सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर वोटिंग से अनुपस्थित रहा भारत,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
यूक्रेन के मुद्दे पर चर्चा शुरू करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में हुई वोटिंग से भारत ने अनुपस्थित रह कर एक बार फिर साफ कर दिया है कि वह अपने कूटनीतिक हितों पर दो टूक फैसला करता रहेगा। वोटिंग से भारत के अनुपस्थित होने को एक तरह से रूस के साथ उसके रणनीतिक रिश्तों से जोड़ कर देखा जा रहा है। इससे अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों पर छाया पड़ने की संभावना भी जताई जा रही है।
भारत ने यह फैसला तब किया है, जब रूस ने अपने उप विदेश मंत्री एसवी वर्शिनिन को नई दिल्ली भेजा हुआ है। सोमवार को वर्शिनिन की विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला व सचिव (पश्चिम) रीनत संधु से अलग-अलग मुलाकात भी हुई है। यूएनएससी में सोमवार को यूक्रेन सीमा विवाद पर चर्चा का प्रस्ताव था। इसे रोकने के लिए रूस की तरफ से वोटिंग करवाया गया था।
रूस के अलावा चीन की तरफ से प्रस्तावित चर्चा का विरोध किया गया। भारत, गैबन और केन्या ने मतदान प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया। शेष सभी 10 सदस्यों ने यूक्रेन सीमा विवाद पर चर्चा का समर्थन किया। इसलिए भारत की तरफ से वोटिंग में हिस्सा नहीं लेने का कोई असर नहीं हुआ। बाद में रूस ने बैठक के प्रस्ताव का विरोध करने वाले (चीन) और दूसरे अनुपस्थित देशों को धन्यवाद दिया।
सनद रहे कि यूक्रेन की सीमा पर रूस की तरफ से तकरीबन एक लाख सैनिक और बड़ी संख्या में हथियार तैनात किए जाने के बाद पश्चिमी देशों के साथ विवाद काफी बढ़ गया है। अमेरिका ने साफ चेतावनी दी है कि रूस की तरफ से आक्रमण के बहुत बुरे नतीजे होंगे। अमेरिका और नाटो देशों की तरफ से यूक्रेन की मदद के लिए सैनिक व दूसरी युद्ध सामग्रियों को भेजने का काम भी हो रहा है।
यह स्थिति भारतीय कूटनीति की भी परीक्षा की घड़ी है। एक तरफ उसे रूस जैसे पुराने सहयोगी देश के साथ रिश्तों को देखना है और दूसरी तरफ नए रणनीतिक साझेदार देशों अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ हितों को भी देखना है। रूस सरकार यूक्रेन विवाद को लेकर लगातार भारत के साथ संपर्क में है। अमेरिका रूस पर ज्यादा कठोर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है, जिसका भी असर भारत पर पड़ेगा।
भारतीय राजदूत ने दिया कूटनीतिक प्रयासों से विवाद सुलझाने पर जोर
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि यूक्रेन का मौजूदा विवाद सिर्फ कूटनीतिक प्रयासों के जरिये ही शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जा सकता है। भारत का हित भी इसी में है कि सभी संबंधित पक्ष शांतिपूर्ण तरीके से मौजूदा तनाव को दूर करने के लिए कदम उठाएं। तनाव बढ़ाने वाले हर कदम से हर देश को अलग रहने की अपील करते हुए भारतीय राजदूत ने कहा कि यूक्रेन में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र अध्ययन के लिए हैं। उनकी सुरक्षा उसके लिए एक प्रमुख चिंता का कारण है।
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