चैता के दुगोला कार्यक्रम में लोकगायकों के गीतों पर रातभर झूमते रहे श्रोता

चैता के दुगोला कार्यक्रम में लोकगायकों के गीतों पर रातभर झूमते रहे श्रोता
*मंसाहाता में अष्टयाम की समाप्ति पर हुआ व्यास सुदर्शन यादव व व्यास साहेब गिरि के बीच चैता गायन का मुकाबला

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श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):


चैत्र का महीना शुरू होते ही ग्रामीण अंचलों में लोकसंस्कृति को उजागर करता चैता गायन की शुरुआत हो जाती है। इस दौरान जिले के विभिन्न गांवों में चइता गायन के कार्यक्रम आयोजित होने लगे हैं।चैत्र के महीने में जब खेत में फसल पक कर तैयार हो जाती है। तब किसान इसकी कटनी और दवनी की शुरूआत हो जाती है। किसान अपनी सनातनी परंपरा के अनुसार चइता गीत के माध्यम से अपने देवता को सुमरते हैं और उन्हें खुश करने की कोशिश करते हैं।हालांकि आज यह संस्कृति लुप्त हो रही है। फिर भी “चैता” संगीत प्रेमियों में आज भी बहुत लोकप्रिय है।दरअसल, चैत के महीने में आमों में बौर (मंजर) लग जाते हैं, फसल कटकर खलिहान में आ जाती है। कोयल कूंकने लगती है, पपीहा गा उठता है।

प्रियतम का संग मिलने पर प्रियतमा का बेचैन मन सहजता से चैता गा उठता है। इसी के तहत सीवान जिले के बड़हरिया प्रखंड के मंसाहाता गांव के ब्रह्मस्थान के परिसर में चैता का दुगोला कार्यक्रम सोमवार की रात में आयोजित हुआ। कार्यक्रम के दौरान चैता गायन क्षेत्र के दो मशहूर लोकगायकों साहेब गिरि व सुदर्शन यादव ने लोकमंगल की भाषा भोजपुरी में चैता गाकर श्रोताओं को झूमने व थिरकने पर मजबूर कर दिया.इस बेजोड़ गायकी का प्रखंड के दर्जनों गांवों के लोग इन दोनों कलाकारों को सुनने के लिए इकट्ठा हुए और कार्यक्रम का जमकर लुत्फ उठाया।

इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन सरपंच संघ के अध्यक्ष झगरु यादव,पूर्व मुखिया डॉ वीरेंद्र यादव, मुखिया प्रतिनिधि मुन्ना यादव, शिक्षक हरेराम कुमार आदि ने संयुक्त रूप से किया।इस दौरान दोनों लोकगायकों सुदर्शन यादव और साहेब गिरि को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया।

दोनों व्यासों ने ” सुरसती मईया कंठे सुरवा होख ना सहईया हो रामा”, “महुआ बिनन हम ना जईब हो रामा देवरु के संगवा”, “पिया पलटनिया हो रामा, पिया पलटनिया, लागल बाड़न गेहूं के कटनिया हो रामा”, सीमवा पर डटल बाड़न जवनवा हो रामा, खेत में किसनवा” सहित सुमधुर गीतों से श्रोताओं को झूमने,थिरकने और नाचने पर मजबूर कर दिया। दोनों लोकगायकों ने अपने गीतों से श्रोताओं को बांधे रखा और देखते-देखते भोर हो गयी।अंततोगत्वा


लोकगायक सुदर्शन यादव को विजेता घोषित किया गया। इसमौके पर दिनेश यादव, धर्मेंद्र यादव,अदालत चौधरी,नंदू राम, अशोक यादव,शिवनाथ यादव, अजय राम,रामनाथ यादव,अवधेश यादव, चंदन कुमार,टुनटुन चौधरी, भोला चौधरी सहित क्षेत्र के हजारों श्रोता उपस्थित थे।

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