Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
हिंदी साहित्य में राष्ट्रीयता, नैतिकता, मानवता की त्रिवेणी बहा गए गुप्त जी - श्रीनारद मीडिया

हिंदी साहित्य में राष्ट्रीयता, नैतिकता, मानवता की त्रिवेणी बहा गए गुप्त जी

हिंदी साहित्य में राष्ट्रीयता, नैतिकता, मानवता की त्रिवेणी बहा गए गुप्त जी

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

पाठक आईएएस संस्थान पर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर विशेष परिचर्चा का आयोजन

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने हिंदी साहित्य को रीतिकालीन रुमानी अहसास से अलग ले जाकर राष्ट्रीय चेतना के संचार का माध्यम बनाया। उपनिवेशवाद के दौर में दमित राष्ट्रीय चेतना को अपने काव्य प्रतिभा से आत्मविश्वास से लबरेज कर दिया। सामाजिक विसंगतियों पर जो प्रहार मुंशी प्रेमचंद ने गद्य के माध्यम से किया वहीं प्रहार गुप्त जी ने पद्य के माध्यम से किया।

गुप्त जी ने राष्ट्रीय संचेतना के प्रवाह को नैतिकता और मानवता के भाव से संयोजित कर एक समावेशी साहित्यिक संचेतना का प्रसार किया। नारी की गरिमा और मर्यादा के भाव के प्रति भी गुप्त जी की लेखनी बेहद संजीदा रही। ये बातें बुधवार को सीवान के अयोध्यापुरी स्थित पाठक आईएएस संस्थान पर शिक्षाविद् श्री गणेश दत्त पाठक ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर रागिनी कुमारी, मुकेश यादव, सौरभ प्रज्ञान, नितेश रंजन, काव्या सिन्हा आदि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी मौजूद थे।

इस अवसर पर श्री पाठक ने कहा कि आज के दौर में डिजिटल क्रांति के दौर में भी राष्ट्रीयता, मानवता, नैतिकता के पहलू विशेष तौर पर प्रासंगिक है। वर्तमान अंतराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में राष्ट्र तत्व की अहमियत को हम अफगानिस्तान, यूक्रेन, चीन आदि के संदर्भ में समझ सकते हैं। समावेशी विकास की संकल्पना के लक्ष्य को प्राप्त करने के संदर्भ में मानवता और नैतिकता के आयाम का विशेष महत्व है। ‘ भारत भारती’, ‘ साकेत’ आदि रचनाओं के माध्यम से गुप्त जी ने राष्ट्रीयता के भाव को मुखरित किया।

वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन की विभीषिका को हम झेल रहे हैं। कहीं बाढ़ आ रहा है तो कहीं सूखा पड़ रहा है। गुप्त जी ने ‘ पंचवटी’ के माध्यम से प्रकृति के प्रति संवेदनशील होने का आग्रह करते दिखते है।

परिचर्चा में भाग लेते हुए रागिनी कुमारी ने कहा कि हिंदी साहित्य में स्त्री विमर्श को नया आयाम देने में गुप्त जी की विशेष भूमिका रही। मुकेश यादव ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत के तले निराश भारतीय जनता में उत्साह को जागृत करने में गुप्त जी का विशेष योगदान रहा है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!