Breaking

नए वर्ष में अपने शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाये.

नए वर्ष में अपने शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाये.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पिछले लगभग दो वर्षो का दौर कोविड संक्रमण के कारण बड़ी परीक्षा से गुजरा है और यह सिलसिला अभी थमा नहीं है। समूचा विश्व बहुत ही अनिश्चित दौर से गुजर रहा है जिसमें भारत ने भी बड़ी कीमत चुकाई है। आपदा और महामारी की मार से उबरने के सारे उपाय मानो विफल साबित होते जा रहे हैं। बचाव और राहत के सभी उपाय आजमाए जा रहे हैं, परंतु कोरोना नित नए प्रारूप से अपनी पकड़ को न केवल बनाए हुए है, बल्कि समय समय पर वह स्वयं को और मजबूत करने में जुट जाता है।

बीते वर्ष के अंतिम दिनों में अमेरिका में पहली बार कोरोना पीड़ितों की संख्या एक दिन में पांच लाख से अधिक होना इस बात को पुख्ता करता है। फिलहाल तो ऐसा ही लग रहा है कि वर्ष 2022 में ओमिक्रोन का खतरा मंडराता रहेगा। हालांकि इस खतरे के बीच एक अच्छी बात यह है कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के बारे में विज्ञानियों का कहना है कि यह डेल्टा की तुलना में कम घातक है। वैसे संक्रमण की तीसरी लहर मुहाने पर है और 2022 नई उम्मीदों से लदा है। ऐसे में हमारी उम्मीदों पर यह वर्ष कितना खरा उतरेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

स्वास्थ्य ही धन: कोरोना संक्रमण के चलते स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता में कहीं अधिक है। देश की अर्थव्यवस्था में स्वास्थ्य बड़े क्षेत्रों में से एक बन गया है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अुनसार देश में स्वास्थ्य क्षेत्र 372 अरब डालर तक पहुंच जाने का अनुमान है। हालांकि नीति आयोग की यह रिपोर्ट मार्च 2021 की है और उसके बाद से निश्चित ही इस दिशा में व्यापक बढ़ोतरी हुई है। साथ ही नागरिकों ने स्वास्थ्य देखभाल पर अपना खर्च भी बढ़ाया है, लिहाजा इस क्षेत्र का और अधिक विस्तार हुआ है।

आर्थिक वृद्धि दर : विश्व बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2021 में 8.3 प्रतिशत और 2022 के लिए 7.5 प्रतिशत का तक रहने का अनुमान लगाया था। वैसे कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद ये अनुमान खरे नहीं उतरे थे और वर्तमान में जैसी परिस्थितियां दिख रही हैं उन्हें देखते हुए इस वर्ष भी इसकी संभावना कम ही दिखती है। हालांकि विश्व बैंक ने भी यह माना है कि महामारी के आरंभ से किसी भी देश के मुकाबले सर्वाधिक भीषण लहर भारत में आई और इससे आर्थिक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। वैसे अनुमान तो यह भी है कि आगामी वर्ष 2023 में भारत की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी।

ऐसे में यह भरोसा किया जाना आशावादी दृष्टिकोण का परिचायक है, परंतु हालिया स्थिति को देखते हुए ये आंकड़े जमीन पर उतरेंगे भी इसके आसार कम ही हैं। वर्ष 2022 उम्मीदों से भरा हो सकता है बशर्ते बहुत कुछ कोरोना की चाल पर निर्भर करेगा। देखा जाए तो बीता वर्ष उपभोक्ताओं के लिहाज से बहुत खराब रहा है। बढ़ती कीमतों के अतिरिक्त लोगों की आय में गिरावट, रोजगार में कमी और कारोबार को खासा नुकसान पहुंचा है।

खाद्य तेल और पेट्रोल और डीजल समेत रसोई गैस ने लोगों की जेब पर डाका डाला। वर्ष 2022 में यदि उम्मीदों के बोझ को थोड़ा कम करके नहीं देखा जाएगा तो दिल को धक्का जरूर पहुंचेगा, क्योंकि 2020 के बीतने के साथ 2021 से जो उम्मीदें थीं, वह भी टूटी थीं और 2022 पर पूरा भरोसा करने में कई आंकड़े रोकते हैं। यही कारण है कि वित्तीय रेटिंग प्रदान करने वाली एक प्रमुख फर्म ने भी वित्त वर्ष 2021-2022 के लिए भारत के विकास के अनुमान को घटा दिया है।

पेट्रोलियम पदार्थो की बढ़ती कीमतों के बीच लोगों को आर्थिक झटका तो लगा है, साथ ही प्रदूषण में भी वृद्धि जारी है। वैसे मोदी सरकार वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को विस्तार देने पर काम कर रही है। इन्हीं के अंतर्गत ग्रीन हाइड्रोजन का प्रोजेक्ट भी देखा जा सकता है। संभावना यह जताई जा रही है कि शीघ्र ही भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के ईंधन से कारें चलेंगी। उम्मीद की जा रही है कि कचरे व सोलिड वेस्ट से 2022 से कारें चलती हुई देखी जा सकती हैं।

आगे की राह: जवाबदेही का सिद्धांत मानव सभ्यता जितना ही पुराना है। मोदी सरकार के कामकाज के लिए 2022 एक मध्य वर्ष के रूप में भी है। मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल वर्ष 2019 में आरंभ हुआ था। मानव विकास सूचकांक और ग्लोबल हंगर इंडेक्स में तुलनात्मक बेहतर छलांग की उम्मीद के अलावा समावेशी विकास और सतत विकास को फलक पर लाना इस वर्ष की उम्मीदें हैं। शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, पानी, सड़क, सुरक्षा और महिला सशक्तीकरण समेत लोक विकास को बढ़ावा देने की संभावना भी इसमें शामिल है। साथ ही बेरोजगारी जो सभी समस्याओं की जड़ है, इससे भी निपटने में 2022 का इम्तिहान होगा। ई-गवर्नेस में और बढ़त व ई-भागीदारी को तुलनात्मक मजबूती देना, साथ ही ई-कनेक्टिविटी को पूरे भारत में पहुंचाना इस साल का प्रमुख विषय हो सकता है।

वित्त वर्ष 2024-2025 तक पांच लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था तक भारत को पहुंचाना यहां के विकास दर पर निर्भर करेगा। यदि 2022 इस पर खरा उतरता है तो इस क्षेत्र में भी सहायता मिलेगी। थोक महंगाई दर 2020 की तुलना में 2021 में गगनचुंबी ऊंचाई लिए हुए थी। वर्ष 2022 में इसकी मुक्ति का मार्ग भी खोजना होगा। जाहिर है महंगाई का ऐसा स्वरूप सरकार की जवाबदेही को बढ़ा देता है और सुशासन की हवा निकाल देता है।

नए साल में जवाबदेही भी बेहतर होगी और सुशासन भी अप्रतिम, ऐसी उम्मीद रखने में कोई हर्ज नहीं है। कोरोना संक्रमण ने अर्थव्यवस्था को बेपटरी किया और करोड़ों को गरीबी रेखा के नीचे खड़ा कर दिया जिसके चलते पनपी आर्थिक असमानता को समाप्त करने के लिए नए नियोजन की संभावना रहेगी। वैसे तो 2022 से बेइंतहा उम्मीदे हैं पर यह पूरी तरह खरा उतरे इसके लिए जरूरी है कि कोरोना की विदाई हो और आर्थिक दौर तेज हो।

Leave a Reply

error: Content is protected !!