमें एमएस वर्ड, एक्शल एवं पीपीटी जैसी अनेक प्रकार की फाइलें खोलकर उनका अनुवाद किया जा सकता है। यह सॉफ्टवेयर दोहराए जाने वाले अनुवादो के लिए बहुत मददगार है। सबसे बड़ी बात यह है कि जहाँ अंतरराष्ट्रीय अनुवाद सॉफ्टवेयरों की कीमतें 30-35 हजार से लेकर 1,00,000/- या अधिक होती हैं, वहीं यह सभी के लिए एकदम निःशुल्क है।
सोशल मीडिया के सभी मंचों वाट्सअप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ब्लॉग्स, एक्स (ट्विटर), यूट्यूब आदि पर हिन्दी का डंका बजने लगा है। बड़ी बड़ी कंपनियों की वेबसाईट, ब्लॉग, ऐप आदि भी हिन्दी में संचालित होने लगे हैं। ओटीटी के माध्यमों में नेटफ्लिक्स, प्राइम विडियो, हॉट स्टार, अमेजन जैसे प्लेटफॉर्म पर हिन्दी अपना परचम लहरा रही है।
हिंदी-दिवस पर भारत की जनता यह संकल्प भी ले कि वह हिंदी को नौकरशाही के शिकंजे से मुक्त करेगी। आज भी देश का शासन हमारे नेता कम और नौकरशाह ज्यादा चलाते हैं। वे आज तक अंग्रेजी काल की गुलाम मानसिकता से मुक्त नहीं हुए हैं।
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