सबसे बड़ा लिखित संविधान है भारत का,कैसे?

सबसे बड़ा लिखित संविधान है भारत का,कैसे?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश अपना गणतंत्र दिवस मना रहा है। 26 जनवरी 1950 को भारत का अपना संविधान लागू हुआ था। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। सर्वप्रथम सन 1895 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने मांग की थी कि अंग्रेजों के अधीनस्थ भारत का संविधान स्वयं भारतीय द्वारा ही बनाया जाना चाहिए। हालांकि भारत के लिए स्वतंत्र संविधान सभा के गठन की मांग को ब्रिटिश सरकार ने ठुकरा दिया था।

1922 में भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने मांग की थी कि भारत का राजनैतिक भाग्य भारतीय स्वयं बनाएंगे। लेकिन अंग्रेजों ने उस वक्त भी संविधान सभा के गठन की लगातार उठ रही मांग को ठुकरा दिया गया था। आखिरकार 1939 में कांग्रेस अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया था कि स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माण के लि.ए संविधान सभा ही एकमात्र उपाय है और सन 1940 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत का संविधान भारत के लोगों द्वारा ही बनाए जाने की मांग को स्वीकार कर लिया गया। चलिए भारतीय संविधान की 10 बड़ी बातें आपको बताते हैं।

– 11 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की बैठक हुई थी जिसमें डॉ राजेंद्र प्रसाद को स्थाई अध्यक्ष चुना गया था। राजेंद्र प्रसाद अंत तक इस पद पर बने रहे।

 

– जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर किए जा रहे थे उस दिन बाहर बारिश हो रही थी। सदन में बैठे लोगों ने इसे काफी शुभ माना था।

 

– भारतीय संविधान के वास्तविक प्रति प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा लिखी गई थी। जानकारी के मुताबिक इटैलिक स्टाइल में लिखी गई संविधान के हर पन्ने को शांति निकेतन के कलाकारों ने सजाया था।

 

– संविधान सभा के सदस्यों का पहला अधिवेशन 9 दिसंबर 1947 को आयोजित किया गया था। इस दौरान संविधान सभा के 207 सदस्य थे। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर उस वक्त संविधान के ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे।

 

– भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। संविधान प्रारूप समिति की बैठकें 114 दिनों तक चली थी और संविधान के निर्माण में करीब तीन वर्ष का समय लगा था। संविधान के निर्माण कार्य पर करीब 64 लाख रुपये खर्च हुए थे और इसके निर्माण कार्य में कुल 7635 सूचनाओं पर चर्चा की गई थी।

– मूल संविधान में सात मौलिक अधिकार थे लेकिन 44वें संविधान संशोधन के जरिये सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर संविधान के अनुच्छेद 300 (ए) के अंतर्गत कानूनी अधिकार के रूप में रखा गया, जिसके बाद भारतीय नागरिकों को छह मूल अधिकार प्राप्त हैं, जिनमें समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22), शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24), धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28), संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30) तथा संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32) शामिल हैं।

 

– संविधान की आत्मा कहे जाने वाले प्रस्तावना को अमेरिकी संविधान से लिया गया है। आपको बता दें कि संविधान के प्रस्तावना की शुरुआत We The People से होती है। 26 जनवरी 1950 को ही अशोक चक्र चक्र को बतौर राष्ट्रीय चिन्ह भी स्वीकार किया गया था।

 

– वर्तमान में धर्मनिरपेक्ष शब्द का इस्तेमाल रूप होता है। धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था। भारतीय संविधान सभी धर्मों की समानता और धार्मिक सहिष्णुता सुनिश्चित करता है।

 

– भारतीय संविधान की मूल प्रति हाथ से बने कागज पर हाथों से लिखी गई है। वर्तमान में इसे संसद भवन के पुस्तकालय में नाइट्रोजन गैस चेंबर में संगक्षित रखा गया है।

 

 भारतीय संविधान में संप्रभुता, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक गणराज्य, नागरिकों को न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की बात कही गई है।

 

– भारतीय संविधान की सबसे बड़ी बात तो यह है कि राज्य की शक्तियां केंद्रीय तथा राज्य सरकारों के बीच विभाजित होती हैं। दोनों सत्ताएं एक दूसरे के अधीन नहीं होती हैं। वे संविधान के हिसाब से चलती हैं और नियंत्रित होती हैं।

Leave a Reply

error: Content is protected !!