पं दीनदयाल नगर में भगवान शंकर का प्रतिदिन होता है अलग-अलग श्रृंगार
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
हिन्दू धर्म का पवित्र माह सावन भोलेनाथ को समर्पित हैं।सावन में भोलेनाथ की विशेष तरीके से पूजा की जाती है और साथ ही विशेष श्रृंगार करके उनकों सजाया जाता है। सीवान जिले के बड़हरिया प्रखंड मुख्यालय के पं दीनदयाल नगर के ब्रह्म स्थान स्थित शिवमंदिर के भोलेनाथ को एक-एक दिन अलग-अलग श्रृंगार से सजाया जा रहा है।
वहीं आचार्य पं लव शास्त्री द्वारा सुबह-शाम आरती की जा रही है,जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिलाएं शामिल हो रही हो। आचार्य पं लव शास्त्री ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव पूरे नौ प्रकार का श्रृंगार किया करते थे।
उन्होंने कहा कि भगवान शिव बड़े ही भोले हैं। उनसे अपने भक्तों का कष्ट देखा नहीं जाता और वह उन्हें अति शीघ्र दूर कर देते हैं। वे पैरों में कड़ा, मृगछाला, रुद्राक्ष, नागदेवता, खप्पर, डमरू, त्रिशूल, शीश पर गंगा और चंद्रमा. इन सभी नौ रत्नों की अलग-अलग महत्व होता है।
कहते हैं कि चंद्रमाधारी शिव की पूजा करने से कुंडली में अनुकूल ग्रहों की दशा मजबूत होती है। माना जाता है कि चंद्रमाधारी शिव को दूध से अभिषेक करना चाहिए।सावन में शिवलिंग के श्रृंगार के लिए सबसे पहले सामग्री में चंदन, रोली, चावल, काले तिल, जनेऊ, बेलपत्र, फूल माला, वस्त्र आदि शामिल करें. इसके बाद सबसे पहले शिवलिंग पर जल चढ़ाया गया।फिर दूध अर्पित किया।फिर चंदन या रोली को चकली पैर घोला और घिसा गया। इसके बाद हाथ की तीन उंगलियों से सबसे पहले तत्रिपुंड तिलक लगाया गया। इसके बाद शिवलिंग के अन्य भाग में तिलक का लेप किया गया। आचार्य पं लव जी ने कहा कि
चंदन का लेप लगाने के बाद शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाया जा रहा है। फिर अक्षत अर्पित किया जा रहा ह़ै। उन्होंने बताया कि
शास्त्रों के अनुसार, भस्म शिव जी का प्रमुख श्रृंगार है। कहते हैं एक ओर जहां यह दर्शाता है कि कैसे परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढालना चाहिए. तो वहीं दूसरी ओर भस्म लगाने का वैज्ञानिक कारण यह है कि ये शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है। पूजा को विधिवत रुप देने में शिवभक्त प्रशांत कुमार, प्रिंस मिश्र, बिक्की बाबू, निर्भय, ओमप्रकाश, शिवम् सहित अन्य शिवभक्त लगे हैं।