मध्यवर्ग के आय में वृद्धि अर्थव्यवस्था का बढ़ना है, कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
किसी भी देश के आर्थिक-सामाजिक विकास में मध्यम वर्ग की प्रमुख भूमिका रही है। आर्थिक विश्लेषकों की माने तो आर्थिक विकास का कोई ग्रोथ इंजन है तो वह मध्यम वर्ग है। ज्यादा दूर नहीं जाए और केवल वर्तमान दशक की शुरुआत बल्कि 2021 की ही बात करें तो देश में 30 फीसद परिवार मध्यम आय वर्ग की श्रेणी में आ गए थे। ऐसा माना जा रहा है कि 2031 तक यह आंकड़ा बढ़कर 46 फीसद को छू जाएगा। यानी की इस दशक में बचे साढ़े पांच साल में भी मध्यम आय वर्ग की श्रेणी में तेजी से सुधार होगा। 2021 में जहां 9.1 करोड़ परिवार मध्यम आय वर्ग की श्रेणी में थे वहीं 2031 तक यह संख्या बढ़कर 16.9 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार 5 लाख से 38 लाख सालान आय वाले परिवारों को मध्यम आय वर्ग श्रेणी में माना गया है। यह भी समझना होगा कि मध्यम वर्ग का विस्तार का सीधा सीधा अर्थ गरीबी रेखा से लोगों का बाहर आना और बाजारु गतिविधियों में तेजी आने का कारण मध्यम वर्ग ही है। दरअसल मध्यम वर्ग व्हाईट कॉलर का प्रतिनिधित्व करता है।
वह इस प्रयास में रहता है कि दिन प्रतिदिन वह अधिक से अधिक साधन जुटाएं, भले ही उसके लिए उसे उधार का सहारा लेना पड़े। यहां यह भी समझ लेना जरुरी हो जाता है कि उच्च आय वर्ग की अपनी समझ व पहुंच होती है। पहली बात तो उच्च आय वर्ग की दायरें में कम लोग है। उनकी पसंद ना पसंद अलग होती है। उनके लिए जो उत्पाद बाजार में आएंगे वो अलग श्रेणी के होंगे।
मध्यम वर्ग लगभग उसी दौड़ में दौड़ने का प्रयास करता है। उच्च वर्ग के पास लक्जिरियस चौपहिया वाहन है तो उसकी मांग पहले चरण में चौपहिया वाहन व उसके बाद ज्यों ज्यों वह थोड़ा आगे बढ़ना चाहेगा अपनी पहुंच के सुविधाजनक चौपहिया वाहन पाने की कोशिश में जुट जाएगा। मध्यम आय वर्ग में इजाफा होने का मतलब साफ-साफ यह हो जाता है कि देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है।
रियल स्टेट जिस तरह से आगे बढ़ रहा है और गगनचुंबी इमारतों का जिस तरह से जाल बिछ रहा है वह मध्यम वर्ग के कारण ही संभव हो पा रहा है। यही कारण है कि आज देशी विदेशी कंपनियां मध्यम वर्ग को केन्द्रीत कर अपने उत्पादों को बाजार में उतार रही है। सही मायने में कहा जाये तो जिसने मध्यम वर्ग की मांग को समझा वह मालामाल होता जा रहा है और उसकी बाजार में पकड़ तेज होती जा रही है। ऐसे में यह मानने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि तेजी से बढ़ती अर्थ व्यवस्था का बहुत कुछ श्रेय मध्यम वर्ग को जाता है।
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