बिहार में उपेन्द्र कुशवाहा पर कार्यकर्ताओं ने बैगन-भिंडी फेंक जताया विरोध,क्यों ?
सरकार की नजर में मंत्री रबर स्टांप- सुधाकर सिंह, पूर्व मंत्री
RJD स्टार प्रचारकों की सूची से जगदानंद सिंह हुए आउट, तेज प्रताप यादव की हुई इंट्री, क्यों ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार के बक्सर में JDU के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा सद्भावना बचाओ – देश बचाओ कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रहे थे. बीच रास्ते में उन्हें पार्टी के ही कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा. बताया जा रहा है कि बीजेपी के खिलाफ सद्भावना बचाओ – देश बचाओ कार्यक्रम का आयोजन किला मैदान में किया गया था.
इसमें शामिल होने के लिए उपेंद्र कुशवाहा जैसे ज्योति चौक के पास पहुंचे, उन्हें जदयू के ही, पार्टी कार्यकर्ताओं ने ही घेर लिया. यहां उन्हें काला झंडा दिखाया गया और उनपर बैंगन और भिंडी भी फेंका गया. कार्यकर्ता गो बैक का नारा लगा रहे थे.
भाजपा कर रही देश को तोड़ने की राजनीति
कार्यक्रम में पहुंचकर उपेंद्र कुशवाहा भाजपा पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि भाजपा की पाखंडी, घिनौनी, समाज तोड़क एवं सामाजिक न्याय विरोधी राजनीति के खिलाफ जदयू द्वारा आयोजित “सद्भावना बचाओ – देश बचाओ” कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. उन्होंने कहा कि वो जनता के बीच रहने और उनसे बात करने आये हैं. दबे और समाज के वंचित लोगों को न्याय दिलाने के लिए आए हैं.
गरीब लोगों को सुविधाएं मिली है उसे साजिश के तहत केंद्र सरकार खत्म कर रही है. केंद्र सरकार की नीति धीरे-धीरे आरक्षण खत्म करने की है. अभी वक्त है. हमें संभल जाना है, नहीं तो बाद में स्थिति बिगड़ जाएगी तो संभालना मुश्किल होगा. मैं लोगों को सही समय पर जगाने आया हूं.
सरकार की नजर में मंत्री रबर स्टांप- सुधाकर सिंह, पूर्व मंत्री
बिहार में अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने एक बार फिर से अपनी ही सरकार पर हमला बोला है. अपने गृह जिले कैमूर के हाटा में खरवार समाज द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे सुधाकर सिंह ने कहा कि सरकार की नजर में मंत्री चपरासी व रबर स्टांप हैं. विभागीय सचिव फाइल लाकर देता है तो स्थिति यह है कि मंत्री डर से साइन कर देता है. मंत्री को हमेशा यह डर लगा रहता है कि साइन नहीं करेंगे तो मास्टर साहब नाराज हो जायेंगे.
खरवार जाति को आदिवासी का दर्जा मिलना चाहिए
चैनपुर विधानसभा क्षेत्र के हाटा में युवा खरवार महासभा के लोगों द्वारा अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया था. जिसमें खरवार समाज के लोगों ने पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह के माध्यम से खरवार जाति को आदिवासी का दर्जा दिलाने की मांग की. जिसपर सुधाकर सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि खरवार समाज को निश्चित रूप से आदिवासी का दर्जा मिलना चाहिए. क्योंकि यह उनके पहचान से जुड़ा हुआ मामला है. हमने विपक्ष में रहते हुए भी खरवार को आदिवासी समाज का दर्जा देने के लिए पत्र लिखने से लेकर विधानसभा में बातें उठायी थी.
मंत्री जमा खां को भी कटघरे में खड़ा किया
पूर्व मंत्री ने कहा कि आज हम सरकार में जरूर हैं. लेकिन सरकार वहीं 17 साल पुरानी है बस हम लोग नये आ गये. अब महत्वपूर्ण यह है कि हम लोगों की कितनी बातें सुनी जाती है. उन्होंने चैनपुर से विधायक के बाद मंत्री बने जमा खां को भी कटघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा कि हाटा चैनपुर विधानसभा क्षेत्र में आता है. यहां के विधायक पिछले दो साल से मंत्री हैं. लेकिन वे भी खरवार समाज को उनका अधिकार नहीं दिलवा पा रहे हैं. इससे मंत्रियों की स्थिति क्या है यह समझा जा सकता है.
