नए संसद भवन का उद्घाटन और तनाव!

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर लगातार तर्क-वितर्क चल रहे हैं। विपक्ष अपने तर्क दे रहा है और सत्ता पक्ष अपने। इस पूरी बहस में राष्ट्रपति पद को भी घसीटा जा रहा है, जो कि ठीक नहीं है। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी तो अपने तर्क में बड़ी दूर की कौड़ी ले आए। उन्होंने कहा- राष्ट्रपति देश के प्रमुख हैं तो प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख हैं और सरकार की ओर से संसद का नेतृत्व भी करते हैं जिसकी नीतियाँ क़ानून के रूप में लागू होती हैं।

प्रधानमंत्री तो संसद के एक सदन के सदस्य भी हैं जबकि राष्ट्रपति किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री महोदय को क्या यह भी नहीं पता कि संसद के दोनों सदन आख़िर राष्ट्रपति पद के ही दो भाग हैं। राष्ट्रपति पद का चुनाव इसीलिए ऐसी पद्धति से किया जाता है जिसमें राज्य की विधानसभाओं और लोकसभा तथा राज्यसभा दोनों सदनों का प्रतिनिधित्व शामिल हो सके। सत्ता पक्ष या विपक्ष, कम से कम नए संसद भवन के उद्घाटन की बहस में राष्ट्रपति पद पर कोई टिप्पणी न ही करे तो लोकतंत्र की सेहत के लिए अच्छा होगा।

पुरी साहब यह तर्क भी लाए कि संसद एनेक्सी का उद्घाटन 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया था जबकि 1987 में संसद की लाइब्रेरी का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने किया था। फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद भवन के उद्घाटन पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं? जबकि हक़ीक़त या पूरा सच कुछ और ही है।

लोकसभा सचिवालय द्वारा प्रकाशित डॉक्यूमेंट “ पार्लियामेंट हाउस एस्टेट” के मुताबिक़ संसद एनेक्सी का उद्घाटन इंदिरा गांधी ने किया था जबकि इसकी आधारशिला तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने रखी थी।

इसी तरह संसद के इस डॉक्यूमेंट के मुताबिक संसद लाइब्रेरी की नींव राजीव गांधी ने रखी थी। इसका भूमि पूजन उस वक्त के लोकसभा स्पीकर शिवराज पाटील ने किया था जबकि उद्घाटन तब के राष्ट्रपति केआर नारायणन ने किया था।

ख़ैर जहां तक संवैधानिक बातों का सवाल है इनका भवन के उद्घाटन या लोकार्पण से कोई वास्ता नहीं है। यह विषय पूरी तरह प्रशासनिक है और कुछ- कुछ पारम्परिक भी। इस बारे में संविधान में कोई ज़िक्र नहीं है। इसलिए नए संसद भवन का उद्घाटन कौन करता है, इससे परम्परा हो सकती है नई बने या पुरानी टूटे, संविधान को न तो कोई हानि होने वाली है और न ही संसद के स्वरूप में, या नियम- क़ायदों में कोई फ़र्क़ आने वाला है।

PM मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को संसद भवन की नई बिल्डिंग का भूमिपूजन किया था।
PM मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को संसद भवन की नई बिल्डिंग का भूमिपूजन किया था।

दरअसल, पक्ष और विपक्ष बिना बात की बहस में जुटे हुए हैं। मामला बीच का रास्ता निकाल कर भी सुलझाया जा सकता है। बात इसलिए अटकी है कि समझौते की पहल आख़िर करे कौन? कोई किसी की सुनने को तैयार ही नहीं है। सब अपने-अपने तर्क देने में जुटे हुए हैं। इस तरह की बहस चलती रहेंगी और उद्घाटन- लोकार्पण होते रहेंगे।

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