रामनगर रामलीला में आज तक उस साधु का रहस्य पता नहीं चला
@धनुष यज्ञ से जुड़ी कुछ यादें
श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी
वाराणसी / रामनगर की रामलीला में कुछ ऐसे प्रसंग है कि जिनके बारे में कहा जाता है कि लक्खा मेला होता है। मतलब लाखों की भीड़ से ऊपर होती है। पांचवें दिन की लीला धनुष जग की होती है। त्रेता युग की याद दिलाने वाली इस लीला को जो भी एक बार दीदार हुआ वह जीवन भर नहीं छोड़ सकता। श्री राम के चलने से लेकर धनुष तोड़ने, माता सीता द्वारा जय माल डालने से लेकर परशुराम लक्ष्मण संवाद तक के लोगों के दिलों दिमाग पर छाप छोड़ जाते हैं।
पहले इस लीला से जुड़ी एक रहस्य है जो आज तक अनसुलझा ही रहा और इसकी चर्चा रामनगर में एक बार जरूर होती है। बताते हैं कि प्रभु के दर्शन के लिए एक साधु हिमालय की कंदराओं में बहुत दिनों से तपस्या कर रहा था। 1 दिन उस साधु को सपना आया कि यदि मेरा दर्शन चाहते हो तो रामनगर की रामलीला में धनुष यज्ञ के दिन पहुंच जाना। बोले हम तुम्हें वही दर्शन देंगे। सपना देखने के अगले दिन साधु रामनगर के लिए निकल पड़ा व धनुष यज्ञ दिन साधु रामनगर पहुंच गया। जनकपुर में धनुष यज्ञ की लीला देखने के लिए अपार भीड़ थी। भगवान राम जैसे ही धनुष तोड़ने के लिए चलें। मानस पाठ की चौपाई के साथ तारतम्य मिलाते हुए हुए रंगमंच तक पहुंचे। और उन्होंने शिव धनुष को उठा लिया। रामायणी दल ने चौपाई पढ़नी शुरू की लेकिन भगवान श्रीराम जस के तस खड़े रहे। तनिक भी भगवान हिले तक नहीं सब परेशान कि आखिर यह क्या हो रहा है।
तभी भीड़ को चीरता हुआ हाफता हुआ एक साधु प्रभु भगवान के समक्ष खड़ा हुआ। उसे देखते ही प्रभु श्री राम बोले कि अच्छा तुम आ गए इतना कह कर श्री राम ने झटका दिया और धनुष टूट गया। चारों ओर प्रभु की जयकार होने लगी। इस बीच वह साधु अचानक वहां से गायब हो गया। साधु कौन था कहां से आया था और प्रभु दर्शन के बाद कहां चला गया। यह रहस्य आज भी अनसुलझा है। लेकिन उस घटना का आज भी सुनने को मिलता है। जब भगवान धनुष उठाया देर तक जैसे किसी के आने का इंतजार करते हैं। हालांकि धनुष तभी तोड़ते हैं जब निर्धारित चौपाई का गायन शुरू होता है। इस लीला की भव्यता आप तभी महसूस कर सकते हैं जब इसे आप स्वयं देखेंगे। आप से महसूस करेंगे कि किस युग में हम जी कर आए हैं। धनुष टूटना, तोप की गर्जना, इंद्र के घोड़े का प्रवाह पलट जाना, श्रीराम का सीता जी के साथ जुड़ना, सब सपने जैसा और काल्पनिक प्रतीत होता है। रामनगर की लीला होते ही लोग देता युग की कल्पना में जीते हैं। कुछ पल के लिए ही सही भगवान राम का साक्षात दर्शन का अनुभव लेकर ही लीला प्रेमी लीला स्थल से लौटते हैं।