सरकार में मंत्रियों की बतायी स्थिति
पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने उक्त कार्यक्रम में संबोधन के दौरान वर्तमान सरकार में मंत्रियों की क्या स्थिति है इसके बाबत खुलकर अपनी बातें रखीं. इशारों ही इशारों में उन्होंने मंत्री रहते हुए जो स्थिति का सामना करना पड़ा उन बातों को रखा और कहा कि मंत्री आज के तारीख में एक रबर स्टांप की तरह है. उसके पास जो भी फाइल आये उसपर बिना कुछ पूछे साइन कर देने की बाध्यता है.
डेढ़ महीने में देना पड़ा था इस्तीफा
गौरतलब है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद सुधाकर सिंह कृषि मंत्री बने थे और सरकारी अधिकारियों सहित अपने ही सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने एवं अपने बयानों के कारण उन्हें डेढ़ महीने में ही इस्तीफा देना पड़ा. सुधाकर सिंह के इस बयान के बाद एक बार फिर राजनीतिक पारा गर्म होने की उम्मीद है. मौके पर चांद के प्रमुख अनिल सिंह, जिला पर्षद के सदस्य मन्नी सिंह, खरवार युवा महासभा के जिलाध्यक्ष सुनील खरवार, विनोद खरवार, देवी प्रसाद खरवार सहित अन्य लोग शामिल रहें.
RJD स्टार प्रचारकों की सूची से जगदानंद सिंह हुए आउट, तेज प्रताप यादव की हुई इंट्री, क्यों ?
बिहार में दो सीटों पर उपचुनाव होने हैं. मोकामा से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी और गोपालगंज से मोहन गुप्ता महागठबंधन के उम्मीदवार हैं. राजद ने विधानसभा उपचुनाव के लिए पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है. चुनाव आयोग को भेजी गयी इस सूची में लालू परिवार से उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव तथा वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री तेज प्रताप यादव के नाम हैं. पूर्व सीएम राबड़ी देवी, सांसद मीसा भारती और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के नाम राजद के स्टार प्रचारकों की सूची में नहीं हैं.
राबड़ी और मीसा का नाम भी सूची में नहीं
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद सिंगापुर में इलाज कराने गये हैं. बेटी मीसा भारती भी उनके साथ हैं. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी स्वास्थ्य कारणों के चलते स्टार प्रचारक की जिम्मेदारी नहीं निभा रही हैं. ऐसे में इस सूची में एक नाम का शामिल नहीं होना सबसे अधिक चर्चा का विषय कुछ बना हुआ है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है.
सभी मंत्रियों के नाम सूची में शामिल
वहीं, राजद ने उपचुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की जो सूची तैयार की है उसमें नीतीश सरकार में राजद कोटे से शामिल अधिकतर मंत्रियों के नाम शामिल हैं. अन्य स्टार प्रचारकों में अब्दुल बारी सिद्दीकी, शिवानंद तिवारी, मंत्री समीर महासेठ, सुरेंद्र यादव, रामानंद यादव, जितेंद्र कुमार राय, सुरेंद्र राम, चंद्रशेखर, अनिता देवी, डा शमीम अहमद एवं इसराइल मंसूरी व पूर्व मंत्री श्याम रजक, राष्ट्रीय महासचिव भोला यादव, जयप्रकाश यादव, सांसद करीम अहमद, डा फैयाज अहमद, पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह, उर्मिला ठाकुर व रितू जायसवाल के नाम हैं.
कुछ दिनों से नाराज चलने की है चर्चा
उल्लेखनीय है कि राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और पार्टी नेता तेजस्वी यादव से नाराज चल रहे हैं. ऐसे में यह माना जा रहा था. पार्टी की ओर से जारी स्टार प्रचारकों की सूची में लालू परिवार से तेजस्वी के साथ तेजप्रताप यादव का भी नाम शामिल है, लेकिन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का नाम गायब है.
पहले भी नहीं जाते रहे हैं प्रचार में जगदानंद
इधर, पार्टी नेताओं का कहना है कि जगदानंद सिंह न तो नाराज है और न ही उनको सूची से हटाया गया है. दरअसल वो बीमार हैं. वैसे भी जगदानंद सिंह प्रचार में नहीं जाते रहे हैं. पिछले चुनाव में भी वो प्रचार के लिए नहीं गये थे. बहरहाल, राजनीतिक गलियारों में जगदानंद की नाराजगी चर्चा का विषय बना हुआ है. जगदानंद की ओर से प्रदेश अध्यक्ष से इस्तीफे की पेशकश की बात भी कही जा रही है. खुद जगदानंद सिंह इस संबंध में अब तक कोई बयान नहीं दिया है.
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