गया में मजदूर को 2 करोड़ का आया इनकम टैक्स का नोटिस, डर से मजदूरी का छोड़ा काम.
श्रीनारद मीडिया, प्रभात कुमार मिश्रा, गया ( बिहार )
कभी कभी केंद्रीय एजेंसियों के कारनामे लोगों को सकते में डाल देता है। जिसकी हास्य चर्चाएं तो होती हीं है साथ में सरकार और विभाग की भी किरकिरी होने लगती है। एक ऐसा हीं हैरान और परेशान कर देने वाला मामला बिहार के गया जिला से निकलकर सामने आ रही है। जहां एक दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूर को आयकर विभाग ने 2 करोड़ 3 हजार 308 रुपये का टैक्स नोटिस भेजा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गया के नई गोदाम मोहल्ले में रहने वाला राजीव कुमार वर्मा दिहाड़ी मजदूर है। जो शहर के पुरानी गोदाम में मजदूरी का काम करता है। अचानक राजीव के घर पोस्ट के माध्यम से आया आयकर विभाग के नोटिस ने उसे और उसके परिवार को हैरान और परेशान कर दिया है।
राजीव कुमार वर्मा ने बताया कि गया के कॉरपोरेशन बैंक शाखा में पिछले 22 जनवरी 2015 को वह 2 लाख रुपये फिक्स डिपॉजिट करवाया था, लेकिन मैच्योरिटी के पहले ही किसी काम को लेकर डिपॉजिट का पैसा 16 अगस्त 2016 को निकाल लिया। उसके बाद वह अपना मजदूरी का काम करने लगा, लेकिन अचानक आयकर विभाग ने 2 करोड़ 3 हजार 308 रुपये का टैक्स नोटिस भेजा है।
इनकम टैक्स विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस में क्या है? -:
टैक्स नोटिस में बताया गया है कि वर्ष 2015-16 में 2 करोड़ का फिक्स डिपॉजिट करवाया गया था जिसका रिटर्न फाइल अभी तक नहीं भरा गया और आयकर विभाग का टैक्स भी जमा नहीं किया गया है। वहीं, मजदूर राजीव कुमार वर्मा बताता है कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल का नाम भी मैने पहली बार सुना है। पीड़ित मजदूर ने कहा कि अब 10 से 12 हजार रुपये महीना मजदूरी मिलता है तो उसमे रिटर्न फाइल क्या करें।
क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी -:
आयकर विभाग के नोटिस के बाद पिछले 4 दिनों से मजदूर काम करने भी नहीं गया है। नोटिस के बाद वह परेशान होकर गया आयकर विभाग कार्यालय पहुंचा और वहां के अधिकारी से बात की। जिस पर अधिकारियों ने उसे जबाव दिया कि अब वह पटना आयकर विभाग कार्यालय जाए। जहां से निदान हो सकता है। वहीं, मजदूर को 2 करोड़ 3 हजार 308 रुपये का टैक्स के रूप में 67 लाख रुपये 2 दिनों के अंदर जमा करने को कहा गया है जिससे मजदूर परेशान है।
अब सवाल यह उठता है कि जब गया शहर में आयकर विभाग का कार्यालय है, यहां भी विभाग के अधिकारी पदाधिकारी नियुक्त हैं। तो फिर पहले से ही परेशान उस मजदूर को विभाग के अधिकारियों द्वारा यहां जाओ वहां जाओ करके परेशान क्यों किया जा रहा है। जब हर छोटी बड़ी समस्याओं का समाधान पटना कार्यालय से हीं संभव है तो गया में कार्यालय और अधिकारी पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति का क्या औचित्य बनाता है।
एक तरफ एक पांच दस हजार कमाने वाले मजदूर को दो करोड़ के इनकम टैक्स का नोटिस आना और समस्या के समाधान के जगह विभागीय अधिकारियों द्वारा पीड़ित को बेवजह परेशान किया जाना सरकार के व्यवस्था का पोल खोल रही है। खैर जो भी हो पर सरकार एक जिम्मेदार विभाग और उस विभाग के अधिकारियों से परेशान एक निरीह मजदूर पिछले एक सप्ताह से अपना कामधाम छोड़कर डर से घर पर बैठा है। जिसे उसके परिवार के भरण पोषण की समस्या उत्पन्न होने लगी है।