बिहार में बाहुबली अनंत सिंह पर मोकामा में सोनू मोनू गैंग ने हमला किया
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह पर जानलेवा हमला हुआ है. खबर आ रही है कि मोकामा में उन पर सैकड़ों राउंड फायरिंग की गई है. घटनास्थल पर पांच थानों की पुलिस पहुंच गई है. इस हमले में अनंत सिंह बाल-बाल बच गए. अनंत सिंह एक लेन देन विवाद में पंचायत करने मोकामा पहुंचे थे.
पुलिस छावनी में तब्दील हुआ इलाका
पूर्व विधायक अनंत सिंह आज नौरंगा जलालपुर के दौरे पर थे. घटना के बाद नौरंगा गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है. बाढ़ डीएसपी मौके पर कैंप कर रहे हैं. नौरंगा जलालपुर गांव में एक दबंग के द्वारा एक घर में ताला लगा दिया गया था. इसी को लेकर पूर्व विधायक अनत सिंह गांव पहुचे थे. फिलहाल गांव में भारी तनाव है. बाढ़ डीएसपी राकेश कुमार ने सोनू-मोनू के घर पर ही फायरिंग की बात स्वीकार की. पुलिस ने मौके से तीन खोखा भी बरामद किया है. इस गोलीबारी में छोटे सरकार भी बाल बाल बच गए हैं. फिलहाल गांव में भारी तनाव है. यहां कई थाने की पुलिस कैंप कर रही है.

अनंत सिंह और सोनू-मोनू में बहुत पहले से ही एक दूसरे के जान के दुश्मन हैं. अनंत सिंह जब जेल से रिहा हुए उसके बाद सोनू-मोनू गैंग के साथ उनके रिश्ते में सुधार आया था. लेकिन आज बुधवार शाम एक बार फिर दोनों के बीच वर्चस्व को लेकर गोलीबारी हुई.
16 अगस्त को जेल से बाहर आये अनंत सिंह
अनंत सिंह को पटना हाईकोर्ट ने 14 अगस्त को AK-47 और बुलेट प्रूफ जैकेट मामले में बरी कर दिया था. 16 अगस्त को वो जेल से बाहर आए थे. छोटे सरकार के खिलाफ अब कोई केस पेंडिंग नहीं है. ऐसे में बुधवार शाम को घटी ये घटना उनके राजनीतिक जीवन में एक नया मोड़ ला सकती है. पुलिस के कई टीम सोनू-मोनू की तलाश में जुट गई है. इस घटना से आस पास के इलाके में खौफ का माहौल है. बता दें कि अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी मोकामा से विधायक हैं.
2005 में पहली बार बने थे विधायक
2005 में जदयू के टिकट पर मोकामा से पहली बार विधायक बनकर अनंत सिंह ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की थी. इसके बाद, 2010 में भी वह जदयू के टिकट पर मोकामा से फिर से जीत दर्ज करने में सफल रहे. 2015 में अनंत सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मोकामा विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 2015 में उनके पटना स्थित सरकारी मकान में छापेमारी के दौरान कई प्रतिबंधित सामग्रियां बरामद हुई थीं, जिसके बाद उनका नाम कई गंभीर आपराधिक मामलों में आया. इसके बावजूद, 2015 के चुनाव में अनंत सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और जीत हासिल की.
इसके बाद 2020 में भी उन्होंने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा, जबकि वह जेल में बंद थे. फिर भी जीत दर्ज की और मोकामा पर अपनी राजनीतिक पकड़ बनाए रखी. हालांकि, 2022 में अनंत सिंह को एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया और उनकी विधायकी चली गई. इसके बाद, उनकी पत्नी ने राजद के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
अनंत सिंह बिहार के मोकामा क्षेत्र के पूर्व विधायक और बाहुबली नेता हैं. इन्हें इनके इलाके के लोग छोटे सरकार के नाम से बुलाते हैं. अनंत सिंह के पास करोड़ों की संपत्ति और लाखों की गाड़ियां हैं. इन्हें हाथी-घोड़ा पालने का भी शौक है. आइए, इनकी संपत्ति के बारे में विस्तार से जानते हैं.
अनंत सिंह के पटना से दिल्ली तक मकान
हिंदी के अखबार नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मोकामा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक अनंत सिंह के पास कुल संपत्ति 68 करोड़ रुपये से अधिक है. पटना और बख्तियारपुर में अनंत सिंह और उनकी पत्नी के नाम पर कुल मिलाकर 4 करोड़ रुपये से अधिक की कृषि योग्य जमीन है. उनके पास 18 करोड़ रुपये से अधिक की गैर-कृषि भूमि भी है. पटना में उनके नाम पर 23 करोड़ रुपये से अधिक की व्यावसायिक इमारतें हैं. दिल्ली और नदावन में उनके पास 3 करोड़ रुपये से अधिक के मकान हैं.
अनंत सिंह का बैंक बैलेंस और इन्वेस्टमेंट
रिपोर्ट में कहा गया है कि बाहुबली नेता अनंत सिंह के पास 41 लाख रुपये से अधिक की बैंक बैलेंस है और 4 करोड़ रुपये से अधिक के बॉन्ड और शेयर हैं. सोने-चांदी के जेवर-जेवरात के मामले में उनके और उनकी पत्नी के पास कुल 31 लाख रुपये से अधिक के सोने-चांदी के गहने हैं. गाड़ियों की बात करें, तो अनंत सिंह के पास एक महिंद्रा स्कॉर्पियो कार है, जबकि उनकी पत्नी के पास एक इनोवा क्रिस्टा और एक फॉर्च्यूनर सिग्मा कार है.
मोकामा के पूर्व विधायक और बाहुबली नेता अनंत सिंह को हाथी-घोड़े सहित कई जानवरों का शौक है. विधानसभा में बग्घी से आना और विभिन्न अवसरों पर घोड़े की सवारी करना उनके चर्चित शौकों में शामिल है.
अनंत सिंह पर आपराधिक मामले
बिहार के बाहुबली नेता में शुमार अनंत सिंह पर 38 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से एक में उन्हें AK-47 रखने के आरोप में 10 साल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, पटना हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया.
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