भारत विश्व के प्रजातियों का पर्यावास स्थल है,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जैव विविधता की इस कड़ी में यह जानेंगे कि जैव विविधता के मामले में भारत की क्या स्थिति है। जैव विविधता के क्षेत्र में भारत की क्या अहम भूमिका है और इसके संरक्षण के लिए क्या बड़ी चुनौती है? इसके साथ-साथ यह जानेंगे कि भारत में चार प्रमुख हाटस्पाट कौन से हैं? इन हाटस्पाट की खासियत क्या है? भारत में जैव विविधता को बचाने के लिए क्या सरकारी प्रयास किए गए हैं? अंत में यह जानेंगे कि आखिर जैव विविधता हाटस्पाट क्या है? इन सारे मामलों में विशेषज्ञों की क्या राय है।
1- ग्रीनमैन का कहना है कि जैव विविधता के मामले में भारत एक समृद्ध देश है। जैव विविधता न केवल इकोसिस्टम कार्यतंत्र के आधार का निर्माण करता है, वरन यह देश में आजीविका का भी आधार प्रदान करता है। विश्व का 2.4 फीसद क्षेत्रफल होने के बावजूद भारत विश्व के 7-8 फीसद दर्ज प्रजातियों का पर्यावास स्थल है। विश्व के 36 जैव विविधता हाट स्पाट में चार भारत में हैं। विश्व के 17 मेगा डायवर्सिटी देशों में भारत भी शामिल है। ऐसे में देश में जैव विविधता का संरक्षण बेहद जरूरी हो जाता है।
2- पर्यावरणविद का कहना है कि देश में जैव विविधता के संरक्षण के लिए कई उपाय किए गए हैं। इसके तहत 103 राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना की गई है। देश में 510 वन्य जीव अभ्यारण्यों की स्थापना, 50 टाइगर रिजर्व, 18 बायोस्फीयर रिजर्व, 3 कंजर्वेशन रिजर्व तथा दो सामुदायिक रिजर्व का मकसद जैव विविधता को बनाए रखना है। जैव विविधता के संरक्षण के लिए देश में राष्ट्रीय जैव विविधता कार्रवाई योजना (एनबीएपी) तैयार किया है। भारत ने वैश्विक जैव विविधता रणनीतिक योजना 2011-20 स्वीकार किया।
3- पर्यावरणविद का कहना है कि विश्व के 36 जैव विविधता वाले हाटस्पाट में से चार भारत में हैं। ये हाटस्पाट हिमाचल, पश्चिमी घाट, इंडो बर्मा क्षेत्र और सुंडालैंड हैं। कुल मिलाकर हिमालय में उत्तर पूर्वी भूटान, नेपाल के मध्य तक तथा पूर्वी हिस्से सम्मिलित है। इसमें माउंट एवरेस्ट एंव K-2 सहित विश्व के सर्वाधिक ऊंची चोटियों के अलावा सिंधु तथा गंगा जैसी विश्व की कुछ प्रमुख नदियां सम्मिलित हैं। हिमालय लगभग 163 संकटग्रस्त प्रजातियों की मेजबानी करता है। इसमें एक सींग वाले गैंडे, जंगली एशियाई जल भैंस तथा 45 स्तनधारी 12 उभयचर 17 सरीसृप 36 पौधों की प्रजातियां शामिल हैं।
4- भारत का दूसरा हाटस्पाट पश्चिमी घाट है। यह क्षेत्र पर्वतीय एवं महासागरीय है। ये पहाड़ियां प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमी किनारे पर पाई जाती है। इस क्षेत्र में अच्छी मात्रा में वर्षा होती है। इस क्षेत्र में 77 फीसद उभयचर एवं 62 फीसद सरीसृप स्थानिक हैं। इस इलाके में पक्षियों की लगभग 450 प्रजातियां, 140 स्तनघारियों, 260 सरीसृपों और 175 उभयचरों का भी आवास है। तीसरा प्रमुख हाटस्पाट इंडो बर्मा क्षेत्र है। इसका दायरा पूर्वोत्तर भारत, म्यांमार तथा चीन के युन्नान प्रांत, वियतनाम, कंबोडिया एंव थाइलैंड सहित विभिन्न देशों तक जाता है। इस क्षेत्र में 13,500 पौधों की प्रजातियां देखी जा सकती हैं। इसमें आधे से अधिक स्थानिक है। इस क्षेत्र में जैव विविधता अत्यधिक समृद्ध हैं। हालांकि इस क्षेत्र में हाल के दिनों में जैव विविधता पर संकट उत्पन्न हुआ है।
5- सुंडालैंड चौथा प्रमुख हाटस्पाट क्षेत्र है। यह क्षेत्र दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित है। इसमें थाइलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ब्रुनेई तथा मलेशिया सम्मिलत है। वर्ष 2013 में यूनेस्को ने इस क्षेत्र को विश्व बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया था। इन द्वीपों में समुद्री घास के स्तर तथा प्रवाल भित्तियों सहित एक समृद्ध स्थलीय एंव साथ ही समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र है।
6- उन्होंने कहा कि भारत में जैव विविधता के संरक्षण के लिए वर्ष 2002 में जैव विविधता एक्ट तैयार किया गया था। इस एक्ट के क्रियान्वयन के लिए त्रिस्तरीय संस्थागत ढ़ांचा का गठन किया गया है। इस एक्ट के तहत सर्वोच्च स्तर पर वर्ष 2003 में राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण का गठन किया गया। इसका मुख्यालय चेन्नई में है। यह एक वैधानिक निकाय है। इसकी मुख्य भूमिका विनियामक व परामर्श प्रकार की है। राज्यों में राज्य जैव विविधता प्राधिकरण की भी स्थापना की गईं हैं। स्थानीय स्तर पर जैव विविधता प्रबंध समितियों (बीएमसी) का गठन किया गया है। एनबीए के डेटा के अनुसार देश के 26 राज्यों ने राज्य जैव विविधता प्राधिकरण एवं जैव विविधता प्रबंध समितियों का गठन किया है।
आखिर क्या है जैव विविधता हाटस्पाट
जैव विविधता हाटस्पाट की संकल्पना पर्यावरणविद नार्मन मायर्स द्वारा वर्ष 1988 में दिया गया था। जैव विविधता हाट स्पाट वह क्षेत्र हैं, जहां जैव विविधता की प्रचुरता के साथ स्थानिक प्रजातियों की भी अधिकता पाई जाती है। प्रारंभ में उन्होंने पौधों की स्थानिकता के स्तर तथा पर्यावास के उच्च स्तर की हानि के अनुसार 10 उष्णकटिबंधीय वनों को हाटस्पाट के रूप में मान्यता दी थी।
दो वर्ष पश्चात उन्होंने आठ अन्य हाटस्पाट को मान्यता दी। वर्तमान में विश्व में कुल 36 हाटस्पाट क्षेत्र हैं। सीआई ने एक क्षेत्र के लिए हाटस्पाट के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए दो सख्त मात्रात्मक मानदंड पेश किया है। इसमें पहले पौधों की कम से कम 1500 प्रजातियां स्थानिक रूप में होनी चाहिए। दूसरे, इसे अपने मूल पर्यावास का 70 फीसद हिस्सा खोना पड़ा हो।
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