‘हिंदी थोपना लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है’- CM स्टालिन

‘हिंदी थोपना लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है’- CM स्टालिन

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

‘हिंदी के अलावा दूसरी भाषाएं बोलने वालों की संख्या ज्यादा’-CM स्टालिन

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए एक संसदीय समिति की कथित सिफारिश के खिलाफ पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र में, स्टालिन ने कहा, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली समिति ने सिफारिश की है कि हिंदी को केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा का अनिवार्य माध्यम होना चाहिए। इसमें यह सिफारिश भी शामिल है कि केंद्रीय विद्यालयों सहित सभी तकनीकी, गैर-तकनीकी संस्थानों और केंद्र सरकार के सभी संस्थानों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाया जाए।

स्टालिन ने कहा, ‘संघीय सिद्धांतों के खिलाफ’

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, यह भी सिफारिश की गई है कि युवा कुछ नौकरियों के लिए केवल तभी पात्र होंगे जब उन्होंने हिंदी का अध्ययन किया हो। तमिलनाडु के सीएम ने कहा ये सभी संघीय सिद्धांतों के खिलाफ हैं। और ये सिर्फ हमारे संविधान और केवल हमारे राष्ट्र के बहुभाषी ताने-बाने को नुकसान पहुंचाएगा। द्रमुक प्रमुख ने आगे कहा कि भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में तमिल सहित 22 भाषाएं हैं।

कई मांगें हैं कि इस तालिका में कुछ और भाषाओं को भी शामिल किया जाए। स्टालिन ने कहा कि हिंदी के अलावा अन्य भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या भारतीय संघ में हिंदी भाषी लोगों की तुलना में अधिक है। “मुझे यकीन है कि आप इस बात की सराहना करेंगे कि प्रत्येक भाषा की अपनी विशिष्टता और भाषाई संस्कृति के साथ अपनी विशेषता है।

भारत बहुभाषावादी लोकतंत्र का चमकता उदाहरण

स्टालिन ने कहा कि हाल ही में हिंदी को थोपने के प्रयास अव्यावहारिक और विभाजनकारी हैं; गैर-हिंदी भाषी लोगों को कई मायनों में बहुत नुकसानदेह स्थिति में डालता है। यह न केवल तमिलनाडु को बल्कि किसी भी राज्य को स्वीकार्य नही होगा जो अपनी मातृभाषा का सम्मान करता है और उसे महत्व देता है।

“भावनाओं का सम्मान करते हुए और भारतीय एकता और सद्भाव बनाए रखने की आवश्यकता को समझते हुए, तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आश्वासन दिया कि ‘जब तक गैर-हिंदी भाषी लोग चाहते हैं, अंग्रेजी आधिकारिक भाषाओं में से एक बनी रहेगी’।

इसके बाद , राजभाषा पर 1968 और 1976 में पारित संकल्प, और निर्धारित नियमों के अनुसार इसके तहत, केंद्र सरकार की सेवाओं में अंग्रेजी और हिंदी दोनों का उपयोग सुनिश्चित किया। यह स्थिति राजभाषा पर सभी चर्चाओं की आधारशिला बनी रहनी चाहिए।’

स्टालिन ने कहा, ‘भारत आज तक विश्व पटल पर बहुसांस्कृतिक और बहुभाषावादी लोकतंत्र का चमकता उदाहरण है, क्योंकि अब तक की समावेशी और सामंजस्यपूर्ण नीतियों का पालन किया जा रहा है। “लेकिन, मुझे डर है, ‘एक राष्ट्र’ के नाम पर हिंदी को बढ़ावा देने के निरंतर प्रयास इस भावना को नष्ट कर देंगे।

उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार का दृष्टिकोण यह होना चाहिए कि तमिल सहित सभी भाषाओं को आठवीं अनुसूची में वैज्ञानिक विकास और तकनीकी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए राजभाषा में शामिल किया जाए और सभी भाषाओं को बढ़ावा दिया जाए और प्रगति के रास्ते खुले रखे जाएं।

स्टालिन ने कहा, “इसलिए, मैं अनुरोध करता हूं कि रिपोर्ट में अनुशंसित विभिन्न तरीकों से हिंदी को थोपने के प्रयासों को आगे नहीं बढ़ाया जाए और भारत की एकता की गौरवमयी लौ को हमेशा ऊंचा रखा जाए।”

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आधिकारिक संसदीय समिति की ओर से भाषाओं को लेकर प्रस्तुत रिपोर्ट पर पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि हिंदी को थोपने का प्रयास अव्यावहारिक है। साथ ही यह समाज के लिए विभाजनकारी भी है। स्टालिन ने कहा कि यह कोशिश गैर-हिंदी भाषी लोगों को कई मायनों में नुकसान पहुंचाने वाली है। यह न केवल तमिलनाडु को बल्कि अपनी मातृभाषा का सम्मान करने वाले किसी भी राज्य को भी स्वीकार्य होगा।

एमके स्टालिन ने कहा, ‘मैं अपील करता हूं कि रिपोर्ट में सुझाए गए विभिन्न तरीकों से हिंदी थोपने के प्रयास को आगे नहीं बढ़ाया जाए। भारत की एकता की गौरवशाली लौ को हमेशा ऊंचा रखना है। हिंदी के अलावा अन्य भाषा बोलने वालों की संख्या देश में हिंदी भाषी लोगों की तुलना में अधिक है। मुझे यकीन है कि आप इस बात की सराहना करेंगे कि हर भाषा की अपनी विशिष्टता और भाषाई संस्कृति के साथ अपनी विशेषता होती है।’

‘सभी भाषाओं को बढ़ावा देने की जरूरत’
सीएम स्टालिन ने कहा कि वैज्ञानिक विकास और तकनीकी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सभी भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए। सभी भाषाओं के बोलने वालों को शिक्षा और रोजगार के मामले में बराबर मौका दिया जाए। उन्होंने कहा कि 8वीं अनुसूची में तमिल सहित सभी भाषाओं को शामिल किया जाए, केंद्र सरकार का ऐसा ही दृष्टिकोण होना चाहिए।

दरअसल, हाल में एक संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि तकनीकी और गैर तकनीकी उच्च शिक्षण संस्थाओं जैसे कि आईआईटी आदि में निर्देश का माध्यम अन्य दूसरे राज्यों में भी हिंदी भाषा को बनाया जाए। सत्ताधारी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की युवा शाखा के सचिव और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने शनिवार को इस मामले चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर तमिलनाडु में हिंदी थोपी गई तो पार्टी दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि अगर पीएम मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की ओर से लोगों की भावनाओं की अनदेखी की गई, तो पार्टी मूकदर्शक बनकर नहीं रहेगी।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!